रांची: एक बार फिर सदन की कार्यवाही बिना नेता प्रतिपक्ष के ही होगा. तीन सितंबर से शुरू हो रहे झारखंड विधानसभा (Jharkhand Legislative Assembly) के मानसून सत्र (Monsoon Session) के दौरान नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी खाली रहेगी. हालांकि विधानसभाध्यक्ष रबीन्द्रनाथ महतो (Rabindra Nath Mahato) ने इस मुद्दे पर जल्द ही फलाफल निकलने के संकेत दिए हैं. विधानसभाध्यक्ष ने हुए दुख जताते हुए कहा कि प्रजातांत्रिक व्यवस्था में हर कोई जानता है कि पक्ष और विपक्ष का नेता होता है. विपक्ष के नेता के नहीं होने से कठिनाई तो होती ही है, लेकिन हम करें तो करें क्या, मेरे पास तो कोई अधिकार है नहीं.
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रबीन्द्रनाथ महतो ने कहा कि 'इस मामले में मेरे न्यायाधिकरण में केसों की सुनवाई चल रही है. मैंने सभी शिकायतकर्ताओं के वकीलों से इस संबंध में उनका पक्ष भी जाना है. उम्मीद करता हूं कि जल्द कोई रास्ता निकल जाए. पंचम विधानसभा गठन के पश्चात सदन की कार्यवाही अब तक बिना नेता प्रतिपक्ष के चलते आ रहा है. जिसके कारण कई तरह की संवैधानिक अड़चन आ रही है.'
बीजेपी ने बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष बनाने का दिया है प्रस्ताव
जेवीएम का बीजेपी में मर्ज होने के बाद बीजेपी ने पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी को विधायक दल का नेता चुना है. बीजेपी ने विधानसभाध्यक्ष से उन्हें नेता प्रतिपक्ष का दर्जा देने की मांग की थी, लेकिन जेवीएम के मर्जर को असंवैधानिक बताते हुए स्पीकर के पास कई विधायकों ने शिकायत दर्ज कराकर उनकी सदस्यता समाप्त करने की अपील की है. जिसकी सुनवाई विधानसभा न्यायाधिकरण में चल रही है.
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बाबूलाल पर दल बदल के न्यायाधिकरण में चार केस हैं दर्ज
बाबूलाल मरांडी के पर 10वीं अनुसूची का उल्लंघन करते हुए विधानसभाध्यक्ष के न्यायाधिकरण में चार अलग-अलग केस दर्ज हैं. राजकुमार यादव ने 10वीं अनुसूची का उल्लंघन करने की शिकायत करते हुए विधानसभा में 16 दिसंबर 2020 को याचिका दाखिल की थी. जिसका कांड संख्या 02/2020 है. उसी तरह भूषण तिर्की द्वारा दाखिल केस नंबर 03/2020, दीपिका पांडे द्वारा दाखिल केस नंबर 01/2021 और प्रदीप यादव, बंधु तिर्की द्वारा दाखिल केस नंबर 02/2021 है.