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अधिकारों में कटौती से बिफरीं मेयरः कहा- मैं कोई शो-पीस नहीं हूं, कोर्ट जाने की तैयारी

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Published : Sep 10, 2021, 6:38 PM IST

Updated : Sep 10, 2021, 7:39 PM IST

झारखंड नगरपालिका अधिनियम 2011 को लेकर गतिरोध जारी है. मेयर के अधिकारों में कटौती से आशा लकड़ा कोर्ट जाने की तैयारी में हैं. उन्होंने सरकार को निशाने पर लेते हुए कहा कि मैं कोई शो-पीस नहीं हूं.

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मेयर आशा लकड़ा

रांचीः पहले से ही रांची नगर आयुक्त और मेयर आशा लकड़ा के बीच तनातनी जारी है. नगर विकास विभाग की ओर से मेयर के अधिकार और कर्तव्यों को लेकर महाधिवक्ता का मंतव्य मांगने का मुद्दा और गरमा गया है.

इसे भी पढ़ें- झारखंड नगरपालिका संशोधन विधेयक 2021: मेयर के अधिकारों में कटौती पर पक्ष और विपक्ष आमने-सामने


इसको लेकर शुक्रवार को निगम कार्यालय में रांची की मेयर आशा लकड़ा ने हजारीबाग की मेयर रोशनी तिर्की, खूंटी नगर पंचायत अध्यक्ष अर्जुन पाहन, चतरा नगर परिषद अध्यक्ष गुंजा देवी और रामगढ़ नगर परिषद अध्यक्ष योगेश बेदिया के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन कर झारखंड नगरपालिका अधिनियम 2011 के विरोध में संघर्ष का एलान कर दिया है.

जानकारी देतीं मेयर आशा लकड़ा

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से बड़ी जनप्रतिनिधि हूं मैं- आशा लकड़ा
एक सवाल के जवाब में कहा कि कोई भी तंत्र संविधान और झारखंड नगरपालिका अधिनियम के मूल भावना को नहीं बदल सकता. जहां तक जनप्रतिनिधि की बात है तो वह मुख्यमंत्री से बड़ा जनप्रतिनिधि है क्योंकि वह अपने विधानसभा क्षेत्र के बामुश्किल 3 लाख लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं जबकि वह 12 लाख लोगों का निर्वाचित प्रतिनिधि हूं.

जानकारी देतीं हजारीबाग मेयर

महाधिवक्ता का मंतव्य झारखंड नगरपालिका अधिनियम 2011 के खिलाफ
मेयर आशा लकड़ा ने कहा कि झारखंड के महाधिवक्ता का मंतव्य उनका अपना विचार हो सकता है. महाधिवक्ता के मंतव्य को लोकतंत्र और नगर निकाय को मिले संवैधानिक अधिकार का हत्या करार देते हुए मेयर ने कहा कि महत्व अधिनियम के आलोक में दिया जाता है ना कि उसके खिलाफ.

जानकारी देतीं चतरा नगर परिषद अध्यक्ष

महाधिवक्ता के दिए गए मंतव्य इस प्रकार हैं...

  • नगरपालिका अधिनियम के मुताबिक नगर निकायों में आयोजित होने वाली पार्षदों की बैठक बुलाने का अधिकार केवल नगर आयुक्त, कार्यपालक पदाधिकारी और विशेष पदाधिकारी को है.
  • नगरपालिका अधिनियम के अनुसार पार्षदों के साथ बुलाई गई किसी भी बैठक के लिए एजेंडा तैयार करने का अधिकार भी नगर आयुक्त, कार्यपालक पदाधिकारी को ही है.
  • बैठक के एजेंडा और कार्रवाई में मेयर और अध्यक्ष की कोई भूमिका नहीं है.
  • आपातकालीन कार्य को छोड़ किसी भी परीस्थिति में मेयर और अध्यक्ष को अधिकार नहीं है कि वो एजेंडा में कोई बदलाव लाएं.
  • बैठक के बाद अध्यक्ष और मेयर को स्वतंत्र निर्णय का कोई अधिकार नहीं है. बैठक की कार्रवाई बहुमत के आधार पर तय होगी.
  • मेयर और अध्यक्ष को ये अधिकार नहीं है कि वो किसी भी अधिकारी और कर्मचारी को कारण बताओ नोटिस जारी करें.
  • मेयर और अध्यक्ष को यह अधिकार नहीं है कि वो किसी भी विभाग या कोषांग के द्वारा किए जा रहे कार्यों की समीक्षा करें.
  • किसी भी बैठक में अगर मेयर उपस्थित नहीं हैं तो डिप्टी मेयर कार्रवाई पर हस्ताक्षर करेंगे. अगर दोनों अनुपस्थित हैं तो पार्षदों द्वारा चयनित प्रोजाइडिंग ऑफिसर हस्ताक्षर करेंगे.

