दिल्ली: द्रोपदी मुर्मू भारत की 15वीं राष्ट्रपति बन गई हैं. प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना ने संसद के केंद्रीय कक्ष में द्रोपदी मुर्मू को शपथ दिलाई. द्रोपदी मुर्मू देश की पहली महिला आदिवासी और दूसरी महिला राष्ट्रपति हैं. द्रोपदी मुर्मू ने अपने शपथ ग्रहण के बाद अपने संबोधन की शुरुआत जोहार शब्द से करते हुए देश के स्वतंत्रता संग्राम में आदिवासी और झारखंड के वीरों के योगदान की चर्चा की.
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स्वतंत्रता संग्राम संघर्षों की अविरल धारा: अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने संथाल क्राति, आदिवासी क्रांति, कोल क्रांति और भील क्रांति स्वतंत्रता आंदोलन का जिक्र किया और कहा इन आंदोलनों ने स्वतंत्रता संग्राम में आदिवासी योगदान को सशक्त किया था. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सामाजिक उत्थान और देश प्रेम के लिए हमे बिरसा मुंडा से प्रेरणा मिली थी, उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि जनजातीय समुदाय के योगदान को देश भर में सहेजा जा रहा है.
संथाली साड़ी में ली शपथ: द्रोपदी मुर्मू ने संथाली साड़ी में राष्ट्रपति पथ की शपथ ली, बता दें कि इस साड़ी में साड़ियों के एक छोर पर धारियों का काम होता है जिसे संथाली समुदाय की महिलाएं खास मौंके पर पहनती है. द्रौपदी मुर्म के लिए आज का दिन बेहद खास था इसलिए उन्होंने इस साड़ी का पहना था.