रांचीः कोरोना महामारी के कम होते रफ्तार के बाद 2 साल बाद देशभर में तमाम उत्सव मनाए जा रहे हैं. इसी कड़ी में झारखंड की राजधानी रांची में सरहुल महोत्सव की धूम देखी जा रही है. रांची विश्वविद्यालय के जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग में सरहुल महोत्सव का आयोजन किया गया. इस दौरान कई गणमान्य अतिथि पहुंचे और जमकर उत्सव मनाया.
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बताते चलें कि एक लंबे समय से रांची विश्वविद्यालय के जनजातीय भाषा विभाग के अखरा में सरहुल महोत्सव का आयोजन होता आया है. इस विभागीय परिसर में आयोजित कार्यक्रम में प्रत्येक वर्ष राज्यपाल, मुख्यमंत्री के अलावे कई गणमान्य पहुंचते हैं. हालांकि इस वर्ष अपरिहार्य कारणों के कारण इस परिसर में मुख्यमंत्री और राज्यपाल नहीं पहुंच पाए. मुख्य अतिथि के रूप में इस समारोह में रांची की मेयर आशा लकड़ा शामिल हुईं.
बताते चलें कि रांची विश्वविद्यालय के जनजातीय और क्षेत्रीय भाषा विभाग में सरहुल महोत्सव का आयोजन धूमधाम से होता है. पूरे विधि विधान के साथ यहां पूजा अर्चना की जाती है. पाहन की ओर से अखरा में पहले सरहुल की पूजा की गई. फिर पूरे विधि विधान के साथ लोगों के बीच सरहुल महोत्सव मनाया गया. इस महोत्सव के दौरान घंटों नृत्य संगीत का दौर चला. समारोह का मुख्य आकर्षण का केंद्र रहा 9 जनजातीय और क्षेत्रीय भाषाओं का गीत और नृत्य. इसे विभाग के छात्र-छात्राओं ने प्रस्तुत किया. ढोल मांदर की थाप पर थिरकते कदमों ने सबको झूमने पर मजबूर कर दिया. पारंपरिक जनजातीय परिधानों में सजे धजे युवाओं ने नृत्य की मस्ती के साथ-साथ संस्कृति के लिए अपना लगाव व्यक्त किया. पूजा के दौरान सर्व कल्याण की कामना की गई. वहीं डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय में भी सरहुल महोत्सव का आयोजन किया गया.
अखरा में पूजा अर्चनाः मौके पर रांची विश्वविद्यालय की कुलपति कामिनी कुमार ने कहा कि एक परंपरा के तहत प्रत्येक वर्ष इस विभाग में यह कार्यक्रम आयोजित होता आया है. कोरोना के कारण पिछले 2 वर्षों से समारोह का आयोजन नहीं हुआ. लेकिन पूजा-अर्चना जरूर की गई. इस वर्ष समारोह का भी आयोजन हो रहा है. जहां लोग जमकर उत्सव मना रहे हैं. बताते चलें कि जनजातीय भाषा विभाग में विदेशी मेहमान भी सरहुल महोत्सव का आनंद लेने पहुंचते हैं. इस वर्ष भी कई विदेशी मेहमान महोत्सव के मौके पर जनजातीय भाषा विभाग पहुंचे.