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SPECIAL: कातिल कोरोना ने कुलियों का जीना किया मुहाल

लॉकडाउन के कारण भारतीय रेलवे के कुली वर्ग सबसे ज्यादा परेशान है. बता दें कि भारत के तमाम छोटे-बड़े रेलवे स्टेशनों पर अभी भी कुली अहम भूमिका निभाते हैं, पर इस वक्त उनको दो वक्त की रोटी भी नसीब नहीं हो रही. ईटीवी भारत की टीम ने रांची रेलवे स्टेशन जाकर जाना उनका हाल.

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Published : May 4, 2020, 8:51 PM IST

रांची: कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के कारण रेल यातायात पर काफी प्रभाव पड़ा है और इस वजह से रांची रेल मंडल में कार्यरत कुलियों की हालत भी काफी खराब हो गई है. एक वक्त की रोटी का जुगाड़ भी यह कुली नहीं कर पा रहे हैं और इस ओर रांची रेल मंडल के किसी भी अधिकारी का ध्यान नहीं है.

देखें पूरी खबर

आर्थिक स्थिति चरमराई

कोरोना वायरस के कारण पूरे देश भर में मार्च महीने से ही लॉकडाउन का दौर जारी है. एक बार फिर लॉकडाउन की अवधि बढ़ाई गई है और इस लॉकडाउन की वजह से भारत का लाइफ लाइन कहा जाने वाला रेलवे यातायात भी लगभग 2 माह से ठप पड़ा है. भारतीय रेलवे के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब इतने बड़े पैमाने पर भारतवर्ष के तमाम ट्रेनों के पहिए थम गए हैं. इसके कारण भारत की आर्थिक स्थिति भी चरमरा गई है.

ये भी पढ़ें- अपने घर पश्चिम बंगाल जाने के लिए बेचनी पड़ी बकरी, पास के बावजूद सीमा से भेज दिया गया वापस



रांची रेल मंडल के कुलियों की हालत है काफी खराब
त्वरित प्रभाव में भारतीय रेलवे के कुली वर्ग चपेट में आया है. भारत के तमाम छोटे-बड़े रेलवे स्टेशनों पर अभी भी कुली अहम भूमिका निभाते हैं. दूसरों का बोझ उठाने वाले इन कुलियों की वजह से आज भी रेलवे स्टेशनों पर रौनक देखी जाती है. लाल ड्रेस में यह कुली भारतीय रेलवे का शोभा बढ़ाते नजर आते हैं. लेकिन लॉकडाउन के दौरान इन कुलियों की हालत काफी खस्ता है. झारखंड के रांची रेल मंडल के कुलियों की भी हालत और हालात इन दिनों कुछ सही नहीं है.

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कुलियों का हाल
रांची और हटिया मिलाकर 50 से अधिक कुलीबता दें कि रांची रेल मंडल के अंतर्गत हटिया और रांची रेलवे स्टेशन मिलाकर कुल 50 से अधिक कुली काम करते हैं. रांची रेल मंडल में रेगुलर बेसिस पर कार्यरत कुली, रांची रेलवे स्टेशन के ठीक सामने रेस्ट रूम में सामूहिक रूप से रहते हैं. लॉकडाउन से पहले कुछ कुली घर गए हुए थे और वे घरों में ही फंस गए हैं. फिलहाल रांची रेलवे स्टेशन के रेस्ट रूम में 12 से 15 कुली फंसे हुए हैं. लेकिन चुनिंदा इन 12 से 15 कुलियों को भी रांची रेल मंडल 2 वक्त की रोटी देने में समर्थ नहीं है.

ये भी पढ़ें- कोरोना कठपुतली बता रही कोरोना महामारी से बचने के उपाय, कड़ाई से करें लॉकडाउन का पालन



ईटीवी भारत की टीम ने सुनी इनकी व्यथा
ईटीवी भारत की टीम इन कुलियों की हालत का जायजा लेने रांची रेलवे स्टेशन पहुंची. जहां देखा इन कुलियों की हालत काफी खस्ता है. एक टाइम का खाना भी यह कुली महाजनों से उधार मांग कर जुटा रहे हैं. कुछ समाजसेवी संस्थाओं की ओर से बीच-बीच में खाना मुहैया करा दिया जाता है. लेकिन रांची मंडल की बात करें तो यहां के अधिकारी इनकी सुध लेने एक बार भी नहीं पहुंचे हैं. मानवता के नाते भी इन कुलियों पर किसी का ध्यान नहीं है. ऐसे में स्थिति भयावह हो सकती है, क्योंकि इनके बीच कई बुजुर्ग कुली भी हैं जो खानपान की कमी के कारण कमजोर हो गए हैं. जल्द से जल्द रेल प्रशासन को इस ओर को ध्यान देना होगा.

