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झारखंड के इस विधानसभा सीट पर है पूरे देश की नजर, मुख्यमंत्री को उन्हीं के मंत्री ने दे डाली है चुनौती

जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा सीट पर राज्य के निवर्तमान मुख्यमंत्री को उन्हीं के मंत्रिमंडल में सहयोगी रहे एक मंत्री ने चुनौती दी है. राय निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में रहेंगे, जबकि मुख्यमंत्री रघुवर दास बीजेपी के उम्मीदवार होंगे. वैसे तो मुख्यमंत्री पिछले 5 टर्म से जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा इलाके से विधायक बनते आ रहे हैं, लेकिन इस बार उनकी राह आसान नहीं होगी.

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Published : Nov 18, 2019, 9:30 PM IST

रांची: झारखंड के जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा सीट पर पूरे देश की नजर है. यह वह विधानसभा इलाका है, जहां राज्य के निवर्तमान मुख्यमंत्री को उन्हीं के मंत्रिमंडल में सहयोगी रहे एक मंत्री ने चुनौती दी है. एक तरफ जहां प्रदेश के मुख्यमंत्री रघुवर दास पिछले 5 टर्म से इस विधानसभा सीट से बीजेपी के टिकट से जीतते आ रहे हैं. वहीं, दूसरी तरफ उनके पड़ोसी विधानसभा इलाके जमशेदपुर पश्चिमी के विधायक और राज्य सरकार में मंत्री रहे सरयू राय इस बार उन्हें चुनौती दे रहे हैं.

आसान नहीं होगी रघुवर की राह
राय निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में रहेंगे, जबकि मुख्यमंत्री रघुवर दास बीजेपी के उम्मीदवार होंगे. वैसे तो मुख्यमंत्री पिछले 5 टर्म से जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा इलाके से विधायक बनते आ रहे हैं, लेकिन इस बार उनकी राह आसान नहीं होगी. एक तरफ जहां बीजेपी के अंदर विक्षुब्धों का गुट राय के समर्थन में खड़ा होगा. वहीं, दूसरी तरफ विरोधी भी उन्हें समर्थन देने के मूड में है.

मंत्री राय रघुवर दास कैबिनेट के वैसे सदस्य हैं, जिन्होंने राज्य सरकार को उसके निर्णय को लेकर हमेशा आईना दिखाया. इतना ही नहीं कैबिनेट में रहते हुए सरकार के निर्णय पर सवाल खड़े किए और सारी बातें आलाकमान तक भी पहुंचायी. फरवरी महीने में ईटीवी भारत को दिए गए इंटरव्यू में उन्होंने साफ तौर पर कहा कि उन्हें कैबिनेट में रहने में शर्मिंदगी महसूस होती है और इस बाबत उन्होंने के शीर्ष नेतृत्व को भी अवगत कराया है.

ये भी पढ़ें: पूर्व विधायक अर्जुन राम ने दसवीं बार किया नामांकन, रामगढ़ से भरा पर्चा

मुख्यमंत्री की विजय यात्रा के यह हो सकते हैं स्पीड ब्रेकर
मुख्यमंत्री दास के विजय रथ को रोकने के लिए कुछ ऐसे मुद्दे हैं जो स्पीड ब्रेकर के रूप में काम कर सकते हैं. उनमें 86 बस्तियों के नियमितीकरण का मामला एक बड़ा मुद्दा है. ये वो बस्तियां है जिनके नियमितीकरण को लेकर मौजूदा मुख्यमंत्री आवाज उठाते रहे, लेकिन मामला 30 साल की लीज के सेटेलमेंट पर आकर अटक गया. उन इलाकों में लगभग 44000 परिवार हैं, जिनमें से महज एक हजार ने एक अनुमान के तौर पर लीज नवीकरण के लिए आवेदन दिया है. ऐसे में वहां के लोगों का आक्रोश सहज समझा जा सकता है.

