लोहरदगा: झारखंड सरकार के वित्त एवं खाद्य आपूर्ति मंत्री डॉ. रामेश्वर उरांव (Rameshwar oraon) ने नियोजन नीति (Niyojan Niti) पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. रामेश्वर उरांव ने लोहरदगा में कहा है कि झारखंड सरकार ने क्षेत्रीय भाषाओं को प्रश्रय देने का प्रयास किया है. मुख्यमंत्री और सरकार ने जो भी निर्णय लिया है, वह सही निर्णय लिया है. उन्होंने कहा कि वे पलामू के रहने वाले हैं और फिलहाल रांची में रहते हैं और वे जब भी पलामू जाते हैं तो मगही भाषा में बात करते हैं. उन्होंने सवाल किया की क्या मगही भाषा झारखंड की भाषा है? फिर वे कहते हैं नहीं, मगही मगध की भाषा है. इसके बाद वे कहते हैं कि झारखंड सरकार यहां पर बोले जाने वाली स्थानीय भाषाओं को प्रश्रय देने की कोशिश कर रही है.
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नागपुरी, सादरी, खोरठा जैसी भाषाओं को प्राथमिकता
रामेश्वर उरांव ने कहा कि नागपुरी, सादरी, खोरठा जैसी भाषाओं को प्राथमिकता दी जा रही है. उन्होंने सवाल किया कि अब गांव-गांव में अंग्रेजी विद्यालय खुल गए हैं, बच्चे अंग्रेजी में बात करते हैं, तो क्या अंग्रेजी भाषा को क्षेत्रीय भाषा घोषित कर दें? वित्त मंत्री ने कहा कि वह भी भोजपुरी बोलते हैं लेकिन भोजपुरी बिहार के भोजपुर की भाषा है. जो लोग मगही, भोजपुरी को क्षेत्रीय भाषा घोषित करने की मांग कर रहे हैं उन्हें साबित करना चाहिए कि यह सभी झारखंड की भाषा है.
पैसे के बल पर सरकार गिराना लोकतंत्र की हत्या
झारखंड सरकार के वित्त एवं खाद्य आपूर्ति मंत्री डॉ. रामेश्वर उरांव ने कहा है कि जहां तक सरकार गिराने को लेकर कोई अपराध नहीं होने की बात सरयू राय कह रहे हैं, वह बस इतना ही कहना चाहेंगे कि नोट के बल पर सरकार गिराना लोकतंत्र की हत्या और गला रेतने के समान है. उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई सरकार को गिराने की साजिश करना पूरी तरह से गलत है. अगर इस बारे में कोई अपनी बात कह रहा है तो फिर वह इस पर ज्यादा टिप्पणी नहीं करेंगे. रामेश्वर उरांव लोहरदगा में ग्रामीण क्षेत्र के दौरा के लिए आए हुए थे. इस दौरान उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों का दौरा करते हुए ग्रामीणों की समस्याएं भी सुनी है.