रांची: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना सॉयल हेल्थ कार्ड की राशि से आने वाले दिनों में झारखंड को वंचित रहना पड़ सकता है.इसकी वजह यह है कि पूर्व में राज्य में मिट्टी जांच के लिए केंद्र से जो राशि ( करीब 03 करोड़ सालाना) मिली है उसकी उपयोगिता रिपोर्ट कृषि विभाग के द्वारा केंद्र सरकार अब तक नहीं भेजी गई है.
कृषि पदाधिकारी की मानें तो राज्य के 24 में से 18-19 जिला कृषि पदाधिकारियों ने अपने अपने जिला में पूर्व में हुई मिट्टी जांच ( सॉयल हेल्थ कार्ड ) के लिए कितनी राशि खर्च की और कितने किसानों को कार्ड दिया गया इसका डेटा भारत सरकार के पोर्टल पर लोड नहीं किया है. नतीजा यह कि भारत सरकार यह मानने को तैयार ही नहीं है कि राज्य में में मिट्टी जांच के लिए जो राशि भारत सरकार ने दी उसका उपयोग हुआ है.
अधिकारी नहीं कर रहे हैं रिपोर्ट अपलोड: बार-बार नोटिस के बावजूद जिला कृषि पदाधिकारियों ने डेटा को भारत सरकार के पोर्टल पर अपलोड नहीं किया है. राज्य के समिति निदेशक डॉ सुभाष सिंह कहते हैं कि मिट्टी जांच के मामले में काम करने के बावजूद भारत सरकार नहीं मान रही है कि राज्य में इस संबंध में कुछ काम हुआ है. सुभाष सिंह के अनुसार अगर यही हाल रहा तो हो सकता है कि राज्य, भारत सरकार से हर वर्ष मिलने वाले करीब 03 करोड़ की राशि से वंचित हो जाए.
पीएम की महत्वाकांक्षी योजना: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना में शामिल सॉयल हेल्थ कार्ड योजना साल 2015 में लॉन्च किया गया था. इसके तहत देश के 14 करोड़ किसानों के खेतों की मिट्टी की जांच कर कार्ड उपलब्ध कराना था. ताकि किसान ये जान सकें कि जिस खेत में वो खेती करते हैं उस खेत की मिट्टी में किन किन पोषक तत्वों की कमी है और उनके खेत की मिट्टी किस फसल के लिए मुफीद है.