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5 जूनः विश्व पर्यावरण दिवस पर विशेष लेख, जानें कैसे हुई शुरूआत, क्या है खास

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Published : Jun 5, 2020, 8:49 AM IST

आज पूरा विश्व पर्यावरण दिवस मना रहा है. इस दिन की शुरूआत 5 जून 1972 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने की थी. इसका उद्देश्य लोगों को पर्यावरण पर तकनीकीकरण से हो रहे दुष्प्रभाव और इसके संरक्षण के प्रति जागरूक करना था.

Special article on World Environment Day
विश्व पर्यावरण दिवस

रांचीः वर्ष 1972 से प्रत्येक वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता रहा है. संयुक्त राष्ट्र संघ ने 5 जून, 1972 को इस दिवस को मनाने की नींव रखी थी, जिसमें लोगों को वातावरण के बारे में सचेत रखने और जानकारी से रूबरू कराने का उद्देश्य निहित था, ताकि पर्यावरण खराब होने के कारण हो रहीं आपदाओं से लोगों को सचेत किया जा सके. इस दिवस को प्रत्येक वर्ष मनाने का मुख्य उद्देश्य है ‘जैव विविधता को जानना और उसकी महत्ता को उत्सव के रूप में मनाना है’.

प्रत्येक वर्ष कोई एक देश करता है नेतृत्व

इस दिवस को मनाने के लिए प्रत्येक वर्ष किसी एक देश को नेतृत्व और आयोजन की जिम्मेदारी दी जाती है. इस वर्ष 2020 में कोलंबिया को यह जिम्मेदारी दी गयी है. वर्ष 2018 में भारत भी इस जिम्मेदारी का निर्वहन कर चुका है, जिसका मुख्य उद्देश्य प्लास्टिक के प्रयोग से होने वाले वातावरण की हानि से लोगों को सचेत करना था.
जैव विविधता में सभी प्रकार के पेड़-पौधे और जीव जंतु का समायोजन होता है. चाहे वह माइक्रो जीव हों या विशालकाय पेड़.

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विश्व में लगभग 50 मिलियन जैव विविधता

पूरे विश्व में लगभग 50 मिलियन जैव विविधता आंकी गई है. भारत वर्ष में लगभग 45 हजार पेड़-पौधों की प्रजातियां पाई जाती हैं, जो पूरे विश्व का लगभग 8 प्रतिशत है. इसी तरह जीव जंतु की संख्या पूरे विश्व का करीब 7 प्रतिशत है. भारत में लगभग 167 प्रकार की वनस्पतियों को किसान उपजाते हैं, जिसमें मुख्यतः खाद्यान फसलें हैं. इसलिए यह आवश्यक हो जाता है कि हम सब अपने आस–पास पाए जाने वाले पेड़-पौधों और जीव जंतुओं के महत्व को समझें और इनकी पर्यावरण की शुद्धि के लिए योगदान की उपेक्षा न करें, बल्कि इनकी रक्षा में सदैव तत्पर रहें.

ये भी पढ़ें-लोहरदगा: पेशरार के हसीन वादियों का दीदार करने कभी पहुंचते थे हजारों पर्यटक, आज छाई है विरानगी

लॉकडाउन का पर्यावरण पर सकारात्मक असर

वहीं, इस साल कोरोना की वजह से पड़े लगभग 70 दिनों के लॉकडाउन में यह भी अनुभव किया गया है कि इसका पूरे संसार में पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है. कोविड–19 बीमारी से लड़ने के अलावा पर्यावरण का शुद्धिकरण पर असर दिखने लगा है. जैसे कि विभिन्न प्रकार के जीव-जंतु और वनस्पतियां अपने-आप उगने लगी हैं. साथ ही साथ वातावरण की विसिबिलिटी भी बढ़ गई है, जोकि वायु प्रदूषण से प्रभावित होती थी. लॉकडाउन से पहले कल कारखाने, मोटरयान इत्यादि के चलते वायु प्रदूषण का स्तर बहुत ज्यादा था, जो अब सामान्य की तरफ लौट आया है. पर्यावरण में आए इस सुधार को हमें बचाकर रखना होगा. साथ ही साथ लॉकडाउन का मौसम के ऊपर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ा है.

