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रांची में सांकेतिक रूप से हुआ सिंदूर खेला का आयोजन, नहीं दिखा उत्साह - रांची में सिंदूर खेला

विजयादशमी के दिन सिंदूर खेला का आयोजन किया जाता है. हर साल बंगाली समुदाय की ओर से बड़े धूमधाम से इसका आयोजन होता है, लेकिन कोरोना काल में इस बार यह फीका रह गया है. इस बीच रांची में महिलाओं ने सांकेतिक रूप से आपस में सिंदूर खेला का आयोजन किया और मां जगदंबे को भी सिंदूर लगाकर विदाई दी.

Sindoor Khela organized in a symbolic manner
सिंदूर खेला
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Published : Oct 26, 2020, 1:34 PM IST

रांची: प्रत्येक वर्ष बड़ी ही धूमधाम के साथ बंगाली समुदाय की ओर से आयोजित दुर्गा पूजा के दौरान विजयादशमी के दिन सिंदूर खेला आयोजन किया जाता है. लेकिन इस वर्ष कोरोना महामारी के कारण इस पर भी ग्रहण लगा दिखा. पहले जो उत्साह महिलाओं में नजर आती थी वो नजारा रांची में कहीं नहीं दिखा. महिलाओं की संख्या और भीड़ भी नहीं दिखी. महिलाओं ने सांकेतिक रूप से आपस में सिंदूर खेला का आयोजन किया और मां जगदंबे को भी सिंदूर लगाकर विदाई दी गई.

देखें पूरी खबर

ये भी पढ़ें-डीएसपी प्रभात कुमार ने किया केली बंगला का निरीक्षण, बिना मंजूरी लालू से मुलाकात मामले में सुरक्षाकर्मियों को नोटिस

सांकेतिक सिंदूर खेला

इस दौरान देशोप्रिय क्लब में सिंदूर खेला का आयोजन किया गया. हालांकि, पारंपरिक रीति-रिवाज से पूजा पाठ का आयोजन करने वाले दुर्गा बाड़ी में इस वर्ष सिंदूर खेला का आयोजन नहीं हो रहा है. श्रद्धालुओं की माने तो कोरोना महामारी के मद्देनजर जारी दिशा-निर्देशों के तहत पूजा-अर्चना की जा रही है. सिंदूर खेला सुहागिनों के लिए एक बड़ी परंपरा है. इसे निभाना भी जरूरी है. घर परिवार के सदस्यों के साथ और मां दुर्गे के साथ सिंदूर खेलकर इस परंपरा को इस वर्ष भी निभाया गया.

दुर्गाबाड़ी में नहीं हुआ धूमधाम से सिंदूर खेला

जानकारी के अनुसार प्रत्येक वर्ष राजधानी रांची के प्रसिद्ध दुर्गा बाड़ी मंदिर प्रांगण में हजारों की संख्या में महिलाओं की भीड़ उमड़ती थी और मां के विदाई की बेला के समय सिंदूर खेला का आयोजन किया जाता था. एक दूसरे को सिंदूर लगाकर महिलाएं मंगलकामनाएं करती है. सुहागिनों के बीच इस परंपरा का काफी महत्व है. लेकिन इस वर्ष कोरोना के कारण दुर्गा बाड़ी में सिंदूर खेला का आयोजन नहीं हुआ. इससे श्रद्धालु मायूस जरूर है.

रांची: प्रत्येक वर्ष बड़ी ही धूमधाम के साथ बंगाली समुदाय की ओर से आयोजित दुर्गा पूजा के दौरान विजयादशमी के दिन सिंदूर खेला आयोजन किया जाता है. लेकिन इस वर्ष कोरोना महामारी के कारण इस पर भी ग्रहण लगा दिखा. पहले जो उत्साह महिलाओं में नजर आती थी वो नजारा रांची में कहीं नहीं दिखा. महिलाओं की संख्या और भीड़ भी नहीं दिखी. महिलाओं ने सांकेतिक रूप से आपस में सिंदूर खेला का आयोजन किया और मां जगदंबे को भी सिंदूर लगाकर विदाई दी गई.

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सांकेतिक सिंदूर खेला

इस दौरान देशोप्रिय क्लब में सिंदूर खेला का आयोजन किया गया. हालांकि, पारंपरिक रीति-रिवाज से पूजा पाठ का आयोजन करने वाले दुर्गा बाड़ी में इस वर्ष सिंदूर खेला का आयोजन नहीं हो रहा है. श्रद्धालुओं की माने तो कोरोना महामारी के मद्देनजर जारी दिशा-निर्देशों के तहत पूजा-अर्चना की जा रही है. सिंदूर खेला सुहागिनों के लिए एक बड़ी परंपरा है. इसे निभाना भी जरूरी है. घर परिवार के सदस्यों के साथ और मां दुर्गे के साथ सिंदूर खेलकर इस परंपरा को इस वर्ष भी निभाया गया.

दुर्गाबाड़ी में नहीं हुआ धूमधाम से सिंदूर खेला

जानकारी के अनुसार प्रत्येक वर्ष राजधानी रांची के प्रसिद्ध दुर्गा बाड़ी मंदिर प्रांगण में हजारों की संख्या में महिलाओं की भीड़ उमड़ती थी और मां के विदाई की बेला के समय सिंदूर खेला का आयोजन किया जाता था. एक दूसरे को सिंदूर लगाकर महिलाएं मंगलकामनाएं करती है. सुहागिनों के बीच इस परंपरा का काफी महत्व है. लेकिन इस वर्ष कोरोना के कारण दुर्गा बाड़ी में सिंदूर खेला का आयोजन नहीं हुआ. इससे श्रद्धालु मायूस जरूर है.

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