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Soil Health Card Scheme: 19 जिलों के कृषि पदाधिकारियों ने केंद्र को नहीं सौंपी राशि उपयोगिता रिपोर्ट, लापरवाही पड़ सकती है भारी! - Soil Health Card Scheme

झारखंड को अधिकारियों की लापरवाही से सॉयल हेल्थ कार्ड की राशि से वंचित होना पड़ सकता है. राज्य के 24 में से 19 जिला कृषि पदाधिकारियों ने अपने अपने जिलों में मिट्टी जांच के काम के रिकॉर्ड को भारत सरकार के पोर्टल पर अपलोड नहीं किया है. नतीजे में भारत सरकार सॉयल हेल्थ कार्ड की राशि को निर्गत करने से इंकार कर सकती है.

Soil Health Card Scheme
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Published : Jun 24, 2022, 10:08 AM IST

Updated : Jun 24, 2022, 11:13 AM IST

रांची: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना सॉयल हेल्थ कार्ड की राशि से आने वाले दिनों में झारखंड को वंचित रहना पड़ सकता है.इसकी वजह यह है कि पूर्व में राज्य में मिट्टी जांच के लिए केंद्र से जो राशि ( करीब 03 करोड़ सालाना) मिली है उसकी उपयोगिता रिपोर्ट कृषि विभाग के द्वारा केंद्र सरकार अब तक नहीं भेजी गई है.
कृषि पदाधिकारी की मानें तो राज्य के 24 में से 18-19 जिला कृषि पदाधिकारियों ने अपने अपने जिला में पूर्व में हुई मिट्टी जांच ( सॉयल हेल्थ कार्ड ) के लिए कितनी राशि खर्च की और कितने किसानों को कार्ड दिया गया इसका डेटा भारत सरकार के पोर्टल पर लोड नहीं किया है. नतीजा यह कि भारत सरकार यह मानने को तैयार ही नहीं है कि राज्य में में मिट्टी जांच के लिए जो राशि भारत सरकार ने दी उसका उपयोग हुआ है.

अधिकारी नहीं कर रहे हैं रिपोर्ट अपलोड: बार-बार नोटिस के बावजूद जिला कृषि पदाधिकारियों ने डेटा को भारत सरकार के पोर्टल पर अपलोड नहीं किया है. राज्य के समिति निदेशक डॉ सुभाष सिंह कहते हैं कि मिट्टी जांच के मामले में काम करने के बावजूद भारत सरकार नहीं मान रही है कि राज्य में इस संबंध में कुछ काम हुआ है. सुभाष सिंह के अनुसार अगर यही हाल रहा तो हो सकता है कि राज्य, भारत सरकार से हर वर्ष मिलने वाले करीब 03 करोड़ की राशि से वंचित हो जाए.

देखें पूरी खबर
कृषि पदाधिकारियों पर कार्रवाई की जरूरत: राज्य में सॉइल हेल्थ कार्ड योजना के तहत पहले फेज में बेहतरीन काम हुआ है. परंतु उसकी न कृषि विभाग ब्रांडिंग कर पाया और न ही सही रिपोर्टिंग केंद्र सरकार को हो पाया है ,ऐसे में जरूरी है कि लापरवाह जिला कृषि पदाधिकारियों पर कार्रवाई हो. कांके स्थित मिट्टी जांच प्रयोगशाला की प्रयोगशाला सहायक श्रुति सिंह कहती हैं कि हर दिन उनके यहां 25 से 30 मिट्टी सैम्पल की जांच हो रही है परंतु समेति निदेशक की माने तो यह जांच कब बंद हो जाये इसका पता नहीं.

पीएम की महत्वाकांक्षी योजना: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना में शामिल सॉयल हेल्थ कार्ड योजना साल 2015 में लॉन्च किया गया था. इसके तहत देश के 14 करोड़ किसानों के खेतों की मिट्टी की जांच कर कार्ड उपलब्ध कराना था. ताकि किसान ये जान सकें कि जिस खेत में वो खेती करते हैं उस खेत की मिट्टी में किन किन पोषक तत्वों की कमी है और उनके खेत की मिट्टी किस फसल के लिए मुफीद है.

रांची: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना सॉयल हेल्थ कार्ड की राशि से आने वाले दिनों में झारखंड को वंचित रहना पड़ सकता है.इसकी वजह यह है कि पूर्व में राज्य में मिट्टी जांच के लिए केंद्र से जो राशि ( करीब 03 करोड़ सालाना) मिली है उसकी उपयोगिता रिपोर्ट कृषि विभाग के द्वारा केंद्र सरकार अब तक नहीं भेजी गई है.
कृषि पदाधिकारी की मानें तो राज्य के 24 में से 18-19 जिला कृषि पदाधिकारियों ने अपने अपने जिला में पूर्व में हुई मिट्टी जांच ( सॉयल हेल्थ कार्ड ) के लिए कितनी राशि खर्च की और कितने किसानों को कार्ड दिया गया इसका डेटा भारत सरकार के पोर्टल पर लोड नहीं किया है. नतीजा यह कि भारत सरकार यह मानने को तैयार ही नहीं है कि राज्य में में मिट्टी जांच के लिए जो राशि भारत सरकार ने दी उसका उपयोग हुआ है.

अधिकारी नहीं कर रहे हैं रिपोर्ट अपलोड: बार-बार नोटिस के बावजूद जिला कृषि पदाधिकारियों ने डेटा को भारत सरकार के पोर्टल पर अपलोड नहीं किया है. राज्य के समिति निदेशक डॉ सुभाष सिंह कहते हैं कि मिट्टी जांच के मामले में काम करने के बावजूद भारत सरकार नहीं मान रही है कि राज्य में इस संबंध में कुछ काम हुआ है. सुभाष सिंह के अनुसार अगर यही हाल रहा तो हो सकता है कि राज्य, भारत सरकार से हर वर्ष मिलने वाले करीब 03 करोड़ की राशि से वंचित हो जाए.

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कृषि पदाधिकारियों पर कार्रवाई की जरूरत: राज्य में सॉइल हेल्थ कार्ड योजना के तहत पहले फेज में बेहतरीन काम हुआ है. परंतु उसकी न कृषि विभाग ब्रांडिंग कर पाया और न ही सही रिपोर्टिंग केंद्र सरकार को हो पाया है ,ऐसे में जरूरी है कि लापरवाह जिला कृषि पदाधिकारियों पर कार्रवाई हो. कांके स्थित मिट्टी जांच प्रयोगशाला की प्रयोगशाला सहायक श्रुति सिंह कहती हैं कि हर दिन उनके यहां 25 से 30 मिट्टी सैम्पल की जांच हो रही है परंतु समेति निदेशक की माने तो यह जांच कब बंद हो जाये इसका पता नहीं.

पीएम की महत्वाकांक्षी योजना: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना में शामिल सॉयल हेल्थ कार्ड योजना साल 2015 में लॉन्च किया गया था. इसके तहत देश के 14 करोड़ किसानों के खेतों की मिट्टी की जांच कर कार्ड उपलब्ध कराना था. ताकि किसान ये जान सकें कि जिस खेत में वो खेती करते हैं उस खेत की मिट्टी में किन किन पोषक तत्वों की कमी है और उनके खेत की मिट्टी किस फसल के लिए मुफीद है.

Last Updated : Jun 24, 2022, 11:13 AM IST
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