रांची: राजधानी रांची के धुर्वा से पकड़े गए कुख्यात गैंगस्टर अमन साव को पुलिस ने 48 घंटे के लिए रिमांड पर लिया है. अमन से पुलिस ने पूछताछ शुरू कर दी है. इसके अलावा अमन गैंग के चार अन्य शूटरों को भी 24 घंटे की रिमांड पर लिया गया था, जिन्हें वापस जेल भेज दिया गया है.
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जोनल कमांडर तिलकेश्वर गोप के पास छोड़ आया है एके-47
गिरफ्तारी के बाद जेल जाने से पहले की पूछताछ में अमन साव ने बताया है कि वह दो एके-47 हथियार रखता था. जिसे पकड़े जाने से ठीक पहले पीएलएफआई के जोनल कमांडर तिलकेश्वर गोप के पास छोड़ आया है. चुटिया में 12 जुलाई को जब अमन साव के पांच शूटर पकड़े गए, तभी अमन खूंटी के तपकरा में ठिकाने लिए पीएलएफआई के जोनल कमांडर तिलकेश्वर गोप के पास पहुंच गया और अपना दोनों एके-47 हथियार छोड़ आया.
7 जिलों का मोस्टवांटेड है अमन
बता दें कि झारखंड पुलिस के लिए सिरदर्द और सात जिलों का मोस्टवांटेड गैंगस्टर अमन साव को रांची पुलिस ने अमन साव और शूटर जयशंकर दूबे उर्फ राहुल दूबे को धुर्वा से दबोचा था. पकड़े जाने के बाद अमन ने सुजीत सिन्हा के बारे में कई जानकारियां दी है. जिस पर रांची पुलिस सहित राज्य की अलग-अलग जिलों की पुलिस काम कर रही है. अमन के साथ पकड़ा गया दूसरा अपराधी कोविड-19 पॉजिटिव निकला था. इसके बाद उसे रिम्स में कैदियों के लिए बने आइसोलेशन वार्ड में रखा गया है.
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राज्यभर में दर्ज हैं 49 मामले
अमन साव पर रांची में रंगदारी और अपराध की योजना बनाने से संबंधित चार मामले दर्ज हैं, जबकि राज्यभर के अलग-अलग थानों में 49 मामले दर्ज हैं. अमन साव को धनबाद, रांची, रामगढ़, पलामू, हजारीबाग, चतरा और लातेहार जिले की पुलिस के लिए चुनौती बन गया था. हजारीबाग के उरीमारी, बड़कागांव, डाड़ीकला, गिद्दी, केरेडारी थाना क्षेत्र, चतरा जिले के पिपरवार थाना क्षेत्र, लातेहार जिला के चंदवा थाना क्षेत्र में कार्यरत कोयला कंपनियों, ट्रांसपोर्टरों और उद्यमियों से लेवी की मांग करता था. लेवी नहीं देने पर जान से मारने की धमकी के साथ-साथ वाहनों को जलाने की धमकी देता था.
नहीं पकड़ा जाए इस लिए जैमर का करता था इस्तेमाल
कुख्यात अपराधी अमन साव आईटीआई तकनीक की पूरी जानकारी रखता है. पकड़ा न जाए इस लिए वह हॉटस्पॉट डिवाइस और जैमर रखता था. छोटे जैमर की पहुंच 100 मीटर तक मोबाइल टावरों से मिले सिग्नल पकड़कर ही मोबाइल काम करता है. मगर, जैमर टावरों से मिलने वाले सिग्नल को मोबाइल तक पहुंचने ही नहीं देता है. ऐसे में सिग्नल (नेटवर्क) न मिलने के कारण मोबाइल पर कॉल संभव नहीं होता है. बाजार में छह से लेकर 25 हजार रुपए तक के छोटे मोबाइल जैमर मौजूद हैं, जिनकी रेंज दस से लगभग 100 मीटर तक की होती है. ये आकार में बहुत छोटे होते हैं, जिन्हें आसानी से अपने साथ ले जाया जा सकता है. इनका वजन भी एक किलोग्राम से कम ही होता है. इसके अलावा सुरक्षा एजेंसियों, सेना और पुलिस बड़े मोबाइल जैमरों का प्रयोग करते हैं, जिनकी रेंज काफी ज्यादा होती है.
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नहीं करता था फोन कॉल का इस्तेमाल
अमन पुलिस से बचने के लिए अपने साथ जैमर रखता था. जैमर की वजह से पुलिस टेक्निकल सर्विलांस के जरिए भी अमन साव की मौजूदगी का पता नहीं लगा पाती थी. वहीं, अगर कोई देख भी लेता था तो मोबाइल नेटवर्क नहीं होने के कारण तत्काल पुलिस को कॉल नहीं कर पाता था. अमन साव मोबाइल फोन कॉल का इस्तेमाल नहीं करता था, सिर्फ वाईफाई का चलाता था. अपने लोगों से फेसबुक, वाहट्अप, इंस्टाग्राम के जरिए संपर्क करता था. पुलिस को इसी सोशल मीडिया के जरिए अमन साव का लोकेशन मिला, जिसके बाद उसकी गिरफ्तारी हुई.