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रांची रेलवे स्टेशन

ये भी पढ़ें- बाबा नगरी में होटल कारोबार पर कोरोना की मार, 250 करोड़ से ज्यादा का नुकसान


दुर्भाग्य की बात
लॉकडाउन के कारण ट्रेन की गतिविधियां कब से संचालित होंगी यह अब तक स्पष्ट नहीं है और तब तक इन कुलियों पर ध्यान नहीं दिया गया तो यह दुर्भाग्य की ही बात है. क्योंकि इन दिनों रांची रेल मंडल युद्धस्तर पर आरपीएफ, स्काउट गाइड और आईआरसीटीसी की मदद से ग्रामीण क्षेत्रों में भी भोजन मुहैया कराया रहा है. लेकिन 12 से 15 कुलियों को दो वक्त की रोटी मुहैया कराने में रांची रेल मंडल को कैसी परेशानी है यह समझ से परे है.

रांची: कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के कारण रेल यातायात पर काफी प्रभाव पड़ा है और इस वजह से रांची रेल मंडल में कार्यरत कुलियों की हालत भी काफी खराब हो गई है. एक वक्त की रोटी का जुगाड़ भी यह कुली नहीं कर पा रहे हैं और इस ओर रांची रेल मंडल के किसी भी अधिकारी का ध्यान नहीं है.

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आर्थिक स्थिति चरमराई

कोरोना वायरस के कारण पूरे देश भर में मार्च महीने से ही लॉकडाउन का दौर जारी है. एक बार फिर लॉकडाउन की अवधि बढ़ाई गई है और इस लॉकडाउन की वजह से भारत का लाइफ लाइन कहा जाने वाला रेलवे यातायात भी लगभग 2 माह से ठप पड़ा है. भारतीय रेलवे के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब इतने बड़े पैमाने पर भारतवर्ष के तमाम ट्रेनों के पहिए थम गए हैं. इसके कारण भारत की आर्थिक स्थिति भी चरमरा गई है.

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रांची रेल मंडल के कुलियों की हालत है काफी खराब
त्वरित प्रभाव में भारतीय रेलवे के कुली वर्ग चपेट में आया है. भारत के तमाम छोटे-बड़े रेलवे स्टेशनों पर अभी भी कुली अहम भूमिका निभाते हैं. दूसरों का बोझ उठाने वाले इन कुलियों की वजह से आज भी रेलवे स्टेशनों पर रौनक देखी जाती है. लाल ड्रेस में यह कुली भारतीय रेलवे का शोभा बढ़ाते नजर आते हैं. लेकिन लॉकडाउन के दौरान इन कुलियों की हालत काफी खस्ता है. झारखंड के रांची रेल मंडल के कुलियों की भी हालत और हालात इन दिनों कुछ सही नहीं है.

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कुलियों का हाल
रांची और हटिया मिलाकर 50 से अधिक कुलीबता दें कि रांची रेल मंडल के अंतर्गत हटिया और रांची रेलवे स्टेशन मिलाकर कुल 50 से अधिक कुली काम करते हैं. रांची रेल मंडल में रेगुलर बेसिस पर कार्यरत कुली, रांची रेलवे स्टेशन के ठीक सामने रेस्ट रूम में सामूहिक रूप से रहते हैं. लॉकडाउन से पहले कुछ कुली घर गए हुए थे और वे घरों में ही फंस गए हैं. फिलहाल रांची रेलवे स्टेशन के रेस्ट रूम में 12 से 15 कुली फंसे हुए हैं. लेकिन चुनिंदा इन 12 से 15 कुलियों को भी रांची रेल मंडल 2 वक्त की रोटी देने में समर्थ नहीं है.

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ईटीवी भारत की टीम ने सुनी इनकी व्यथा
ईटीवी भारत की टीम इन कुलियों की हालत का जायजा लेने रांची रेलवे स्टेशन पहुंची. जहां देखा इन कुलियों की हालत काफी खस्ता है. एक टाइम का खाना भी यह कुली महाजनों से उधार मांग कर जुटा रहे हैं. कुछ समाजसेवी संस्थाओं की ओर से बीच-बीच में खाना मुहैया करा दिया जाता है. लेकिन रांची मंडल की बात करें तो यहां के अधिकारी इनकी सुध लेने एक बार भी नहीं पहुंचे हैं. मानवता के नाते भी इन कुलियों पर किसी का ध्यान नहीं है. ऐसे में स्थिति भयावह हो सकती है, क्योंकि इनके बीच कई बुजुर्ग कुली भी हैं जो खानपान की कमी के कारण कमजोर हो गए हैं. जल्द से जल्द रेल प्रशासन को इस ओर को ध्यान देना होगा.

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रांची रेलवे स्टेशन

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दुर्भाग्य की बात
लॉकडाउन के कारण ट्रेन की गतिविधियां कब से संचालित होंगी यह अब तक स्पष्ट नहीं है और तब तक इन कुलियों पर ध्यान नहीं दिया गया तो यह दुर्भाग्य की ही बात है. क्योंकि इन दिनों रांची रेल मंडल युद्धस्तर पर आरपीएफ, स्काउट गाइड और आईआरसीटीसी की मदद से ग्रामीण क्षेत्रों में भी भोजन मुहैया कराया रहा है. लेकिन 12 से 15 कुलियों को दो वक्त की रोटी मुहैया कराने में रांची रेल मंडल को कैसी परेशानी है यह समझ से परे है.

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