रांची: झारखंड हाई कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव रंजन को सूबे में महाधिवक्ता नियुक्त किया गया है. उन्होंने ईटीवी भारत से कई मुद्दों पर बेबाक बात की.
रांची स्थित जेवीएम श्यामली से स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद राजीव रंजन दिल्ली चले गए. फिर उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से बीएससी और लॉ की डिग्री हासिल की. इसके बाद दिल्ली हाई कोर्ट में बतौर अधिवक्ता अपने करियर की शुरुआत की. इसके बाद राजीव रंजन साल 1994 में रांची लौट आए और झारखंड हाई कोर्ट में प्रैक्टिस करने लगे. उस वक्त झारखंड राज्य का गठन नहीं हुआ था और रांची में पटना हाई कोर्ट की बेंच थी.
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अर्जुन मुंडा सरकार में थे अपर महाधिवक्ता
मृदुभाषी स्वभाव के महाधिवक्ता राजीव रंजन ने ईटीवी के वरिष्ठ सहयोगी राजेश कुमार सिंह से अपनी प्राथमिकता और आने वाली चुनौतियों पर बातचीत की. उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती अर्जुन मुंडा सरकार में वह अपर महाधिवक्ता थे, उस वक्त हेमंत सोरेन उपमुख्यमंत्री थे. इस दौरान हेमंत सोरेन से उनकी कई मुद्दों पर अक्सर बातचीत हुआ करती थी. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन बेहद संजीदा इंसान हैं और वह चाहते हैं कि यहां के आदिवासी और मूलवासियों को उनका वाजिब हक मिले.
नेशनल कोल वर्कर्स ट्रेड यूनियन मामले में इंसाफ दिलाने में अहम भूमिका
उन्होंने कहा कि शिक्षक नियुक्ति मामला हो या फिर पारा शिक्षक और आंगनबाड़ी सेविका सहायिकाओं का मामला. इनके कानूनी अधिकार के लिए वह सरकार की तरफ से काम करेंगे. महाधिवक्ता, राजीव रंजन ने कहा कि रांची आने के बाद उन्होंने सबसे पहले नेशनल कोल वर्कर्स ट्रेड यूनियन के केस को टेक अप किया था और वर्कर्स को इंसाफ दिलाया था.