इसे भी पढ़ें- अब राज्य सरकार मेयर को कर सकती है पदमुक्त, बैठक बुलाने और एजेंडा तय करने का अधिकार भी खत्म


झारखंड नगरपालिका अधिनियम 2011 की धारा 74, 75, 76, 77, 78 और धारा 87 के उप-बंधों का जिक्र करते हुए आशा लकड़ा ने कहा कि मेयर और अध्यक्ष को निगम परिषद और स्थायी समिति की बैठक बुलाने का हक है तो आपातकालीन बैठक भी मेयर बुला सकता है. किसी एजेंडे पर चर्चा और उसपर सहमति असहमति का फैसला भी मेयर ही करेगा ऐसा उल्लेखित है. आशा लकड़ा ने निगम की ओर से कराए जा रहे जनउपयोगी कार्यों की समीक्षा जारी रखने के ऐलान करते हुए कहा कि हम जनता के वोट से जीतकर आए जनप्रतिनिधि हैं.

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क्या है महाधिवक्ता का मंतव्य

हक और कानून के लिए सामूहिक रूप से उच्च न्यायालय में याचिका होगी दायर
मेयर आशा लकड़ा ने महाधिवक्ता के मंतव्य को कानून विरोधी बताते हुए कहा कि उनके अलावा अन्य नगर निकायों के मेयर, अध्यक्ष सामूहिक रूप से अदालत में याचिका दायर करेंगे. मेयर ने विभाग को निशाने पर लेते हुए कहा कि भ्रष्टाचार की गंगोत्री बहाना चाहता है विभाग. आशा लकड़ा ने कहा कि रांची नगर निगम में बिना निगम परिषद से स्वीकृति के काम कराए जा रहे हैं, इसलिए भुगतान में समस्या उतपन्न हो रही है इसलिए नगर विकास विभाग इस तरह का षड्यंत्र रच रहा है.

वर्तमान सरकार में निकाय के अधिकारी करते हैं जनप्रतिनिधियों को अपमानित
आज मेयर आशा लकड़ा की ओर से बुलाई गयी संवाददाता सम्मेलन में शामिल हुईं. हजारीबाग की मेयर रौशनी तिर्की और चतरा नगर परिषद की अध्यक्ष गुंजा देवी ने कहा कि अधिकारी जानबूझकर जनप्रतिनिधियों की बात नहीं सुनते और उनके अधिकारों का हनन करते हैं, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

इसे भी पढ़ें- RMC: हड़ताल तक पहुंचा मेयर और नगर आयुक्त का विवाद, कांग्रेस का तंज- कमीशन ना मिलने पर बौखलायीं महापौर


ज्यादातर नगर निकाय के मेयर अध्यक्ष भाजपा के इसलिए सरकार कर रही परेशान
रांची की मेयर आशा लकड़ा ने कहा कि ज्यादातर नगर निकाय, नगर परिषद और नगर पंचायत के मेयर और अध्यक्ष भाजपा के हैं. इसलिए सरकार और उनके अधिकारियों की ओर से परेशान किया जा रहा है.

रांचीः पहले से ही रांची नगर आयुक्त और मेयर आशा लकड़ा के बीच तनातनी जारी है. नगर विकास विभाग की ओर से मेयर के अधिकार और कर्तव्यों को लेकर महाधिवक्ता का मंतव्य मांगने का मुद्दा और गरमा गया है.

इसे भी पढ़ें- झारखंड नगरपालिका संशोधन विधेयक 2021: मेयर के अधिकारों में कटौती पर पक्ष और विपक्ष आमने-सामने


इसको लेकर शुक्रवार को निगम कार्यालय में रांची की मेयर आशा लकड़ा ने हजारीबाग की मेयर रोशनी तिर्की, खूंटी नगर पंचायत अध्यक्ष अर्जुन पाहन, चतरा नगर परिषद अध्यक्ष गुंजा देवी और रामगढ़ नगर परिषद अध्यक्ष योगेश बेदिया के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन कर झारखंड नगरपालिका अधिनियम 2011 के विरोध में संघर्ष का एलान कर दिया है.

जानकारी देतीं मेयर आशा लकड़ा

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से बड़ी जनप्रतिनिधि हूं मैं- आशा लकड़ा
एक सवाल के जवाब में कहा कि कोई भी तंत्र संविधान और झारखंड नगरपालिका अधिनियम के मूल भावना को नहीं बदल सकता. जहां तक जनप्रतिनिधि की बात है तो वह मुख्यमंत्री से बड़ा जनप्रतिनिधि है क्योंकि वह अपने विधानसभा क्षेत्र के बामुश्किल 3 लाख लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं जबकि वह 12 लाख लोगों का निर्वाचित प्रतिनिधि हूं.

जानकारी देतीं हजारीबाग मेयर

महाधिवक्ता का मंतव्य झारखंड नगरपालिका अधिनियम 2011 के खिलाफ
मेयर आशा लकड़ा ने कहा कि झारखंड के महाधिवक्ता का मंतव्य उनका अपना विचार हो सकता है. महाधिवक्ता के मंतव्य को लोकतंत्र और नगर निकाय को मिले संवैधानिक अधिकार का हत्या करार देते हुए मेयर ने कहा कि महत्व अधिनियम के आलोक में दिया जाता है ना कि उसके खिलाफ.

