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कारगिल विजय दिवस विशेष: रांची के शहीद नागेश्वर महतो की शहादत को सलाम, कर गए चोटी फतह

कारगिल युद्ध की लड़ाई में रांची के पिठोरिया निवासी वीर सपूत नागेश्वर महतो का नाम भी शामिल है. बता दें कि महतो का जन्म 1961 में हुआ था. उनके परिजन कहते हैं कि उन्हें गर्व है नागेश्वर महतो पर, जिन्होंने देश सेवा के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी.

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शहीद नागेश्वर महतो
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Published : Jul 25, 2020, 4:23 PM IST

Updated : Jul 26, 2020, 5:30 AM IST

रांची: भारत-पाकिस्तान के बीच 1999 के कारगिल युद्ध की लड़ाई में रांची के पिठोरिया निवासी वीर सपूत नागेश्वर महतो का नाम भी शामिल है. कारगिल युद्ध के 21 साल बाद भी शहीद नागेश्वर महतो की पत्नी संध्या देवी अपने पति की तस्वीर को देख कर रो देती हैं. उन्हें पति के खोने का गम तो है, लेकिन उससे ज्यादा गर्व है कि नागेश्वर महतो भारत माता की सेवा में खुद को बलिदान कर देश के लिए शहीद हो गए.

देखें स्पेशल स्टोरी
नहीं मिला उचित सम्मान

शहीद नागेश्वर महतो की पत्नी संध्या देवी का कहना है कि तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने शहीद के परिवारों को सम्मान में कई घोषणाएं की थी. इसके साथ ही एकत्रित बिहार की तत्कालीन मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने भी कई घोषणाएं की. हालांकि, बिहार से झारखंड अलग होने के बाद सभी घोषणाएं धीरे-धीरे ठंडे बस्ते में चली गई. इसके बाद राज्य में कई सरकारें आई और चली गईं लेकिन शहीद परिवारों की आंसुओं को किसी ने भी नहीं पोछा. शहीद की पत्नी ने बताया कि झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात हुई है. उन्होंने आश्वासन दिया है कि उनकी आदमकद प्रतिमा लगाई जाएगी. जिसे देख युवाओं में भी देश और शहीद के प्रति सम्मान जगेगा.

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शहीद नागेश्वर महतो की अंत्येष्ठि

पिता को खोने का दर्द
वहीं, उनके सबसे बड़े बेटे का कहना है कि पिता को खोने का दर्द बहुत बड़ा होता है. लेकिन उससे ज्यादा फक्र की बात यह होती है कि उनकी वजह से आज कहीं भी सिर उठाकर खड़े हो सकते हैं.

ये भी पढ़ें- 5 दिनों के लिए झारखंड विधानसभा सील, 31 तक नहीं होंगी समितियों की बैठक

1961 में हुआ था जन्म

बता दें कि नागेश्वर महतो का जन्म 1961 में हुआ था. परिवार में पांच भाई और एक बहन हैं. भाइयों में यह चौथे स्थान पर थे. उनके भाई भीम महतो कहते हैं कि नागेश्वर महतो बचपन से ही होनहार थे. आज भले ही वह उन लोगों के बीच में नहीं हैं, लेकिन उनकी शहादत और बलिदान के कारण वे गर्व से फूले नहीं समाते.

रांची: भारत-पाकिस्तान के बीच 1999 के कारगिल युद्ध की लड़ाई में रांची के पिठोरिया निवासी वीर सपूत नागेश्वर महतो का नाम भी शामिल है. कारगिल युद्ध के 21 साल बाद भी शहीद नागेश्वर महतो की पत्नी संध्या देवी अपने पति की तस्वीर को देख कर रो देती हैं. उन्हें पति के खोने का गम तो है, लेकिन उससे ज्यादा गर्व है कि नागेश्वर महतो भारत माता की सेवा में खुद को बलिदान कर देश के लिए शहीद हो गए.

देखें स्पेशल स्टोरी
नहीं मिला उचित सम्मान

शहीद नागेश्वर महतो की पत्नी संध्या देवी का कहना है कि तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने शहीद के परिवारों को सम्मान में कई घोषणाएं की थी. इसके साथ ही एकत्रित बिहार की तत्कालीन मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने भी कई घोषणाएं की. हालांकि, बिहार से झारखंड अलग होने के बाद सभी घोषणाएं धीरे-धीरे ठंडे बस्ते में चली गई. इसके बाद राज्य में कई सरकारें आई और चली गईं लेकिन शहीद परिवारों की आंसुओं को किसी ने भी नहीं पोछा. शहीद की पत्नी ने बताया कि झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात हुई है. उन्होंने आश्वासन दिया है कि उनकी आदमकद प्रतिमा लगाई जाएगी. जिसे देख युवाओं में भी देश और शहीद के प्रति सम्मान जगेगा.

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शहीद नागेश्वर महतो की अंत्येष्ठि

पिता को खोने का दर्द
वहीं, उनके सबसे बड़े बेटे का कहना है कि पिता को खोने का दर्द बहुत बड़ा होता है. लेकिन उससे ज्यादा फक्र की बात यह होती है कि उनकी वजह से आज कहीं भी सिर उठाकर खड़े हो सकते हैं.

ये भी पढ़ें- 5 दिनों के लिए झारखंड विधानसभा सील, 31 तक नहीं होंगी समितियों की बैठक

1961 में हुआ था जन्म

बता दें कि नागेश्वर महतो का जन्म 1961 में हुआ था. परिवार में पांच भाई और एक बहन हैं. भाइयों में यह चौथे स्थान पर थे. उनके भाई भीम महतो कहते हैं कि नागेश्वर महतो बचपन से ही होनहार थे. आज भले ही वह उन लोगों के बीच में नहीं हैं, लेकिन उनकी शहादत और बलिदान के कारण वे गर्व से फूले नहीं समाते.

Last Updated : Jul 26, 2020, 5:30 AM IST
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