रांची: झारखंड के 12वें पुलिस महानिदेशक के रूप में पदभार ग्रहण करने के बाद के. एन चौबे ने स्पष्ट रूप से कहा कि वह सामूहिक नेतृत्व में विश्वास करते हैं. पदभार ग्रहण करने के बाद उन्होंने जिलों के एसपी और अन्य अफसरों को ब्रिफ करते हुए अपनी मंशा जाहिर कर दी. साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया कि गड़बड़ी करने वालों को सीधे बर्खास्त किया जाएगा.
ईटीवी भारत के वरिष्ठ सहयोगी से खास बातचीत
उन्होंने कहा कि उनकी कोशिश भारत सरकार की कार्य संस्कृति को लागू करने की होगी. जहां बयानबाजी नहीं रिजल्ट पर काम होता है. उन्होंने कहा कि बुलेट से ज्यादा ताकत कानून में होती है और कानून को लागू करने के लिए पुलिस को संवेदनशील होना होगा. कोयला चोरी के मामलों को लेकर उन्होंने अपना नजरिया स्पष्ट करते हुए कहा कि कोयला चोरी रोकने का काम कोल इंडिया का है. अब आरोप-प्रत्यारोप से काम नहीं चलेगा. ईटीवी भारत के वरिष्ठ सहयोगी राजेश कुमार सिंह के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत के दौरान डीजीपी के.एन चौबे ने विधि व्यवस्था और नक्सलवाद समेत अन्य मसलों पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की.
पुलिस को होना होगा संवेदनशील
डीजीपी पीके चौबे ने कहा कि गांव में रहने वाले एक गरीब के लिए उसकी साइकिल और मोटरसाइकिल उतनी ही कीमती है जितनी एक धनी आदमी के लिए मर्सिडीज कार. लिहाजा गांव के गरीब के साइकिल में चोरी होती है तो उसके मामले को ही संवेदनशीलता के साथ लेना होगा. उन्होंने अपने पुराने अनुभवों का जिक्र करते हुए कहा कि अक्सर सुनने को मिलता है कि किसी एसपी को संबंधित क्षेत्र के लोग भगवान की तरह पूजते हैं. ऐसा संभव होता है संबंधित एसपी की कार्यप्रणाली के कारण.
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मैं सपने नहीं बेचता: डीजीपी
1986 बैच के आईपीएस और मूल रूप से कैमूर के रहने वाले डीजीपी के.एन चौबे ने कहा कि मैं सपने नहीं बेचता. मैं ईमानदारी के साथ परिश्रम में विश्वास करता हूं. मैं आपसी सहयोग और सामूहिकता वाले नेतृत्व में विश्वास करता हूं. उन्होंने कहा कि उनका दरवाजा पुलिस के जवान के लिए भी खुला रहेगा.