जानकारी देतीं चतरा नगर परिषद अध्यक्ष

महाधिवक्ता के दिए गए मंतव्य इस प्रकार हैं...

  • नगरपालिका अधिनियम के मुताबिक नगर निकायों में आयोजित होने वाली पार्षदों की बैठक बुलाने का अधिकार केवल नगर आयुक्त, कार्यपालक पदाधिकारी और विशेष पदाधिकारी को है.
  • नगरपालिका अधिनियम के अनुसार पार्षदों के साथ बुलाई गई किसी भी बैठक के लिए एजेंडा तैयार करने का अधिकार भी नगर आयुक्त, कार्यपालक पदाधिकारी को ही है.
  • बैठक के एजेंडा और कार्रवाई में मेयर और अध्यक्ष की कोई भूमिका नहीं है.
  • आपातकालीन कार्य को छोड़ किसी भी परीस्थिति में मेयर और अध्यक्ष को अधिकार नहीं है कि वो एजेंडा में कोई बदलाव लाएं.
  • बैठक के बाद अध्यक्ष और मेयर को स्वतंत्र निर्णय का कोई अधिकार नहीं है. बैठक की कार्रवाई बहुमत के आधार पर तय होगी.
  • मेयर और अध्यक्ष को ये अधिकार नहीं है कि वो किसी भी अधिकारी और कर्मचारी को कारण बताओ नोटिस जारी करें.
  • मेयर और अध्यक्ष को यह अधिकार नहीं है कि वो किसी भी विभाग या कोषांग के द्वारा किए जा रहे कार्यों की समीक्षा करें.
  • किसी भी बैठक में अगर मेयर उपस्थित नहीं हैं तो डिप्टी मेयर कार्रवाई पर हस्ताक्षर करेंगे. अगर दोनों अनुपस्थित हैं तो पार्षदों द्वारा चयनित प्रोजाइडिंग ऑफिसर हस्ताक्षर करेंगे.

इसे भी पढ़ें- अब राज्य सरकार मेयर को कर सकती है पदमुक्त, बैठक बुलाने और एजेंडा तय करने का अधिकार भी खत्म


झारखंड नगरपालिका अधिनियम 2011 की धारा 74, 75, 76, 77, 78 और धारा 87 के उप-बंधों का जिक्र करते हुए आशा लकड़ा ने कहा कि मेयर और अध्यक्ष को निगम परिषद और स्थायी समिति की बैठक बुलाने का हक है तो आपातकालीन बैठक भी मेयर बुला सकता है. किसी एजेंडे पर चर्चा और उसपर सहमति असहमति का फैसला भी मेयर ही करेगा ऐसा उल्लेखित है. आशा लकड़ा ने निगम की ओर से कराए जा रहे जनउपयोगी कार्यों की समीक्षा जारी रखने के ऐलान करते हुए कहा कि हम जनता के वोट से जीतकर आए जनप्रतिनिधि हैं.

ranchi-mayor-asha-lakra-preparing-to-go-to-court-for-rights
क्या है महाधिवक्ता का मंतव्य

हक और कानून के लिए सामूहिक रूप से उच्च न्यायालय में याचिका होगी दायर
मेयर आशा लकड़ा ने महाधिवक्ता के मंतव्य को कानून विरोधी बताते हुए कहा कि उनके अलावा अन्य नगर निकायों के मेयर, अध्यक्ष सामूहिक रूप से अदालत में याचिका दायर करेंगे. मेयर ने विभाग को निशाने पर लेते हुए कहा कि भ्रष्टाचार की गंगोत्री बहाना चाहता है विभाग. आशा लकड़ा ने कहा कि रांची नगर निगम में बिना निगम परिषद से स्वीकृति के काम कराए जा रहे हैं, इसलिए भुगतान में समस्या उतपन्न हो रही है इसलिए नगर विकास विभाग इस तरह का षड्यंत्र रच रहा है.

वर्तमान सरकार में निकाय के अधिकारी करते हैं जनप्रतिनिधियों को अपमानित
आज मेयर आशा लकड़ा की ओर से बुलाई गयी संवाददाता सम्मेलन में शामिल हुईं. हजारीबाग की मेयर रौशनी तिर्की और चतरा नगर परिषद की अध्यक्ष गुंजा देवी ने कहा कि अधिकारी जानबूझकर जनप्रतिनिधियों की बात नहीं सुनते और उनके अधिकारों का हनन करते हैं, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

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ज्यादातर नगर निकाय के मेयर अध्यक्ष भाजपा के इसलिए सरकार कर रही परेशान
रांची की मेयर आशा लकड़ा ने कहा कि ज्यादातर नगर निकाय, नगर परिषद और नगर पंचायत के मेयर और अध्यक्ष भाजपा के हैं. इसलिए सरकार और उनके अधिकारियों की ओर से परेशान किया जा रहा है.

Last Updated : Sep 10, 2021, 7:39 PM IST
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