इस विश्व पर्यावरण दिवस पर ईटीवी भारत आपसे आग्रह करता है कि यह निर्णय लें कि जीव जंतु और पेड़-पौधों की रक्षा के साथ प्रत्येक व्यक्ति एक पेड़ अवश्य लगाकर वातावरण को शुद्ध रखने की पहल करे, जिससे हमारी भावी पीढ़ी का स्वास्थ्य बेहतर और रोग विहीन रहे.

रांचीः वर्ष 1972 से प्रत्येक वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता रहा है. संयुक्त राष्ट्र संघ ने 5 जून, 1972 को इस दिवस को मनाने की नींव रखी थी, जिसमें लोगों को वातावरण के बारे में सचेत रखने और जानकारी से रूबरू कराने का उद्देश्य निहित था, ताकि पर्यावरण खराब होने के कारण हो रहीं आपदाओं से लोगों को सचेत किया जा सके. इस दिवस को प्रत्येक वर्ष मनाने का मुख्य उद्देश्य है ‘जैव विविधता को जानना और उसकी महत्ता को उत्सव के रूप में मनाना है’.

प्रत्येक वर्ष कोई एक देश करता है नेतृत्व

इस दिवस को मनाने के लिए प्रत्येक वर्ष किसी एक देश को नेतृत्व और आयोजन की जिम्मेदारी दी जाती है. इस वर्ष 2020 में कोलंबिया को यह जिम्मेदारी दी गयी है. वर्ष 2018 में भारत भी इस जिम्मेदारी का निर्वहन कर चुका है, जिसका मुख्य उद्देश्य प्लास्टिक के प्रयोग से होने वाले वातावरण की हानि से लोगों को सचेत करना था.
जैव विविधता में सभी प्रकार के पेड़-पौधे और जीव जंतु का समायोजन होता है. चाहे वह माइक्रो जीव हों या विशालकाय पेड़.

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विश्व में लगभग 50 मिलियन जैव विविधता

पूरे विश्व में लगभग 50 मिलियन जैव विविधता आंकी गई है. भारत वर्ष में लगभग 45 हजार पेड़-पौधों की प्रजातियां पाई जाती हैं, जो पूरे विश्व का लगभग 8 प्रतिशत है. इसी तरह जीव जंतु की संख्या पूरे विश्व का करीब 7 प्रतिशत है. भारत में लगभग 167 प्रकार की वनस्पतियों को किसान उपजाते हैं, जिसमें मुख्यतः खाद्यान फसलें हैं. इसलिए यह आवश्यक हो जाता है कि हम सब अपने आस–पास पाए जाने वाले पेड़-पौधों और जीव जंतुओं के महत्व को समझें और इनकी पर्यावरण की शुद्धि के लिए योगदान की उपेक्षा न करें, बल्कि इनकी रक्षा में सदैव तत्पर रहें.

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लॉकडाउन का पर्यावरण पर सकारात्मक असर

वहीं, इस साल कोरोना की वजह से पड़े लगभग 70 दिनों के लॉकडाउन में यह भी अनुभव किया गया है कि इसका पूरे संसार में पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है. कोविड–19 बीमारी से लड़ने के अलावा पर्यावरण का शुद्धिकरण पर असर दिखने लगा है. जैसे कि विभिन्न प्रकार के जीव-जंतु और वनस्पतियां अपने-आप उगने लगी हैं. साथ ही साथ वातावरण की विसिबिलिटी भी बढ़ गई है, जोकि वायु प्रदूषण से प्रभावित होती थी. लॉकडाउन से पहले कल कारखाने, मोटरयान इत्यादि के चलते वायु प्रदूषण का स्तर बहुत ज्यादा था, जो अब सामान्य की तरफ लौट आया है. पर्यावरण में आए इस सुधार को हमें बचाकर रखना होगा. साथ ही साथ लॉकडाउन का मौसम के ऊपर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ा है.

इस विश्व पर्यावरण दिवस पर ईटीवी भारत आपसे आग्रह करता है कि यह निर्णय लें कि जीव जंतु और पेड़-पौधों की रक्षा के साथ प्रत्येक व्यक्ति एक पेड़ अवश्य लगाकर वातावरण को शुद्ध रखने की पहल करे, जिससे हमारी भावी पीढ़ी का स्वास्थ्य बेहतर और रोग विहीन रहे.

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