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बेटे को रिक्शा पर बैठाकर सवारी लेने निकलते हैं मुख्तार, पीछे की कहानी दिल झकझोरने वाली

शहर में एक ऐसा रिक्शा चालक है जो अपने 4 साल के बच्चे को रिक्शा पर बैठाकर ही सवारी उठाने के लिए निकलता है. उसकी कहानी दिल को झकझोर देने वाली है. वह दिन भर कई परेशानियों से जूझते हुए अपनी रोजी-रोटी की तलाश में रहता है. लेकिन पिछले 4 दिनों से रांची शहर में अचानक बिगड़े माहौल के कारण उन्हें और भी कई परेशानियों का सामना करना पड़ा. क्या है उनकी पूरी कहानी देखें ये रिपोर्ट

rickshaw puller of Ranchi
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Published : Jun 15, 2022, 4:54 PM IST

Updated : Jun 16, 2022, 6:49 AM IST

रांची: आपने फिल्म कुंआरा बाप देखी होगी. उसमें रिक्शा चालक के रूप में महमूद हैं जो अपने बच्चे को अपने साथ रिक्शा पर बैठाकर ही सवारी लेने जाते थे. कुछ यही कहानी रांची के मोहम्मद मुख्तार की भी है. मुख्तार अपने चार साल के बेटे को हमेशा अपनी रिक्शा में बैठाकर ही सवारियों के लिए निकलते हैं. जिंदगी जद्दोजहद के बीच 10 जून को हुई हिंसा ने इनकी परेशानी और बढ़ा दी.

ये भी पढ़ें: देवघर एयरपोर्ट से जल्द शुरू होगी उड़ान, अगले महीने पीएम मोदी कर सकते हैं उद्घाटन

10 जून शुक्रवार जुमे की नमाज के बाद दोपहर के वक्त राजधानी रांची का अल्बर्ट एक्का चौक से लेकर सुजाता चौक रण क्षेत्र में तब्दील रहा. एक हिंसक घटना हुई जिससे पूरी रांची में भय का माहौल व्याप्त हो गया. दुकानें बंद हो गईं. सड़कें सूनी हो गई, चारों ओर सन्नाटा पसर गया. उपद्रवियों को देखते हुए पुलिस को मजबूरन रांची शहर के शहरी क्षेत्रों में धारा 144 लागू करना पड़ा. सभी चौक चौराहों पर पुलिस फोर्स भर दिया गया. रिक्शा, टेंपो, ऑटो, निजी वाहन सब के पहिए थम गए और इससे सबसे ज्यादा प्रभावित हुए डेली कमाने और खाने वाले लोग.

देखें स्पेशल स्टोरी

इन सब के बीच राजधानी रांची में ऐसा मंजर भी दिखा जो इंसानियत को अंदर तक झकझोर रहा था. दरअसल राजधानी रांची में एक ऐसा रिक्शा चालक है जो अपने 4 साल के बच्चे को रिक्शा पर लेकर ही सवारी उठाने निकलता है. पिछले 2 वर्षों से मोहम्मद मुख्तार नाम का ये शख्स हर दिन अपने बच्चे को रिक्शा में बैठाकर ही सवारी ढूंढने निकलता है. मुख्तार कई परेशानियों से जूझते हुए अपनी रोजी-रोटी चला रहे हैं. इस बीच शहर का माहौल अचानक खराब होने से उनकी परेशानियां और बढ़ गई हैं. पिछले 3 दिनों से यह व्यक्ति शहर बंद रहने के कारण ये दो जून की रोटी का तक का जुगाड़ नहीं कर पा रहे थे नौबत भीख मांगने तक की आ गई है.

हालांकि इस बीच ट्रैफिक और पुलिस प्रशासन की ओर से उन्हें खाने पीने के लिए कुछ मदद जरूर की गई. मोहम्मद मुख्तार कहते हैं कि इस तरीके का माहौल से आम जनजीवन ही प्रभावित होते हैं. गरीब तबके के लोग रोज कमाने खाने वाले लोगों के जीवन में ऐसा माहौल अमावस की रात की तरह है.


