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देखते ही देखते कंक्रीट के जंगल में तब्दील हो गई रांची, अब यहां के लोगों ने खुद हरा भरा करने का लिया प्रण - green ranchi

झारखंड बनने के बाद से विकास के नाम पर राजधानी रांची में अंधाधुंध पेड़ों की कटाई ने इसे देश के सबसे कम हरियाली वाली राजधानी में से एक बना दिया है. 2004 और 2021 की तुलना की जाए तो पता चलता है कि विकास के नाम पर कैसे रांची की हरियाली को खत्म किया गया है. इसकी तस्दीक 2004 और आज की सैटेलाइट से मिली तस्वीरों को मिलाने से हो जाती है.

ranchi lags behind all the capital of the country in greenery
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Published : Jun 26, 2021, 10:42 AM IST

Updated : Jun 26, 2021, 2:44 PM IST

रांची: विकास के नाम पर रांची में लगातार पेड़ों की कटाई की गई है. अब आलम ये कभी हरी भरी रही रांची अब कंक्रीट के जंगल में तब्दील होती जा रही है. राजधानी के कई इलाके तो ऐसे हो गए हैं जहां एक भी पेड़ नहीं बचे हैं. कई इलाकों में पीपल, बरगद, नीम, आम, कटहल, जामुन, गुलड़ जैसे बड़े वृक्षों को काट दिया गया जिसका नतीजा हुआ कि राजधानी रांची में मौसम का मिजाज भी बदल गया है.

ranchi lags behind all the capital of the country in greenery
खेल गांव 2004 और 2021

ये भी पढ़ें: रांची के बेड़ो प्रखंड में पद्मश्री सिमोन उरांव ने बिछाई हरियाली की चादर, लगाए फलदार वृक्ष

झारखंड के वन विभाग के मुख्य वन संरक्षक सिद्धार्थ त्रिपाठी की पहल पर अब रांची वासियों ने खुद रांची को हरा भरा बनाने का बीड़ा उठाया है, पूरी तरह से गैर सरकारी कार्यक्रम को नाम दिया गया है 'मेरी रांची....मेरी जिम्मेवारी' अभियान. पांच वर्ष के इस अभियान के पहले चरण में वृक्षारोपण और रेन वाटर हार्वेस्टिंग पर जोर दिया जाएगा. सबसे पहले सरकारी-गैरसरकारी संस्थानों के खाली पड़े जमीन में वृक्षारोपण रांचीवासी खुद और बिना किसी सरकारी मदद के करेंगे. पहले वर्ष में ही 3 लाख पेड़ लगाने का लक्ष्य रखा गया है.

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कांटा टोली 2004 और 2021



पेड़ों को गिनने में आ रही परेशानी

सिद्धार्थ त्रिपाठी ने बताया कि राजधानी के कई इलाकों से हरियाली इस तरह गायब हो गयी है कि यादवपुर यूनिवर्सिटी के एक्सपर्ट 3m×3m में कितने पौधे हैं इसका भी सैटेलाइट पिक्चर से पता नहीं लगा पा रहे है. इसलिए उन्हें एक-एक कर पेड़ों को गिनना पड़ रहा है. सिद्धार्थ त्रिपाठी ने बताया कि इस अभियान से रांची विश्वविद्यालय के पूर्व वीसी डॉ रमेश पांडेय, विनोबा भावे विश्वविद्यालय के पूर्व वीसी डॉ रमेश शरण, झारखंड चैम्बर ऑफ कॉमर्स, रोटरी क्लब, लायंस क्लब, डॉक्टर, पत्रकार, कॉलेजों के प्राचार्य और आम लोग जुड़े हैं. उन्होंने कहा कि इस अभियान की खासियत यह होगी कि आम लोग अभियान के ड्राइविंग सीट पर बैठेंगे और विभाग सहयोग करेगी. रांची नगर निगम और 53 वार्डो में कोर कमिटी की देखरेख में वृक्षारोपण अभियान चलेगा और इसकी शुरुआत नामकुम स्थित स्वास्थ्य विभाग के मुख्यालय परिसर में 1000 पौधों के लगाने से होगी.

