रांचीः स्कूल ऑफ योग रांची विश्वविद्यालय रांची और रेडियो खांची 90.4 एफएम के संयुक्त तत्वावधान में एक दिवसीय नेशनल कॉन्फ्रेंस का आयोजन ऑनलाइन किया गया. इस कार्यक्रम का विषय था कोविड-19 महामारी में योग के जरिए वेलनेस. इस कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन रांची विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर कामनी कुमार ने किया और उन्होंने कहा कि कोविड-19 में ज्यादातर लोग घर में ही है. ऐसे में बच्चे, बुजुर्ग, पति-पत्नी के बीच कैसे आत्मीयता बढ़े, तनाव से मुक्त रहे उसके लिए योगाभ्यास का करना और साथ ही आपस में बैठकर गपशप करना, सुख-दुख बांटना, परिवार की कहानियों से बच्चों को जोड़ना जरूरी है.
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उन्होंने योग के वैज्ञानिक अध्ययन पर भी अपना दृष्टिकोण रखते हुए कहा कि योग क्रियाओं का रिसर्च पूरे विश्वभर के ना सिर्फ प्रतिष्ठित योग संस्थानों में हो रहा है. बल्कि मेडिकल संस्थानों में भी किया जा रहा है. इस क्षेत्र में समर्पित युवाओं का उज्जवल भविष्य है. इससे पूर्व सभी अतिथियों का परिचय कॉन्फ्रेंस के संयोजक योग शिक्षक मनीष कुमार ने किया. उन्होंने बताया कि इस कॉन्फ्रेंस में देश के लगभग 300 प्रतिभागी जुड़े हुए थे. सभी अतिथियों का स्वागत टूलू सरकार, स्कूल ऑफ योग के निदेशक ने किया और उन्होंने बताया योग के जरिए कोविड-19 में ऑक्सीजन की कमी से परेशान और सामान्य रोगियों को प्राणायाम की विधियों से बहुत फायदा हुआ और इसे देश के प्रतिष्ठित डॉक्टरों ने भी अपने रोगियों को करने को कहा.
दो तकनीकी सत्र का आयोजन
इस कॉन्फ्रेंस में दो तकनीकी सत्रों का आयोजन किया गया. प्रथम सत्र की रिसोर्स पर्सन बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के योग और स्वास्थ्य वृत्त विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ मनगागोरी राव थी. सत्र की अध्यक्षता डॉ परिनीता सिंह, मंगलागौरी मैडम ने पोस्ट कोविड प्रभाव में वैज्ञानिक तौर पर बताया कि किस प्रकार फेफड़ों के अलावा इंफ्लामेट्री रेस्पॉन्स और अन्य अंग जैसे लिवर, एक्युट किडनी इंजुरी, जेनरल वीकनेस और साइकोलॉजिकल प्रॉब्लम सामने आते हैं. उन्होंने रिकवर्ड मरीजों के लिए साइकोलॉजिकल कॉउंसलिंग और सामान्य स्वच्छता पर ध्यान देने का सुझाव दिया. उन्होंने आसन, प्राणायाम, सत्कर्म की ओर ध्यान के अलग-अलग पहलुओं को समझाया. इसके साथ ही उन्होंने शरीर के धातुओं को भी सम रखने की सलाह दी जिसमें प्राणायाम, आसनों के माध्यम से ठीक करने के उपाय बताए. साथ ही वैज्ञानिक ढंग से कई प्रमाण प्रस्तुत किए जो योग के अभ्यास को और प्रबल बनाने में मदद करते हैं.
दूसरा सत्र भी लाभकारी
दूसरे सत्र के रिसोर्स पर्सन योग मणिपुर विश्वविद्यालय के डॉक्टर नीलकमल सिंह रहे. सत्र की अध्यक्षता अखिलेश कुमार, संतोषी कुमारी और मनोज सोनी (सभी स्कूल ऑफ योग के शिक्षक) थे. डॉक्टर नीलकमल ने बताया कि कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद भी कफ, जोड़ों का दर्द, छाती में दर्द , सोने में परेशानी, मसल में दर्द , फीवर, डिप्रेशन जैसी परेशानियां आ रही हैं. आज सारा विश्व योग की तरफ आशा भरी नजरों से देख रहा है. अनुकंपी क्रियाशीलता और चयापचय की दर में वृद्धि के लिए सूर्य भेदन प्राणायाम, गला तंत्रिका तंत्र को स्वस्थ बनाने और मन को शांत रखने के लिए उज्जयी प्राणायाम, फेफड़ों से कफ को दूर करने और मन की स्थिरता के लिए भस्त्रिका प्राणायाम, चिंता अनिद्रा का निवारण के लिए भ्रामरी प्राणायाम, मस्तिष्क के रक्त कमान दूर करने और ध्यान के लिए कपालभारती प्राणायाम और सुदर्शन क्रिया अत्यंत लाभकरी है.