रांचीः कोरोना महामारी के मद्देनजर ऑनलाइन पठन-पाठन ही विद्यार्थियों का फिलहाल सहारा है और ऑनलाइन पठन-पाठन को सुचारू तरीके से संचालित करने को लेकर शिक्षक और प्रोफेसर की अहम भूमिका है. रांची विश्वविद्यालय के एसएस मेमोरियल कॉलेज के दिव्यांग एक प्रोफेसर इस व्यवस्था को बेहतर संचालित करने में अहम भूमिका निभा रहे है. इतिहास विषय के प्रोफेसर मोहित कुमार लाल ने इस क्षेत्र में अब तक सामान्य शिक्षकों से भी बेहतर काम किया है.
कोविड-19 और लोगों की वजह से देशभर के शिक्षण संस्थानों में ऑनलाइन पठन-पाठन ही संचालित हो रही है. अलग-अलग विश्वविद्यालय अलग-अलग तरीके से अपने विद्यार्थियों तक ऑनलाइन माध्यम से स्टडी मैटेरियल पहुंचा रही है. रांची विश्वविद्यालय द्वारा भी अपने विद्यार्थियों तक ऑनलाइन माध्यम से पठन-पाठन सुचारू करने की कोशिश की जा रही है और इसमें अहम भूमिका निभा रहे हैं. इस विश्वविद्यालय के सैकड़ों प्रोफेसर. रांची विश्वविद्यालय अपने बेवसाइट, यूट्यूब चैनल के अलावे रेडियो खांची 90.4 एफएम पर भी अपने लेक्चरर का लेक्चर अपलोड कर विद्यार्थियों तक विभिन्न विषयों के संबंध में जानकारी पंहुचा रही है.
प्रोफेसर अब तक 50 वीडियो कर चुके हैं अपलोड
इसमें रांची विश्वविद्यालय के प्राध्यापक अहम योगदान दे रहे हैं, लेकिन इस व्यवस्था को सुचारू और व्यवस्थित करने के लिए जिन प्राध्यापकों की अहम भूमिका है उनमें रांची विश्वविद्यालय के एक दृष्टिबाधित प्रोफेसर मोहित कुमार लाल का नाम सबसे ऊपर है. जिनके दृढ़ इच्छाशक्ति के कारण अब तक यह व्यवस्था रांची विश्वविद्यालय का सफल व्यवस्था साबित हो रहे है. ये है एसएस मेमोरियल कॉलेज के हिस्ट्री के प्रोफेसर मोहित लाल जो नेत्र से दिव्यांग है, लेकिन सामान्य शिक्षकों से भी इस क्षेत्र में यह बेहतर काम कर रहे हैं. हालांकी समय-समय पर बच्चों की और धर्म पत्नी की सहयोग ले लेते हैं, लेकिन अगर सब व्यस्त हैं तो खुद से ही यूट्यूब पर अपना लेक्चर अपलोड करते हैं. अब तक इनके द्वारा 50 से अधिक लेक्चर रेडियो खांची के यूट्यूब चैनल पर अपलोड किया जा चुका है.
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शिक्षक ने ब्रेल लिपि से जुड़े लाइब्रेरी की मांग की
सामान्य शिक्षकों से यह आंकड़ा ज्यादा है, क्योंकि कई ऐसे शिक्षक है जिनके तो 10 से अधिक लेक्चर अपलोड तक नहीं हुए हैं. ऐसे में दृष्टि बाधित होने के बावजूद यह प्रोफेसर सामान्य शिक्षकों से बेहतर काम कर रहे हैं. हालांकि मदन लाल की एक पीड़ा भी है. वह कहते हैं झारखंड में आज तक एक भी ब्रेल लिपि से जुड़े लाइब्रेरी नहीं बन पाई है. दृष्टिबाधितों के लिए ऑडियो लाइब्रेरी की भी व्यवस्था इस प्रदेश में नहीं हो सका है. जिससे कि दृष्टिबाधितों की परेशानियां थोड़ी कम हो सके. जबकि अन्य राज्यों में ब्रेल लिपि से जुड़े लाइब्रेरी, ऑडियो लाइब्रेरी की समुचित व्यवस्था है और उन प्रदेशों के दृष्टिबाधित शिक्षक विद्यार्थी उसका लाभ भी उठाते हैं और अगर सरकार विश्वविद्यालय प्रशासन ध्यान दें तो यहां के ऐसे होनहार विद्यार्थियों के लिए यैसे लाइब्रेरी मील का पत्थर साबित होगा.
रेडियो खांची के निदेशक ने भी की तारीफ
जब इस प्रोफेसर के संबंध में रेडियो खांची के निदेशक आनंद ठाकुर से चर्चा की गई तो उन्होंने भी इन की प्रशंसा की उन्होंने कहा कि सामान्य दिनों में भी यह प्रोफेसर काफी पंक्चुअल है. कोरोना वायरस काल के दौरान तो इन्होंने विद्यार्थियों के लिए काफी बेहतर काम किया है. लगातार ऑनलाइन स्टडी मटेरियल घर परिवार का सहयोग लेकर रेडियो खांची तक पहुंचा रहे हैं. वहीं फोन के जरिए भी विद्यार्थियों तक अपने विषय से संबंधित जानकारियां दे रहे हैं. ऑनलाइन मिड सेमेस्टर का संचालन करने में भी इनकी अहम भूमिका है .
विद्यार्थियों के लिए है आदर्श गुरु
वहीं, विद्यार्थी भी अपने इस गुरु से काफी खुश हैं. एक छात्रा कहती है कि इनके द्वारा पढ़ाया गया विषय वस्तु को याद रखना काफी आसान है. यह अपने ढंग से बेहतर तरीके से समझाते हैं और लेक्चर को भी प्रेजेंट करते हैं. वैसे तो रांची विश्वविद्यालय में कई प्रोफेसर है, लेकिन ऐसे प्रोफेसरों की वजह से विकट परिस्थिति में भी रांची विश्वविद्यालय बेहतर करने में सफल हो रही है. यह विश्वविद्यालय के लिए भी गर्व की बात है कि उनके पास ऐसे ऐसे शिक्षक हैं जो सिर्फ और सिर्फ विद्यार्थियों के लिए ही जीते हैं और उनके भविष्य के बारे में सोचते हैं. प्रोफेसर मोहित लाल जैसे शिक्षक विद्यार्थियों के लिए ही जीते हैं उनके भविष्य को संवारने को लेकर लगातार जुटे रहते हैं और कोरोना वायरस काल जैसे विकट परिस्थिति में भी दिव्यांग होने के बावजूद वह मिसाल पेश कर रहे हैं.