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राज्यसभा चुनाव 2016- यूपीए फोल्डर के विधायकों की भूमिका की भी हो रही जांच

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Published : Nov 25, 2020, 11:03 PM IST

राज्यसभा चुनाव 2016 मामले में दर्ज एफआईआर की जांच रांची के जगन्नाथपुर पुलिस के द्वारा की जा रही है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मंगलवार को प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट 1988 के तहत मुकदमा चलाने की अनुमति दी है. इसके साथ ही चुनाव को प्रभावित करने के आरोपी आईपीएस अधिकारी अनुराग गुप्ता पर प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट 1988 की धाराओं के तहत कार्रवाई की जाएगी.

Rajya Sabha Election 2016
Rajya Sabha Election 2016

रांचीः राज्यसभा चुनाव 2016 मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मंगलवार को प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट 1988 के तहत मुकदमा चलाने की अनुमति दी है. अभी तक के जांच में 2016 में यूपीए फोल्डर में रहे कई जनप्रतिनिधि की भूमिका को भी संदिग्ध पाया गया है, ऐसे में अब जांच के घेरे में कई जनप्रतिनिधि भी आ गए हैं.

कई विधायक रडार पर
राज्यसभा चुनाव 2016 मामले में दर्ज एफआईआर की जांच रांची के जगन्नाथपुर पुलिस के द्वारा की जा रही है. जांच में साल 2016 में चुनाव के वक्त यूपीए फोल्डर से विधायक रहे जनप्रतिनिधियों की भूमिका को संदिग्ध पाया गया है. केस की समीक्षा के बाद पांकी के तत्कालीन विधायक बिट्टू सिंह की संपत्ति की जानकारी जुटाने का आदेश भी केस के अनुसंधानक को दिया गया था. केस के अनुसंधानक को यह जांचना है कि चुनाव के ठीक पहले या बाद बिट्टू सिंह की संपत्ति में कोई इजाफा हुआ था या नहीं. राज्यसभा चुनाव 2016 में कांग्रेस के पांकी के विधायक रहे बिट्टू सिंह व झामुमो के विशुनपुर विधायक रहे चमरा लिंडा ने वोट नहीं दिया था. वहीं विपक्षी पार्टी रही जेवीएम के एक विधायक ने भी क्रॉस वोटिंग कर दिया था. इसके बाद बसंत सोरेन एक वोट से राज्यसभा चुनाव हार गए थे.

ये भी पढ़ें-पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप घोटाले की साजिश नाकाम, दूसरे राज्यों के 43 शिक्षण संस्थान ब्लैक लिस्टेड



सीडीआर के लिए एनआईए- सीबीआई की मदद का निर्देश
राज्य में सरकार बदलने के बाद केस की जांच को नई दिशा दी गई थी. केस में पुलिस को कई मोबाइल नंबरों के कॉल डिटेल रिपोर्ट की जरूरत थी. लेकिन साल भर से अधिक अरसा बीतने के कारण मोबाइल सर्विस प्रोवाइडर कंपनियों ने सीडीआर देने से इंकार कर दिया था. ऐसे में केस के अनुसंधानकर्ता को आदेश दिया गया था कि सीबीआई व एनआईए से संपर्क कर यह पता लगाएं कि एक साल से पुरानी सीडीआर पुलिस को कैसे मिलेगी.

रघुवर दास से बयान को कराना था क्रॉस एग्जामिन
राज्यसभा चुनाव को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास व योगेंद्र साव के बयान को एक दूसरे से क्रास एग्जामिन कराना था. पुलिस ने इस मामले में अबतक रघुवर दास का बयान नहीं लिया है. मामले में पुलिस ने अबतक मूलयंत्र भी जांच के लिए एफएसएल नहीं भेजा है. केस के गवाह मंटू सोनी ने एक मूलयंत्र कोर्ट में जमा कराया था, लेकिन इस कथित मूलयंत्र को भी एफएसएल नहीं भेजा गया है.

एडीजी अनुराग गुप्ता हो चुके हैं निलंबित
राज्यसभा चुनाव 2016 मामले में चुनाव को प्रभावित करने के आरोपी आईपीएस अधिकारी अनुराग गुप्ता पर प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट 1988 की धारा 7 एवं 13 (1) (डी) और 13 (2) व आईपीसी 120 (बी) के तहत कार्रवाई की जाएगी. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने गृह, कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग के इससे संबंधित प्रस्ताव पर मंगलवार को स्वीकृति दे दी थी. राज्य सरकार ने इससे पहले 14 फरवरी को अनुराग गुप्ता को जगन्नाथपुर थाने में दर्ज केस के आधार पर निलंबित कर दिया था.

