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अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का दूसरा दिन, देश-विदेश के डेलीगेट्स ने रखे विचार - कल्याण विभाग झारखंड

रांची के ऑड्रे हाउस में अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया है. सेमिनार का आज दूसरा दिन रहा. बता दें कि इस अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में देश-विदेश के डेलीगेट्स ने हिस्सा लिया है.

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अंतरराष्ट्रीय सेमिनार
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Published : Jan 18, 2020, 5:10 PM IST

रांची: आदि दर्शन पर रामदयाल मुंडा ट्राइबल वेलफेयर रिसर्ज इंस्टीट्यूट और कल्याण विभाग की ओर से ऑड्रे हाउस में अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया है. सेमिनार का आज दूसरा दिन रहा. यहां अंतरराष्ट्रीय सेमिनार 19 जनवरी तक चलेगा. इस अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में देश-विदेश के डेलीगेट्स ने हिस्सा लिया है.

देखें पूरी खबर

आदि दर्शन सेमिनार
स्विट्जरलैंड से भगवान बिरसा मुंडा की धरती पर आदि दर्शन सेमिनार में पहुंचे राफेलो उसेलो ने कहा कि यूरोप में किसी भी जनजाति की कोई विशेष पहचान नहीं है. कुछ समुदाय हैं जो भारतीय रूप से अल्पसंख्यक हैं. उनकी आर्थिक स्थिति भी अच्छी है, लेकिन भाषाई और राजनीतिक रूप से उनको पहचान की जरूरत है.

ये भी पढ़ें- कांग्रेस ने की 5 मंत्री पद और अहम विभाग की मांग, इसलिए मंत्रिमंडल विस्तार में हो रही देरी!

'आदिवासियों के बारे में पढ़ना जानना अच्छा लगता है'
राफेलो उसेलो ने कहा कि वे सामाजिक मानवशास्त्र के स्टूडेंट हैं. उन्हें आदिवासियों के बारे में पढ़ना जानना अच्छा लगता है. इसके लिए भारत के जनजातीय समाज को चुना है. उन्होंने कहा कि भारतीय जनजातियों से जुड़े कई किताबें उन्होंने भी पढ़ी है. ट्राइबल फिलॉसफी पर रांची में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सेमिनार के जरिए अलग-अलग आदिवासी समुदाय के बारे में जानने को मिला.

ये भी पढ़ें- पुलिस और PLFI संगठन के दस्ते के बीच हुई मुठभेड़, पुलिस को भारी पड़ता देख घने जंगल में भागे नक्सली

पूरे देश में चर्चा
वहीं, एशिया फिजिक्स इंडिजिनियस यूथ फिलीपींस की अध्यक्ष मीनाक्षी मुंडा ने कहा कि ट्राइबल फिलॉसफी आदि दर्शन पर ज्यादा काम नहीं हुआ है. ऐसे में झारखंड इसकी पहल कर रहा है, यह बहुत बड़ी बात है. उन्होंने कहा कि आदिवासी दर्शन को लेकर पूरे देश में चर्चा होनी शुरू हो गई है.

रांची: आदि दर्शन पर रामदयाल मुंडा ट्राइबल वेलफेयर रिसर्ज इंस्टीट्यूट और कल्याण विभाग की ओर से ऑड्रे हाउस में अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया है. सेमिनार का आज दूसरा दिन रहा. यहां अंतरराष्ट्रीय सेमिनार 19 जनवरी तक चलेगा. इस अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में देश-विदेश के डेलीगेट्स ने हिस्सा लिया है.

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आदि दर्शन सेमिनार
स्विट्जरलैंड से भगवान बिरसा मुंडा की धरती पर आदि दर्शन सेमिनार में पहुंचे राफेलो उसेलो ने कहा कि यूरोप में किसी भी जनजाति की कोई विशेष पहचान नहीं है. कुछ समुदाय हैं जो भारतीय रूप से अल्पसंख्यक हैं. उनकी आर्थिक स्थिति भी अच्छी है, लेकिन भाषाई और राजनीतिक रूप से उनको पहचान की जरूरत है.

