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फर्जी तरीके से एसपी समेत अन्य पर फंसाने का आरोप, राज्य पुलिस शिकायत प्राधिकार में की गई शिकायत

रामगढ़ पुलिस (Ramgarh Police) ने गांजा केस में आरटीआई एक्टिविस्ट प्रमोद कुमार सिंह (RTI activist Pramod Kumar Singh) को गिरफ्तार किया था. इस मामले में आरटीआई एक्टिविस्ट ने रामगढ़ के एसपी प्रभात कुमार, पूर्व एसडीपीओ प्रकाश चंद्र महतो और भुरकुंडा के पूर्व थानेदार रघुनाथ सिंह पर फर्जी तरीके से फंसाने का आरोप लगाया है. उन्होंने तीनों के खिलाफ राज्य पुलिस शिकायत प्राधिकार में शिकायत की है.

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एसपी पर आरोप
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Published : Jul 29, 2021, 10:52 PM IST

रांची: रामगढ़ पुलिस (Ramgarh Police) के द्वारा गांजा केस में गिरफ्तार आरटीआई एक्टिविस्ट प्रमोद कुमार सिंह (RTI activist Pramod Kumar Singh) ने रामगढ़ के एसपी प्रभात कुमार, पूर्व एसडीपीओ प्रकाश चंद्र महतो और भुरकुंडा के पूर्व थानेदार रघुनाथ सिंह के खिलाफ राज्य पुलिस शिकायत प्राधिकार में शिकायत की है.

इसे भी पढे़ं: NHRC ने रामगढ़ एसपी पर लगे आरोपों पर लिया संज्ञान, सीआईडी के डीआईजी को मिला जांच का जिम्मा


डीआईजी से मांगी रिपोर्ट


शिकायत के बाद प्राधिकार के अवर सचिव विष्णुकांत राय ने पूरे मामले में हजारीबाग रेंज के डीआईजी नरेंद्र कुमार सिंह से रिपोर्ट मांगी है. हजारीबाग डीआईजी से प्राधिकारी ने शिकायत के सभी बिंदूओं व तथ्यों की पड़ताल करने के साथ ही अपने मंतव्य के साथ रिपोर्ट की मांग की है. डीआईजी का मंतव्य पूरे मामले में अहम होगा.



मानवाधिकार आयोग के पहल पर भी हुई थी सीआईडी जांच

प्रमोद सिंह को जेल भेजने के मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से भी शिकायत की गई थी. मानवाधिकार आयोग ने पुलिस मुख्यालय को स्वतंत्र जांच कराने का निर्देश दिया था, जिसके बाद सीआईडी इस मामले में अलग से जांच कर रही थी. अपनी शुरुआती जांच में पुलिस ने रामगढ़ पुलिस की भूमिका गलत पाया था. हालांकि अब तक सीआईडी की जांच पूरी नहीं हो पाई है.

इसे भी पढे़ं: सिमडेगा में नशे के सौदागरों को बड़ा झटका, पुलिस ने 30 लाख का गांजा किया जब्त



राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से दो बार लगाई थी गुहार

रामगढ़ पुलिस के द्वारा गांजा केस में गिरफ्तार आरटीआई एक्टिविस्ट प्रमोद कुमार सिंह ने इंसाफ के लिए दो दो बार राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) से गुहार लगाई थी. प्रमोद कुमार सिंह ने इस मामले में एनएचआरसी को पत्र लिखा था कि आयोग के द्वारा तय समय सीमा के भीतर झारखंड पुलिस ने मामले की जांच नहीं की. एनएचआरसी ने झारखंड पुलिस को निर्देश दिया था कि मामले की जांच कर रिपोर्ट सौंपी जाए, जिसके बाद राज्य पुलिस मुख्यालय ने मामले में सीआईडी से जांच का आदेश दिया था. सीआईडी ने अपनी शुरुआती जांच में रामगढ़ पुलिस की गलती भी पकड़ी थी. वर्तमान में मामले की जांच हजारीबाग क्षेत्रीय कार्यालय के द्वारा की जा रही है.



