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आदिवासी समाज के लिए खुशखबरी, 15 नवंबर तक विस में सरना धर्म कोड का प्रस्ताव होगा पारित

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Published : Oct 30, 2020, 3:23 PM IST

आदिवासी मामलों के जानकार और सेवानिवृत्त प्रोफेसर करमा उरांव ने ईटीवी भारत से एक्सक्लूसिव बातचीत में बताया है कि हेमंत सरकार सरना धर्म कोड के प्रस्ताव को पारित कराकर केंद्र सरकार को भेजेगी. यह आश्वासन खुद सीएम ने प्रोफेसर करमा उरांव को मुख्यमंत्री आवास में दिया है. स्थापना दिवस के दिन सरकार इस प्रस्ताव को विधानसभा से पारित कराएगी.

Sarna Dharm Code proposal news
प्रोफेसर करमा उरांव

रांचीः जनगणना प्रपत्र में सरना धर्म कोड का कॉलम जोड़ने की मांग को लेकर लंबे समय से आंदोलन कर रहे झारखंड के आदिवासी समाज के लिए बहुत बड़ी खुशखबरी है. आदिवासी मामलों के जानकार और सेवानिवृत्त प्रोफेसर करमा उरांव ने ईटीवी भारत से एक्सक्लूसिव बातचीत के दौरान कहा है कि मुख्यमंत्री आवास से उन्हें इस बात का भरोसा दिलाया गया है कि 15 नवंबर यानी झारखंड के स्थापना दिवस तक हेमंत सरकार सरना धर्म कोड के प्रस्ताव को पारित कराकर केंद्र सरकार को भेजेगी. उनका कहना है कि सरना धर्म कोड नहीं होने की वजह से न सिर्फ आदिवासियों का लगातार धर्मांतरण हो रहा है बल्कि उन्हें सांस्कृतिक रूप से भी बड़ी क्षति उठानी पड़ रही है.

देखें पूरी खबर

ये भी पढ़ें-बेरमो विधानसभा के मतदान केंद्रों पर पुलिस जवानों का फ्लैग मार्च, इलाकों का किया गया निरीक्षण

उन्होंने कहा कि पिछले दिनों आदिवासी संगठनों ने मुख्यमंत्री से मुलाकात की थी और अपनी मांगों का ज्ञापन सौंपा था. उसी समय मुख्यमंत्री की तरफ से भरोसा दिलाया गया था. इस मामले में 30 अक्टूबर को सीएम आवास के सूत्रों के हवाले से उन्हें जानकारी मिली है कि स्थापना दिवस के दिन सरकार इस प्रस्ताव को विधानसभा से पारित कराएगी. इस खबर के मिलते ही तमाम आदिवासी नेताओं ने मुख्यमंत्री को धन्यवाद देना भी शुरू कर दिया है.

रांचीः जनगणना प्रपत्र में सरना धर्म कोड का कॉलम जोड़ने की मांग को लेकर लंबे समय से आंदोलन कर रहे झारखंड के आदिवासी समाज के लिए बहुत बड़ी खुशखबरी है. आदिवासी मामलों के जानकार और सेवानिवृत्त प्रोफेसर करमा उरांव ने ईटीवी भारत से एक्सक्लूसिव बातचीत के दौरान कहा है कि मुख्यमंत्री आवास से उन्हें इस बात का भरोसा दिलाया गया है कि 15 नवंबर यानी झारखंड के स्थापना दिवस तक हेमंत सरकार सरना धर्म कोड के प्रस्ताव को पारित कराकर केंद्र सरकार को भेजेगी. उनका कहना है कि सरना धर्म कोड नहीं होने की वजह से न सिर्फ आदिवासियों का लगातार धर्मांतरण हो रहा है बल्कि उन्हें सांस्कृतिक रूप से भी बड़ी क्षति उठानी पड़ रही है.

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उन्होंने कहा कि पिछले दिनों आदिवासी संगठनों ने मुख्यमंत्री से मुलाकात की थी और अपनी मांगों का ज्ञापन सौंपा था. उसी समय मुख्यमंत्री की तरफ से भरोसा दिलाया गया था. इस मामले में 30 अक्टूबर को सीएम आवास के सूत्रों के हवाले से उन्हें जानकारी मिली है कि स्थापना दिवस के दिन सरकार इस प्रस्ताव को विधानसभा से पारित कराएगी. इस खबर के मिलते ही तमाम आदिवासी नेताओं ने मुख्यमंत्री को धन्यवाद देना भी शुरू कर दिया है.

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