रांची: राज्य के गढ़वा और पलामू जिलों के खेतों की सिंचाई के लिए बन रही कनहर बराज परियोजना के कार्यों को तेज करने का निर्देश मुख्य सचिव डॉ. डीके तिवारी ने दिया है. उन्होंने बराज के सभी प्राथमिक कार्यों की समय सीमा तय की और अधिकारियों को निर्देश दिया कि तय समय सीमा के भीतर अनुपालन सुनिश्चित करें.
मुख्य सचिव ने मंगलवार को झारखंड मंत्रालय में इसकी समीक्षा की है. इसके साथ ही छत्तीसगढ़ और झारखंड के जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता को आपस में मिलकर दोनों राज्यों की सीमा पर स्थित जमीन की मालिकाना स्थिति 28 फरवरी तक स्पष्ट कर संयुक्त रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है. दरअसल, प्रोजेक्ट से जुड़ी 58.01 हेक्टेयर जमीन को झारखंड-छत्तीसगढ़ की सीमा में मान रहा है, लेकिन छत्तीसगढ़ का कहना है कि यह जमीन 79.55 हेक्टेयर है. सीमा रेखा पर स्थित इस जमीन की वास्तविक स्थिति स्पष्ट नहीं होने से भी प्रोजेक्ट का काम में अपेक्षा के अनुरूप प्रगति नहीं हो पा रही है.
कनहर बराज प्रोजेक्ट के लिए पलामू और गढ़वा जिले में कुल 1019 हेक्टेयर जमीन की जरूरत पड़ेगी. उसमें से 866.62 हेक्टेयर जमीन की वास्तविक स्थित ज्ञात हो चुकी है. दोनों जिला के उपायुक्तों ने समीक्षा के दौरान बताया की चिह्नित जमीन में से 90 प्लाटों की प्रकृति स्पष्ट होनी बाकी है. मुख्य सचिव ने तीन फरवरी तक पूरी जमीन की स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश उपायुक्तों को दिया है.
वहीं, जमीन की प्रकृति स्पष्ट कर जंगल-झाड़ से जुड़ी जमीन को फॉरेस्ट क्लीयरेंस के लिए वन विभाग को ऑनलाइन उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है. जल संसाधन विभाग और वन विभाग को निर्देश दिया गया कि फॉरेस्ट क्लीयरेंस से संबंधित जमीन पर स्थित पेड़ों के चिह्नितीकरण का काम 30 अप्रैल तक आपस में तालमेल कर पूरा कर लें.
छत्तीसगढ़ से झारखंड में प्रवेश करने वाली कनहर नदी पर बराज बनने से इसका सर्वाधिक लाभ गढ़वा जिले के किसानों को होगा. गढ़वा के भवनाथपुर, विशुनपुर, चिनिया, डंडई, धुरकी, गढ़वा, कांडी, केतार, मझिआंव, मेराल, नगर उंटारी, रमना, रंका और पलामू के चैनपुर प्रखंड के खेतों को बराज के पानी से सिंचित करने की योजना है.
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मुख्य सचिव डॉ. डीके तिवारी की अध्यक्षता में संपन्न समीक्षा बैठक में जल संसाधन विभाग के अपर मुख्य सचिव अरूण कुमार सिंह, झारखंड और छत्तीसगढ़ के जल संसाधन विभाग के अभियंता प्रमुख समेत अन्य संबंधित अधिकारी मौजूद थे.