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Corona Effect: कोरोना ने छीना मां-बाप का साया, प्राइवेट स्कूलों ने बढ़ाये हाथ

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Published : Jun 25, 2021, 4:23 PM IST

Updated : Jun 25, 2021, 9:24 PM IST

कोरोना हर वर्ग के लिए काल बनकर आया है. कई परिवार उजड़ गए. कई बच्चे अनाथ हो गए हैं. अब इन बच्चों के भरण-पोषण से लेकर पढ़ाई-लिखाई की समस्या उत्पन्न हो गई है. सरकार ऐसे बच्चों का सर्वे करा रही है. वहीं प्राइवेट स्कूल भी अनाथ बच्चों के लिए सहारा बनकर आगे आ रहे हैं. जिनसे कि इनका भविष्य उज्ज्वल हो सके.

private schools will help children who became orphaned due to corona in jharkhand
Corona Effect: कोरोना ने छीना मां-बाप का साया

रांचीः अब तक कोरोना ने कई परिवारों के साथ-साथ हजारों बच्चों को अनाथ कर दिया है. इस महामारी के कारण असमय कई लोग काल के गाल में समा चुके हैं और अब ऐसे अनाथ बच्चों के समक्ष सबसे बड़ी परेशानी है उनका भरण पोषण और पठन-पाठन है. हालांकि इस दिशा में कई निजी स्कूल आगे आने की बात कह रहे हैं. अब तक शिक्षा विभाग के पास भी ऐसे बच्चों का कोई आंकड़ा तैयार नहीं है.

ये भी पढ़ेंः ऑनलाइन पढ़ाई के लिए चाहिए था मोबाइल तो घाटशिला में बच्चे बेचने लगे आम


कई बच्चे हुए हैं अनाथ

कोरोना महामारी के कारण कई लोग बेरोजगार हुए, कई आशियाने टूट गए, उद्योग-धंधा, शिक्षा व्यवस्था सब चौपट हो गया. ऐसे कई बच्चे हैं जिनके सर से उनके अभिभावकों का साया चला गया और वह बच्चे अनाथ हो गए. यह परेशानी ऐसी बढ़ी कि अब सरकार को ऐसे बच्चों को चिन्हित करने के लिए आंकड़ा जुटाना पड़ रहा है. हजारों बच्चों के माता-पिता की मौत कोरोना के कारण हो गई है और ऐसे बच्चों के समक्ष उनका भरण पोषण के अलावे पढ़ाई-लिखाई भी कैसे संभव होगी यही चिंता का विषय है. राज्य सरकार एक तरफ जहां ऐसे बच्चों को चिन्हित कर उनके भविष्य को लेकर मदद करने की बात कह रही है. तो इधर राज्य के कई निजी स्कूलों ने भी इस ओर मदद का हाथ बढ़ाया है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट
सरकारी तंत्र को आना होगा आगे

राज्य के निजी स्कूलों के प्रधानाध्यापकों ने कहा है कि अगर उनके स्कूल में कोई भी ऐसा बच्चा होगा, जिनके पिता या माता का निधन कोरोना के कारण हुआ है तो उस बच्चे की पूरी पढ़ाई का खर्च स्कूल वहन करेगी. वहीं दूसरी ओर झारखंड पेरेंट्स एसोसिएशन ने भी राज्य सरकार और शिक्षा विभाग से मांग की है कि अनाथ हुए बच्चों को चिन्हित करने का काम राज्य सरकार करे और उनकी पढ़ाई का पूरा खर्च उठाने का बीड़ा उठाए. ऐसे बच्चों को गोद लेने के लिए भी सरकारी तंत्र आगे आये.

ये भी पढ़ेंः कोरोना इफेक्टः कोरोन काल में निजी स्कूल के बच्चे पढ़ाई से हो रहे वंचित, अधर में नौनिहालों का भविष्य
मंत्री जगरनाथ महतो ने भी दिया भरोसा

बताते चलें कि मामले को लेकर जब हमने राज्य सरकार के मंत्री जगरनाथ महतो से इस संबंध में जानना चाहा तो उन्होंने भी कहा कि सरकार इस दिशा में कदम जरूर बढ़ाएगी. ऐसे बच्चों और अभिभावकों की परेशानियों को समझते हुए सरकार उनकी हर संभव मदद करेगी. बताते चलें कि पिछले दिनों ही मंत्री जगरनाथ महतो चेन्नई से इलाज कराकर रांची लौटे हैं. फिलहाल शिक्षा विभाग मुख्यमंत्री के पास है. मंत्री जगरनाथ महतो इसके बावजूद शिक्षा विभाग से जुड़ी गतिविधियों और परेशानियों को लेकर चिंतित रहते हैं और इसी के मद्देनजर उन्होंने इस विषय पर खुलकर बयान दिया है और राज्य सरकार से भी इस मामले में संवेदनशील होने की अपील की है.

निजी स्कूलों की पहल

कई निजी स्कूलों के प्राचार्यों ने भी इस दिशा में पहल करने की बात कही है साथ ही उन्होंने कहा है कि स्कूल भी अपने स्तर पर ऐसे बच्चों को चिन्हित कर रही है इस विकट परिस्थिति में इन बच्चों को स्कूलों की ओर से कोई परेशानी नहीं होने दी जाएगी.