ऐसे माहौल समाज में ना बने इसे लेकर समाज को सोचने की जरूरत है. मुख्तार के अनुसार उनकी पत्नी का चार साल पहले ही देहांत हो गया है उसके बाद से ही वो बच्चे को खुद पाल रहे हैं. जब बच्चा थोड़ा बड़ा हुआ तब वह रिक्शा में बैठा कर ही बच्चे को सवारी ढूंढने निकलते हैं. बच्चे का खानपान तमाम चीजें वह राह चलते ही करते हैं. उनका जीवन भी किसी तरह इन परेशानियों को लेकर भी सामान्य चल रहा था. लेकिन शुक्रवार से बिगड़े रांची के माहौल के कारण थोड़ी समस्या और बढ़ा दी है.

रांची: आपने फिल्म कुंआरा बाप देखी होगी. उसमें रिक्शा चालक के रूप में महमूद हैं जो अपने बच्चे को अपने साथ रिक्शा पर बैठाकर ही सवारी लेने जाते थे. कुछ यही कहानी रांची के मोहम्मद मुख्तार की भी है. मुख्तार अपने चार साल के बेटे को हमेशा अपनी रिक्शा में बैठाकर ही सवारियों के लिए निकलते हैं. जिंदगी जद्दोजहद के बीच 10 जून को हुई हिंसा ने इनकी परेशानी और बढ़ा दी.

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10 जून शुक्रवार जुमे की नमाज के बाद दोपहर के वक्त राजधानी रांची का अल्बर्ट एक्का चौक से लेकर सुजाता चौक रण क्षेत्र में तब्दील रहा. एक हिंसक घटना हुई जिससे पूरी रांची में भय का माहौल व्याप्त हो गया. दुकानें बंद हो गईं. सड़कें सूनी हो गई, चारों ओर सन्नाटा पसर गया. उपद्रवियों को देखते हुए पुलिस को मजबूरन रांची शहर के शहरी क्षेत्रों में धारा 144 लागू करना पड़ा. सभी चौक चौराहों पर पुलिस फोर्स भर दिया गया. रिक्शा, टेंपो, ऑटो, निजी वाहन सब के पहिए थम गए और इससे सबसे ज्यादा प्रभावित हुए डेली कमाने और खाने वाले लोग.

देखें स्पेशल स्टोरी

इन सब के बीच राजधानी रांची में ऐसा मंजर भी दिखा जो इंसानियत को अंदर तक झकझोर रहा था. दरअसल राजधानी रांची में एक ऐसा रिक्शा चालक है जो अपने 4 साल के बच्चे को रिक्शा पर लेकर ही सवारी उठाने निकलता है. पिछले 2 वर्षों से मोहम्मद मुख्तार नाम का ये शख्स हर दिन अपने बच्चे को रिक्शा में बैठाकर ही सवारी ढूंढने निकलता है. मुख्तार कई परेशानियों से जूझते हुए अपनी रोजी-रोटी चला रहे हैं. इस बीच शहर का माहौल अचानक खराब होने से उनकी परेशानियां और बढ़ गई हैं. पिछले 3 दिनों से यह व्यक्ति शहर बंद रहने के कारण ये दो जून की रोटी का तक का जुगाड़ नहीं कर पा रहे थे नौबत भीख मांगने तक की आ गई है.

हालांकि इस बीच ट्रैफिक और पुलिस प्रशासन की ओर से उन्हें खाने पीने के लिए कुछ मदद जरूर की गई. मोहम्मद मुख्तार कहते हैं कि इस तरीके का माहौल से आम जनजीवन ही प्रभावित होते हैं. गरीब तबके के लोग रोज कमाने खाने वाले लोगों के जीवन में ऐसा माहौल अमावस की रात की तरह है.


ऐसे माहौल समाज में ना बने इसे लेकर समाज को सोचने की जरूरत है. मुख्तार के अनुसार उनकी पत्नी का चार साल पहले ही देहांत हो गया है उसके बाद से ही वो बच्चे को खुद पाल रहे हैं. जब बच्चा थोड़ा बड़ा हुआ तब वह रिक्शा में बैठा कर ही बच्चे को सवारी ढूंढने निकलते हैं. बच्चे का खानपान तमाम चीजें वह राह चलते ही करते हैं. उनका जीवन भी किसी तरह इन परेशानियों को लेकर भी सामान्य चल रहा था. लेकिन शुक्रवार से बिगड़े रांची के माहौल के कारण थोड़ी समस्या और बढ़ा दी है.

Last Updated : Jun 16, 2022, 6:49 AM IST
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