रांचीः राज्य में धान खरीद में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी प्रकाश में आया है. तथाकथित किसान बनकर बिचौलियों ने सरकारी सुविधा का लाभ उठाया है. विभागीय जांच में ऐसे किसान पाए गए हैं. जिन्होंने फर्जी जमीन रसीद दिखाकर हजार क्विंटल तक धान बेच दिया है.
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खरीफ के पिछले फसल चक्र में राज्य सरकार ने 60 लाख टन धान खरीद का लक्ष्य तय किया था. जबकि इस लक्ष्य के विरुद्ध 103 प्रतिशत की उपलब्धि हासिल करते हुए सरकार ने 62 लाख टन धान खरीदकर वाहवाही तो लूट ली मगर जब यह मामला प्रकाश में आया तो विभाग के अधिकारियों में खलबली मच गई है. मामला बढ़ता देख विभागीय मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव ने अधिकारियों को इसकी जांच कर दोषियों को चिंहित करने को कहा. चौंकाने वाली बात यह है कि विभाग द्वारा अब तक हुई जांच में 65 हजार ऐसे किसान पाए गए हैं जो संदेह के घेरे में हैं. विभागीय मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव ने इसे गंभीर मानते हुए दोषियों के विरुद्ध कारवाई करने की बात कही है.
फर्जीवाड़ा सामने आते ही सरकार ने इससे सबक लेते हुए इस वर्ष 15 दिसंबर से शुरू हो रहे धान खरीद में किसानों से अधिकतम 200 क्विंटल ही लेने का निर्देश दिया है. साथ ही संदेह के घेरे में आए किसानों पर सख्त नजर रखने को कहा है. रांची जिला आपूर्ति पदाधिकारी अलबर्ट बिलुंग ने भी गड़बड़ी की आशंका जताते हुए कहा है कि जांच में जो भी दोषी पाये जाएंगे उन्हें बख्शा नहीं जाएगा. विपक्षी दल भाजपा ने धान खरीद में हुई गड़बड़ी पर तंज कसते हुए इसकी जांच कराने की मांग की है. पूर्व स्पीकर और रांची के BJP MLA CP Singh ने इसमें बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की बात कहते हुए सरकारी राशि का गबन करनेवाले दोषी लोगों पर कारवाई की मांग की है.
धान खरीद के लिए राज्य में 1.79 लाख किसानों ने पिछले वर्ष रजिस्ट्रेशन कराया था. निबंधित किसानों को केंद्र सरकार द्वारा तय एमएसपी के अलावा राज्य सरकार प्रति क्विंटल 182 रुपये का बोनस भी दे रही है. इस तरह से किसानों को धान बेचने के मद में 2050 रुपये प्रति क्विंटल की दर से प्राप्त हुआ है.