बीजेपी के विरोध में बिहारी और ओबीसी फैक्टर
ओबीसी और बिहारी फैक्टर बीजेपी के विरोध में जा सकता है. इसके साथ ही उस विधानसभा इलाके में वास करने वाले अन्य पिछड़ा वर्ग के वोटर एक खास जाति के हैं जो एक फैक्टर के रूप में उभर सकते हैं. उस इलाके का बिहार कनेक्ट बहुत जबरदस्त है. वहीं, राय झारखंड के ऐसे राजनीतिज्ञ हैं जिनका झारखंड और बिहार दोनों कनेक्ट जिंदा है. ऐसे में चुनाव के दौरान यह फैक्टर बीजेपी के विपरीत जा सकता है.

राय की पोटली से निकलने वाला जिन्न डाल सकता है असर
विश्वसनीय सूत्रों की मानें तो मुख्यमंत्री के खिलाफ चुनाव प्रचार के दौरान सरयू राय उन मुद्दों को भी उठा सकते हैं जिनको लेकर मंत्रिमंडल में रहते हुए मतभेद शुरू हो गए थे. इनमें एक पुराना मुद्दा मेनहर्ट कंसल्टेंसी से जुड़ा हुआ है. इसके अलावा शाह ब्रदर्स की माइनिंग लीज समेत कथित भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर भी सरकार घिर सकती है.

ये भी पढ़ें: मंत्री रणधीर सिंह पहुंचे बाबा बासुकीनाथ धाम, बाबा से मांगा जीत का आशीर्वाद

विपक्ष भी कर रहा है मंथन
दरअसल, सरयू राय के तेवर को लेकर विपक्ष भी वेट एंड वाच की मुद्रा में है. हालांकि, नेता प्रतिपक्ष ने भी साफ कहा है कि वह सरयू राय के खिलाफ उम्मीदवार कंटिन्यू करने को लेकर एक राय बनाने की कोशिश करेंगे. बता दें कि जेएमएम समेत अन्य दलों ने राय को बीजेपी द्वारा टिकट नहीं देने पर आलोचना की है. सरकारी आंकड़े के अनुसार जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा में 3,00801 मतदाता हैं, जिनमें 1,56520 पुरुष, जबकि 1,43,981 महिला मतदाता हैं.

रांची: झारखंड के जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा सीट पर पूरे देश की नजर है. यह वह विधानसभा इलाका है, जहां राज्य के निवर्तमान मुख्यमंत्री को उन्हीं के मंत्रिमंडल में सहयोगी रहे एक मंत्री ने चुनौती दी है. एक तरफ जहां प्रदेश के मुख्यमंत्री रघुवर दास पिछले 5 टर्म से इस विधानसभा सीट से बीजेपी के टिकट से जीतते आ रहे हैं. वहीं, दूसरी तरफ उनके पड़ोसी विधानसभा इलाके जमशेदपुर पश्चिमी के विधायक और राज्य सरकार में मंत्री रहे सरयू राय इस बार उन्हें चुनौती दे रहे हैं.

आसान नहीं होगी रघुवर की राह
राय निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में रहेंगे, जबकि मुख्यमंत्री रघुवर दास बीजेपी के उम्मीदवार होंगे. वैसे तो मुख्यमंत्री पिछले 5 टर्म से जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा इलाके से विधायक बनते आ रहे हैं, लेकिन इस बार उनकी राह आसान नहीं होगी. एक तरफ जहां बीजेपी के अंदर विक्षुब्धों का गुट राय के समर्थन में खड़ा होगा. वहीं, दूसरी तरफ विरोधी भी उन्हें समर्थन देने के मूड में है.

मंत्री राय रघुवर दास कैबिनेट के वैसे सदस्य हैं, जिन्होंने राज्य सरकार को उसके निर्णय को लेकर हमेशा आईना दिखाया. इतना ही नहीं कैबिनेट में रहते हुए सरकार के निर्णय पर सवाल खड़े किए और सारी बातें आलाकमान तक भी पहुंचायी. फरवरी महीने में ईटीवी भारत को दिए गए इंटरव्यू में उन्होंने साफ तौर पर कहा कि उन्हें कैबिनेट में रहने में शर्मिंदगी महसूस होती है और इस बाबत उन्होंने के शीर्ष नेतृत्व को भी अवगत कराया है.

