रांची: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की घोषणा पर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने तल्ख अंदाज में अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि कानून के विरोध में अपने बच्चों के साथ सड़कों पर आंदोलन करने वाले किसानों को फसल की क्षति पूर्ति के लिए सरकार को 10-10 लाख रुपए देना चाहिए. उन्होंने केंद्रीय कृषि मंत्री से तुरंत इस्तीफा देने की मांग की है.
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मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि भाजपा के नेताओं को अहसास था कि कुछ राज्यों में होने जा रहे विधानसा चुनाव में इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा. सीएम ने इस घोषणा को हास्यास्पद करार दिया. उन्होंने कहा कि देश के अन्नदाताओं के साथ बुरा व्यवहार हुआ है. अब हितैषी बनने की कोशिश की जा रही है. इससे भाजपा का चेहरा उजागर हो गया है.
'काले कानून को वापस होना ही था'
झारखंड के ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम ने कहा ही इस काले कानून को वापस होना ही था. उन्होंने कहा कि देशभर में इसके खिलाफ आंदोलन चला. कांग्रेस पार्टी लगातार इसके विरोध में रही और किसानों का समर्थन करती रही. उन्होंने कहा कि कोई भी कानून बनाने से पहले केंद्र सरकार को राज्य सरकार और जनता की राय जानना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हुआ, जिसके कारण विरोध झेलना पड़ा.
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भाजपा ने फैसले का स्वागत किया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा का झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवर दास ने स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि तीनों कृषि कानून किसानों के हित में थे लेकिन किसानों को गुमराह किया गया, जिसके कारण किसान आंदोलन करते रहे और प्रधानमंत्री को फैसला लेना पड़ा. विपक्ष के बयान अंहकार की हार हुई है, उस पर रघुवर दास ने कहा कि विपक्ष इसे मुद्दा ना बनाए. न्यायालय में भी कभी कभी फैसले बदले जाते हैं, उन्होंने किसानों को आंदोलन समाप्त कर अपने गांव में गुरु पर्व मनाने की अपील की है.
कोयलांचल में कांग्रेस ने बांटी मिठाई
तीनों कृषि कानून वापस लेने की घोषणा से कोयलांचल धनबाद के कांग्रेसियों में खुशी की लहर है. कांग्रेस नेताओं ने रणधीर वर्मा चौक पर लोगों को मिठाई खिलाकर अपनी खुशी का इजहार किया. कांग्रेस जिला अध्यक्ष बृजेंद्र सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार को महंगाई पर भी लगाम जल्द लगानी होगी, कांग्रेस के अभियान से केंद्र सरकार की नींद उड़ी हुई है. उन्होंने सरकार से मांग की है कि जल्द से जल्द पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया जाए ताकि आमजनों को महंगाई से राहत मिल सके.