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'आदिवासियों के बारे में पढ़ना जानना अच्छा लगता है'
राफेलो उसेलो ने कहा कि वे सामाजिक मानवशास्त्र के स्टूडेंट हैं. उन्हें आदिवासियों के बारे में पढ़ना जानना अच्छा लगता है. इसके लिए भारत के जनजातीय समाज को चुना है. उन्होंने कहा कि भारतीय जनजातियों से जुड़े कई किताबें उन्होंने भी पढ़ी है. ट्राइबल फिलॉसफी पर रांची में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सेमिनार के जरिए अलग-अलग आदिवासी समुदाय के बारे में जानने को मिला.

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पूरे देश में चर्चा
वहीं, एशिया फिजिक्स इंडिजिनियस यूथ फिलीपींस की अध्यक्ष मीनाक्षी मुंडा ने कहा कि ट्राइबल फिलॉसफी आदि दर्शन पर ज्यादा काम नहीं हुआ है. ऐसे में झारखंड इसकी पहल कर रहा है, यह बहुत बड़ी बात है. उन्होंने कहा कि आदिवासी दर्शन को लेकर पूरे देश में चर्चा होनी शुरू हो गई है.

Intro:रांची
बाइट--राफेलो उसेलो //स्विट्ज़रलैंड डेलिगेट्स
बाइट--डॉ मीनाक्षी मुंडा//एशिया फिजिक्स इंडिजिनियस यूथ फिलिपिंस के अध्यक्ष

आदि दर्शन पर रामदयाल मुंडा ट्राईबल वेलफेयर रिचार्ज इंस्टिट्यूट और कल्याण विभाग द्वारा ऑड्रे हाउस में अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया है सेमिनार का आज दूसरा दिन रहा। यहां अंतरराष्ट्रीय सेमिनार 19 जनवरी तक चलेगा इस अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में देश-विदेश के डेलिगेट्स गेट्स ने हिस्सा लिया है।

स्विजरलैंड से भगवान बिरसा मुंडा के धरती पर आदि दर्शन सेमिनार में पहुंचे राफेलो उसेलो ने कहा कि यूरोप में किसी भी जनजाति की कोई विशेष पहचान नहीं है कुछ समुदाय हैं जो भारतीय रूप से अल्पसंख्यक है उनकी आर्थिक स्थिति भी अच्छी है लेकिन भाषाई और राजनीतिक रूप से उनको पहचान की जरूरत है उन्होंने कहा कि मैं सामाजिक मानवशास्त्र का विद्यार्थी हूं मुझे आदिवासियों के बारे में पढ़ना जानना अच्छा लगता है इसके लिए भारत के जनजातीय समाज को चुना है मैंने भारतीय जनजातियों से जुड़े कई किताबें भी पढ़ी है। ट्राईबल फिलॉस्फी पर रांची में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सेमिनार के जरिए अलग अलग आदिवासि समुदाय के बारे में जानने को मिला अलग-अलग क्षेत्र में बसने के बावजूद उनके बीच किसी तरह का एकरूपता है यह जानने की कोशिश की गई ताकि इस जानकारी को एक व्यापक पटल पर लाया जा सके रामदयाल मुंडा ने इस दिशा में कई कार्य किए हैं उनसे मैं काफी प्रभावित हुआ हूं।


Body:एशिया फिजिक्स इंडिजिनियस यूथ फिलिपिंस के अध्यक्ष मीनाक्षी मुंडा ने कहा कि ट्राईबल फिलॉस्फी आदि दर्शन पर ज्यादा काम नहीं हुआ है ऐसे में झारखंड इसकी पहल कर रहा है यह बहुत बड़ी बात है। आदिवासी दर्शन को लेकर पूरे देश में चर्चा होनी शुरू हो गई है आदि दर्शन ट्राईबल को लेकर सबसे ज्यादा आज का समय जो चेतावनी है जो धीरे-धीरे क्लाइमेट चेंज हो रहा है आज तक आदिवासी समाज लिखता नहीं था लेकिन अब इसको लेकर धीरे-धीरे लिखना शुरू हो गया है और बात करें तो में भारत में सबसे ज्यादा जनजाति है इसको लेकर बहुत ही खास हो जाता है इसी उद्देश्य से ट्राईबल फिलॉस्फी आदि दर्शन का आयोजन किया गया



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