26 मार्च 2016 को राज्यसभा चुनाव 2016 मामले में तत्कालीन स्पेशल ब्रांच एडीजी अनुराग गुप्ता व तत्कालीन सीएम के सलाहकार अजय कुमार के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई थी. भारत निर्वाचन आयोग ने दोनों के खिलाफ चुनाव को प्रभावित करने से जुड़ी असंज्ञेय धाराओं में कोर्ट के आदेश पर एफआईआर दर्ज की थी. पीसी एक्ट जुड़ने के बाद मामले में दोषी पाए जाने पर सात साल की सजा का प्रावधान है.

रांचीः राज्यसभा चुनाव 2016 मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मंगलवार को प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट 1988 के तहत मुकदमा चलाने की अनुमति दी है. अभी तक के जांच में 2016 में यूपीए फोल्डर में रहे कई जनप्रतिनिधि की भूमिका को भी संदिग्ध पाया गया है, ऐसे में अब जांच के घेरे में कई जनप्रतिनिधि भी आ गए हैं.

कई विधायक रडार पर
राज्यसभा चुनाव 2016 मामले में दर्ज एफआईआर की जांच रांची के जगन्नाथपुर पुलिस के द्वारा की जा रही है. जांच में साल 2016 में चुनाव के वक्त यूपीए फोल्डर से विधायक रहे जनप्रतिनिधियों की भूमिका को संदिग्ध पाया गया है. केस की समीक्षा के बाद पांकी के तत्कालीन विधायक बिट्टू सिंह की संपत्ति की जानकारी जुटाने का आदेश भी केस के अनुसंधानक को दिया गया था. केस के अनुसंधानक को यह जांचना है कि चुनाव के ठीक पहले या बाद बिट्टू सिंह की संपत्ति में कोई इजाफा हुआ था या नहीं. राज्यसभा चुनाव 2016 में कांग्रेस के पांकी के विधायक रहे बिट्टू सिंह व झामुमो के विशुनपुर विधायक रहे चमरा लिंडा ने वोट नहीं दिया था. वहीं विपक्षी पार्टी रही जेवीएम के एक विधायक ने भी क्रॉस वोटिंग कर दिया था. इसके बाद बसंत सोरेन एक वोट से राज्यसभा चुनाव हार गए थे.

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सीडीआर के लिए एनआईए- सीबीआई की मदद का निर्देश
राज्य में सरकार बदलने के बाद केस की जांच को नई दिशा दी गई थी. केस में पुलिस को कई मोबाइल नंबरों के कॉल डिटेल रिपोर्ट की जरूरत थी. लेकिन साल भर से अधिक अरसा बीतने के कारण मोबाइल सर्विस प्रोवाइडर कंपनियों ने सीडीआर देने से इंकार कर दिया था. ऐसे में केस के अनुसंधानकर्ता को आदेश दिया गया था कि सीबीआई व एनआईए से संपर्क कर यह पता लगाएं कि एक साल से पुरानी सीडीआर पुलिस को कैसे मिलेगी.

रघुवर दास से बयान को कराना था क्रॉस एग्जामिन
राज्यसभा चुनाव को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास व योगेंद्र साव के बयान को एक दूसरे से क्रास एग्जामिन कराना था. पुलिस ने इस मामले में अबतक रघुवर दास का बयान नहीं लिया है. मामले में पुलिस ने अबतक मूलयंत्र भी जांच के लिए एफएसएल नहीं भेजा है. केस के गवाह मंटू सोनी ने एक मूलयंत्र कोर्ट में जमा कराया था, लेकिन इस कथित मूलयंत्र को भी एफएसएल नहीं भेजा गया है.

एडीजी अनुराग गुप्ता हो चुके हैं निलंबित
राज्यसभा चुनाव 2016 मामले में चुनाव को प्रभावित करने के आरोपी आईपीएस अधिकारी अनुराग गुप्ता पर प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट 1988 की धारा 7 एवं 13 (1) (डी) और 13 (2) व आईपीसी 120 (बी) के तहत कार्रवाई की जाएगी. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने गृह, कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग के इससे संबंधित प्रस्ताव पर मंगलवार को स्वीकृति दे दी थी. राज्य सरकार ने इससे पहले 14 फरवरी को अनुराग गुप्ता को जगन्नाथपुर थाने में दर्ज केस के आधार पर निलंबित कर दिया था.

26 मार्च 2016 को राज्यसभा चुनाव 2016 मामले में तत्कालीन स्पेशल ब्रांच एडीजी अनुराग गुप्ता व तत्कालीन सीएम के सलाहकार अजय कुमार के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई थी. भारत निर्वाचन आयोग ने दोनों के खिलाफ चुनाव को प्रभावित करने से जुड़ी असंज्ञेय धाराओं में कोर्ट के आदेश पर एफआईआर दर्ज की थी. पीसी एक्ट जुड़ने के बाद मामले में दोषी पाए जाने पर सात साल की सजा का प्रावधान है.

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