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रांची यूनिवर्सिटी 2004 और 2021

ये भी पढ़ें: अखिलेश ने घर को बनाया नर्सरी, 8000 दुर्लभ प्रजाति के पेड़-पौधों का करते हैं संरक्षण

वर्चुअल माध्यम से होगी अभियान से जुड़े लोगों की पहली बैठक
26 जून 2021 को 'मेरी रांची मेरी जिम्मेवारी' संबंधी पहल के संबंध में पहली बैठक है. यह पूर्ण रूप से रांची वासियों की अपनी इनिशिएटिव है. महामारी के समय मे नियमानुसार अधिक लोगों के साथ फिजिकल बैठक नहीं की जा सकती इसलिए बैठक वर्चुअल ही होगी.

रांची: विकास के नाम पर रांची में लगातार पेड़ों की कटाई की गई है. अब आलम ये कभी हरी भरी रही रांची अब कंक्रीट के जंगल में तब्दील होती जा रही है. राजधानी के कई इलाके तो ऐसे हो गए हैं जहां एक भी पेड़ नहीं बचे हैं. कई इलाकों में पीपल, बरगद, नीम, आम, कटहल, जामुन, गुलड़ जैसे बड़े वृक्षों को काट दिया गया जिसका नतीजा हुआ कि राजधानी रांची में मौसम का मिजाज भी बदल गया है.

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खेल गांव 2004 और 2021

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झारखंड के वन विभाग के मुख्य वन संरक्षक सिद्धार्थ त्रिपाठी की पहल पर अब रांची वासियों ने खुद रांची को हरा भरा बनाने का बीड़ा उठाया है, पूरी तरह से गैर सरकारी कार्यक्रम को नाम दिया गया है 'मेरी रांची....मेरी जिम्मेवारी' अभियान. पांच वर्ष के इस अभियान के पहले चरण में वृक्षारोपण और रेन वाटर हार्वेस्टिंग पर जोर दिया जाएगा. सबसे पहले सरकारी-गैरसरकारी संस्थानों के खाली पड़े जमीन में वृक्षारोपण रांचीवासी खुद और बिना किसी सरकारी मदद के करेंगे. पहले वर्ष में ही 3 लाख पेड़ लगाने का लक्ष्य रखा गया है.

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कांटा टोली 2004 और 2021



पेड़ों को गिनने में आ रही परेशानी

सिद्धार्थ त्रिपाठी ने बताया कि राजधानी के कई इलाकों से हरियाली इस तरह गायब हो गयी है कि यादवपुर यूनिवर्सिटी के एक्सपर्ट 3m×3m में कितने पौधे हैं इसका भी सैटेलाइट पिक्चर से पता नहीं लगा पा रहे है. इसलिए उन्हें एक-एक कर पेड़ों को गिनना पड़ रहा है. सिद्धार्थ त्रिपाठी ने बताया कि इस अभियान से रांची विश्वविद्यालय के पूर्व वीसी डॉ रमेश पांडेय, विनोबा भावे विश्वविद्यालय के पूर्व वीसी डॉ रमेश शरण, झारखंड चैम्बर ऑफ कॉमर्स, रोटरी क्लब, लायंस क्लब, डॉक्टर, पत्रकार, कॉलेजों के प्राचार्य और आम लोग जुड़े हैं. उन्होंने कहा कि इस अभियान की खासियत यह होगी कि आम लोग अभियान के ड्राइविंग सीट पर बैठेंगे और विभाग सहयोग करेगी. रांची नगर निगम और 53 वार्डो में कोर कमिटी की देखरेख में वृक्षारोपण अभियान चलेगा और इसकी शुरुआत नामकुम स्थित स्वास्थ्य विभाग के मुख्यालय परिसर में 1000 पौधों के लगाने से होगी.

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रांची यूनिवर्सिटी 2004 और 2021

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वर्चुअल माध्यम से होगी अभियान से जुड़े लोगों की पहली बैठक
26 जून 2021 को 'मेरी रांची मेरी जिम्मेवारी' संबंधी पहल के संबंध में पहली बैठक है. यह पूर्ण रूप से रांची वासियों की अपनी इनिशिएटिव है. महामारी के समय मे नियमानुसार अधिक लोगों के साथ फिजिकल बैठक नहीं की जा सकती इसलिए बैठक वर्चुअल ही होगी.

Last Updated : Jun 26, 2021, 2:44 PM IST
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