रांची: खूंटी भगवान बिरसा मुंडा की मातृभूमि और कर्मभूमि रही है. जयपाल सिंह मुंडा, झारखंड आंदोलन से जुड़े एनइ होरो, खूंटी के गांधी कहे जानेवाले टी मुचिराय मुंडा और करिया मुंडा जैसे कई नेताओं ने खूंटी को एक अलग पहचान दिलायी है. खूंटी को अपराध के लिए जाना जाता है. कृषि प्रधान खूंटी विधानसभा क्षेत्र में 90 के दशक तक नक्सलियों का बोलबाला था. सूरज ढलते ही खूंटी की सड़कों पर गाड़ियों के पहिए थम जाया करते थे, लेकिन नक्सल प्रभावित इलाकों में सीआरपीएफ के कई कैंप स्थापित करने और सघन ऑपरेशन चलाने के कारण माओवादी कमजोर पड़ते गए.
कांग्रेस-जेएमएम से मिलती है कड़ी टक्कर
झारखंड में साल 2005 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में खूंटी सीट पर बीजेपी के नीलकंठ सिंह मुंडा ने कांग्रेस के रौशन कुमार सुरीन को भारी अंतर से हराया था. 2009 के चुनाव में नीलकंठ का सामना जेएमएम के मसीचरण मुंडा से हुआ था. यह कांटे की टक्कर थी. अंत में नीलकंठ को महज 436 वोट के अंतर से विजयी घोषित किया गया था. लेकिन 2014 का चुनाव आते-आते नीलकंठ सिंह मुंडा ने अपने इस क्षेत्र में ऐसी पकड़ जमायी कि तमाम विपक्षी ढेर हो गए. इस बार जेएमएम ने जीदन होरो पर दाव आजमाया था लेकिन वह नीलकंठ के सामने कहीं नहीं टिके.
21,515 मतों से जीते थे नीलकंठ सिंह मुंडा
2014 के विधानसभा चुनाव में नीलकंठ सिंह मुंडा को 47,032 मत मिले थे. दूसरे नंबर पर जेएमएम के जीदर होरो को 25,517 मत मिले थे. नीलकंठ सिंह मुंडा ने इस सीट पर 21,515 मतों के अंतर से जीत हासिल की.दोनों नेताओं के उम्र में बहुत फासला नहीं है दोनों नेताओं की उम्र लगभग 50 साल है. खूंटी सीट से कुल 16 प्रत्याशियों ने पर्चा भरा था. इन 16 लोगों में दो महिलाएं भी शामिल थीं, चुनाव से पहले आयोग की तरफ से चार लोगों का नोमिनेशन रद्द कर दिया गया. इस तरह से खूंटी के रण में 12 प्रत्याशी मैदान में बचे. इसमें से 10 उम्मीदवारों की तो जमानत जब्त हो गई.