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मुख्यमंत्री की विजय यात्रा के यह हो सकते हैं स्पीड ब्रेकर
मुख्यमंत्री दास के विजय रथ को रोकने के लिए कुछ ऐसे मुद्दे हैं जो स्पीड ब्रेकर के रूप में काम कर सकते हैं. उनमें 86 बस्तियों के नियमितीकरण का मामला एक बड़ा मुद्दा है. ये वो बस्तियां है जिनके नियमितीकरण को लेकर मौजूदा मुख्यमंत्री आवाज उठाते रहे, लेकिन मामला 30 साल की लीज के सेटेलमेंट पर आकर अटक गया. उन इलाकों में लगभग 44000 परिवार हैं, जिनमें से महज एक हजार ने एक अनुमान के तौर पर लीज नवीकरण के लिए आवेदन दिया है. ऐसे में वहां के लोगों का आक्रोश सहज समझा जा सकता है.

बीजेपी के विरोध में बिहारी और ओबीसी फैक्टर
ओबीसी और बिहारी फैक्टर बीजेपी के विरोध में जा सकता है. इसके साथ ही उस विधानसभा इलाके में वास करने वाले अन्य पिछड़ा वर्ग के वोटर एक खास जाति के हैं जो एक फैक्टर के रूप में उभर सकते हैं. उस इलाके का बिहार कनेक्ट बहुत जबरदस्त है. वहीं, राय झारखंड के ऐसे राजनीतिज्ञ हैं जिनका झारखंड और बिहार दोनों कनेक्ट जिंदा है. ऐसे में चुनाव के दौरान यह फैक्टर बीजेपी के विपरीत जा सकता है.

राय की पोटली से निकलने वाला जिन्न डाल सकता है असर
विश्वसनीय सूत्रों की मानें तो मुख्यमंत्री के खिलाफ चुनाव प्रचार के दौरान सरयू राय उन मुद्दों को भी उठा सकते हैं जिनको लेकर मंत्रिमंडल में रहते हुए मतभेद शुरू हो गए थे. इनमें एक पुराना मुद्दा मेनहर्ट कंसल्टेंसी से जुड़ा हुआ है. इसके अलावा शाह ब्रदर्स की माइनिंग लीज समेत कथित भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर भी सरकार घिर सकती है.

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विपक्ष भी कर रहा है मंथन
दरअसल, सरयू राय के तेवर को लेकर विपक्ष भी वेट एंड वाच की मुद्रा में है. हालांकि, नेता प्रतिपक्ष ने भी साफ कहा है कि वह सरयू राय के खिलाफ उम्मीदवार कंटिन्यू करने को लेकर एक राय बनाने की कोशिश करेंगे. बता दें कि जेएमएम समेत अन्य दलों ने राय को बीजेपी द्वारा टिकट नहीं देने पर आलोचना की है. सरकारी आंकड़े के अनुसार जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा में 3,00801 मतदाता हैं, जिनमें 1,56520 पुरुष, जबकि 1,43,981 महिला मतदाता हैं.

Intro:रांची। झारखंड के जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा सीट पर पूरे देश की नजर है। यह वह विधानसभा इलाका है जहां राज्य के निवर्तमान मुख्यमंत्री को उन्हीं के मंत्रिमंडल में सहयोगी रहे एक मंत्री ने चुनौती दी है। एक तरफ जहां प्रदेश के मुख्यमंत्री रघुवर दास पिछले 5 टर्म से इस विधानसभा सीट से बीजेपी के टिकट से जीते आ रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ उनके पड़ोसी विधानसभा इलाके जमशेदपुर पश्चिमी के विधायक और राज्य सरकार में मंत्री रहे सरयू राय इस बार उन्हें चुनौती दे रहे हैं। राय निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में रहेंगे जबकि मुख्यमंत्री रघुवर दास बीजेपी के उम्मीदवार होंगे।