क्या है अफसरों के खिलाफ शिकायत

प्रमोद कुमार सिंह ने आरोप लगाया था कि रामगढ़ में कोयला के अवैध कारोबार और भ्रष्टाचार के खिलाफ वह लगातार आवाज उठाते थे, जिसके कारण रामगढ़ पुलिस ने उन्हें और उनके साथ चार अन्य लोगों को डेढ़ किलोग्राम गांजा प्लांट कर जेल भेज दिया था. बाद में हाई कोर्ट ने उन्हें जमानत दी थी. आरोप है कि रामगढ़ एसपी समेत अन्य अधिकारियों ने संविधान प्रदत्त शक्तियों का गलत उपयोग करते हुए प्रमोद कुमार सिंह को गांजा केस में फंसाकर जेल भेज दिया.

रांची: रामगढ़ पुलिस (Ramgarh Police) के द्वारा गांजा केस में गिरफ्तार आरटीआई एक्टिविस्ट प्रमोद कुमार सिंह (RTI activist Pramod Kumar Singh) ने रामगढ़ के एसपी प्रभात कुमार, पूर्व एसडीपीओ प्रकाश चंद्र महतो और भुरकुंडा के पूर्व थानेदार रघुनाथ सिंह के खिलाफ राज्य पुलिस शिकायत प्राधिकार में शिकायत की है.

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डीआईजी से मांगी रिपोर्ट


शिकायत के बाद प्राधिकार के अवर सचिव विष्णुकांत राय ने पूरे मामले में हजारीबाग रेंज के डीआईजी नरेंद्र कुमार सिंह से रिपोर्ट मांगी है. हजारीबाग डीआईजी से प्राधिकारी ने शिकायत के सभी बिंदूओं व तथ्यों की पड़ताल करने के साथ ही अपने मंतव्य के साथ रिपोर्ट की मांग की है. डीआईजी का मंतव्य पूरे मामले में अहम होगा.



मानवाधिकार आयोग के पहल पर भी हुई थी सीआईडी जांच

प्रमोद सिंह को जेल भेजने के मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से भी शिकायत की गई थी. मानवाधिकार आयोग ने पुलिस मुख्यालय को स्वतंत्र जांच कराने का निर्देश दिया था, जिसके बाद सीआईडी इस मामले में अलग से जांच कर रही थी. अपनी शुरुआती जांच में पुलिस ने रामगढ़ पुलिस की भूमिका गलत पाया था. हालांकि अब तक सीआईडी की जांच पूरी नहीं हो पाई है.

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राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से दो बार लगाई थी गुहार

रामगढ़ पुलिस के द्वारा गांजा केस में गिरफ्तार आरटीआई एक्टिविस्ट प्रमोद कुमार सिंह ने इंसाफ के लिए दो दो बार राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) से गुहार लगाई थी. प्रमोद कुमार सिंह ने इस मामले में एनएचआरसी को पत्र लिखा था कि आयोग के द्वारा तय समय सीमा के भीतर झारखंड पुलिस ने मामले की जांच नहीं की. एनएचआरसी ने झारखंड पुलिस को निर्देश दिया था कि मामले की जांच कर रिपोर्ट सौंपी जाए, जिसके बाद राज्य पुलिस मुख्यालय ने मामले में सीआईडी से जांच का आदेश दिया था. सीआईडी ने अपनी शुरुआती जांच में रामगढ़ पुलिस की गलती भी पकड़ी थी. वर्तमान में मामले की जांच हजारीबाग क्षेत्रीय कार्यालय के द्वारा की जा रही है.



क्या है अफसरों के खिलाफ शिकायत

प्रमोद कुमार सिंह ने आरोप लगाया था कि रामगढ़ में कोयला के अवैध कारोबार और भ्रष्टाचार के खिलाफ वह लगातार आवाज उठाते थे, जिसके कारण रामगढ़ पुलिस ने उन्हें और उनके साथ चार अन्य लोगों को डेढ़ किलोग्राम गांजा प्लांट कर जेल भेज दिया था. बाद में हाई कोर्ट ने उन्हें जमानत दी थी. आरोप है कि रामगढ़ एसपी समेत अन्य अधिकारियों ने संविधान प्रदत्त शक्तियों का गलत उपयोग करते हुए प्रमोद कुमार सिंह को गांजा केस में फंसाकर जेल भेज दिया.

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