राज्य सरकार की भी जिम्मेदारी

यह मसला काफी संवेदनशील है. राज्य सरकार के शिक्षा विभाग को भी ऐसे बच्चों के पठन-पाठन के लिए आगे आना होगा. निजी स्कूलों से ऐसे बच्चों के संबंध में पूछे जाने पर उनके पठन-पाठन का पूरा खर्च उठाने की बात कही जा रही है. हालांकि देखने वाली बात यह होगी कि कितने निजी स्कूल ऐसे बच्चों को चिन्हित कर उनकी पढ़ाई पर होने वाले खर्च को माफ कर रहे हैं.

रांचीः अब तक कोरोना ने कई परिवारों के साथ-साथ हजारों बच्चों को अनाथ कर दिया है. इस महामारी के कारण असमय कई लोग काल के गाल में समा चुके हैं और अब ऐसे अनाथ बच्चों के समक्ष सबसे बड़ी परेशानी है उनका भरण पोषण और पठन-पाठन है. हालांकि इस दिशा में कई निजी स्कूल आगे आने की बात कह रहे हैं. अब तक शिक्षा विभाग के पास भी ऐसे बच्चों का कोई आंकड़ा तैयार नहीं है.

ये भी पढ़ेंः ऑनलाइन पढ़ाई के लिए चाहिए था मोबाइल तो घाटशिला में बच्चे बेचने लगे आम


कई बच्चे हुए हैं अनाथ

कोरोना महामारी के कारण कई लोग बेरोजगार हुए, कई आशियाने टूट गए, उद्योग-धंधा, शिक्षा व्यवस्था सब चौपट हो गया. ऐसे कई बच्चे हैं जिनके सर से उनके अभिभावकों का साया चला गया और वह बच्चे अनाथ हो गए. यह परेशानी ऐसी बढ़ी कि अब सरकार को ऐसे बच्चों को चिन्हित करने के लिए आंकड़ा जुटाना पड़ रहा है. हजारों बच्चों के माता-पिता की मौत कोरोना के कारण हो गई है और ऐसे बच्चों के समक्ष उनका भरण पोषण के अलावे पढ़ाई-लिखाई भी कैसे संभव होगी यही चिंता का विषय है. राज्य सरकार एक तरफ जहां ऐसे बच्चों को चिन्हित कर उनके भविष्य को लेकर मदद करने की बात कह रही है. तो इधर राज्य के कई निजी स्कूलों ने भी इस ओर मदद का हाथ बढ़ाया है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट
सरकारी तंत्र को आना होगा आगे

राज्य के निजी स्कूलों के प्रधानाध्यापकों ने कहा है कि अगर उनके स्कूल में कोई भी ऐसा बच्चा होगा, जिनके पिता या माता का निधन कोरोना के कारण हुआ है तो उस बच्चे की पूरी पढ़ाई का खर्च स्कूल वहन करेगी. वहीं दूसरी ओर झारखंड पेरेंट्स एसोसिएशन ने भी राज्य सरकार और शिक्षा विभाग से मांग की है कि अनाथ हुए बच्चों को चिन्हित करने का काम राज्य सरकार करे और उनकी पढ़ाई का पूरा खर्च उठाने का बीड़ा उठाए. ऐसे बच्चों को गोद लेने के लिए भी सरकारी तंत्र आगे आये.

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मंत्री जगरनाथ महतो ने भी दिया भरोसा

बताते चलें कि मामले को लेकर जब हमने राज्य सरकार के मंत्री जगरनाथ महतो से इस संबंध में जानना चाहा तो उन्होंने भी कहा कि सरकार इस दिशा में कदम जरूर बढ़ाएगी. ऐसे बच्चों और अभिभावकों की परेशानियों को समझते हुए सरकार उनकी हर संभव मदद करेगी. बताते चलें कि पिछले दिनों ही मंत्री जगरनाथ महतो चेन्नई से इलाज कराकर रांची लौटे हैं. फिलहाल शिक्षा विभाग मुख्यमंत्री के पास है. मंत्री जगरनाथ महतो इसके बावजूद शिक्षा विभाग से जुड़ी गतिविधियों और परेशानियों को लेकर चिंतित रहते हैं और इसी के मद्देनजर उन्होंने इस विषय पर खुलकर बयान दिया है और राज्य सरकार से भी इस मामले में संवेदनशील होने की अपील की है.

निजी स्कूलों की पहल

कई निजी स्कूलों के प्राचार्यों ने भी इस दिशा में पहल करने की बात कही है साथ ही उन्होंने कहा है कि स्कूल भी अपने स्तर पर ऐसे बच्चों को चिन्हित कर रही है इस विकट परिस्थिति में इन बच्चों को स्कूलों की ओर से कोई परेशानी नहीं होने दी जाएगी.

राज्य सरकार की भी जिम्मेदारी

यह मसला काफी संवेदनशील है. राज्य सरकार के शिक्षा विभाग को भी ऐसे बच्चों के पठन-पाठन के लिए आगे आना होगा. निजी स्कूलों से ऐसे बच्चों के संबंध में पूछे जाने पर उनके पठन-पाठन का पूरा खर्च उठाने की बात कही जा रही है. हालांकि देखने वाली बात यह होगी कि कितने निजी स्कूल ऐसे बच्चों को चिन्हित कर उनकी पढ़ाई पर होने वाले खर्च को माफ कर रहे हैं.

Last Updated : Jun 25, 2021, 9:24 PM IST

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