आसान नहीं होगी रघुवर की राह
वैसे तो मुख्यमंत्री पिछले 5 टर्म से जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा इलाके से विधायक बनते आ रहे हैं लेकिन इस बार उनकी राह आसान नहीं होगी। एक तरफ जहां बीजेपी के अंदर विक्षुब्धों का गुट राय के समर्थन में खड़ा होगा। वहीं दूसरी तरफ विरोधी भी उन्हें समर्थन देने के मूड में है।


Body:मंत्री राय रघुवर दास कैबिनेट के वैसे सदस्य हैं जिन्होंने राज्य सरकार को उसके निर्णय को लेकर हमेशा आईना दिखाया। इतना ही नहीं कैबिनेट में रहते हुए सरकार के निर्णय पर सवाल खड़े किए और सारी बातें आलाकमान तक भी पहुंचायी।

फरवरी महीने में ईटीवी भारत को दिए गए इंटरव्यू में उन्होंने साफ तौर पर कहा कि उन्हें कैबिनेट में रहने में शर्मिंदगी महसूस होती है और इस बाबत उन्होंने के शीर्ष नेतृत्व को भी अवगत कराया है।

मुख्यमंत्री की विजय यात्रा के यह हो सकते हैं स्पीड ब्रेकर मुख्यमंत्री दास के विजय रथ को रोकने के लिए कुछ ऐसे मुद्दे हैं जो स्पीड ब्रेकर के रूप में काम कर सकते हैं। उनमें 86 बस्तियों के नियमितीकरण का मामला एक बड़ा मुद्दा है। ये वो बस्तियां है जिनके नियमितीकरण को लेकर मौजूदा मुख्यमंत्री आवाज उठाते रहे लेकिन मामला 30 साल की लीज के सेटेलमेंट पर आकर अटक गया। उन इलाकों में लगभग 44000 परिवार हैं जिनमें से महज एक हजार ने एक अनुमान के तौर पर लीज नवीकरण के लिए आवेदन दिया है। ऐसे में वहां के लोगों का आक्रोश सहज समझा जा सकता है।


Conclusion:ओबीसी और बिहारी फैक्टर जा सकता है बीजेपी के विरोध में साथ ही उसे विधानसभा इलाके में वास करने वाले अन्य पिछड़ा वर्ग के वोटर एक खास जाति के हैं जो एक फैक्टर के रूप में उभर सकते हैं। साथ ही उस इलाके का बिहार कनेक्ट बहुत जबरदस्त है। वही राय झारखंड के ऐसे राजनीतिज्ञ हैं जिनका झारखंड और बिहार दोनों कनेक्ट जिंदा है। ऐसे में चुनाव के दौरान यह फैक्ट्री बीजेपी के विपरीत जा सकता है।

राय की पोटली से निकलने वाला जिन्न डाल सकता हैं असर विश्वसनीय सूत्रों की मानें तो मुख्यमंत्री के खिलाफ चुनाव प्रचार के दौरान सरयू राय उन मुद्दों को भी उठा सकते हैं जिनको लेकर मंत्रिमंडल में रहते हुए मतभेद शुरू हो गए थे। इनमें एक पुराना मुद्दा मेनहर्ट कंसल्टेंसी से जुड़ा हुआ है इसके अलावा शाह ब्रदर्स की माइनिंग लीज समेत कथित भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर भी सरकार घिर सकती है।

विपक्ष भी कर रहा है मंथन
दरसल सरयू राय के तेवर को लेकर विपक्ष भी वेट एन्ड वाच की मुद्रा में है। हालांकि नेता प्रतिपक्ष ने भी साफ कहा है कि वह सरयू राय के खिलाफ उम्मीदवार कंटिन्यू करने को लेकर एकमत राय बनाने की कोशिश करेंगे। बता दें कि झामुमो समेत अन्य दलों ने राय को बीजेपी द्वारा टिकट नहीं देने पर आलोचना की है।

सरकारी आंकड़े के अनुसार जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा में 300801 मतदाता हैं जिनमें 156520 पुरुष जबकि 143981 महिला मतदाता हैं।
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