रांचीः राजधानी रांची की पॉवरलिफ्टर लक्ष्मी शर्मा उन महिलाओं के लिए मिसाल हैं, जो छोटी-मोटी मुश्किलों के सामने हार मान लेते हैं. उन्होंने 36 साल की उम्र में पॉवरलिफ्टिंग को अपना करियर बनाया. लक्ष्मी ने पिछले 4 सालों के दौरान नेशनल गेम्स में लगातार 4 गोल्ड मेडल जीतकर ये साबित कर दिया कि महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से पीछे नहीं हैं.
दरअसल, 4 साल पहले लक्ष्मी को साइटिका का पेन हुआ था और यहीं से उनकी जिंदगी ने नया मोड़ ले लिया. साइटिका के दर्द की वजह से उन्हें चलने फिरने में दिक्कत होने लगी. डॉक्टरों से इलाज के बाद भी परेशानी कम नहीं होने पर बेटे हर्ष शर्मा ने जिम जॉइन करने की सलाह दी. बेटे की बात मानकर लक्ष्मी ने जिम जाना शुरू किया. इसी दौरान लक्ष्मी की मुलाकात झारखंड की स्टार पॉवरलिफ्टर सुजाता भगत से हुई. सुजाता ने लक्ष्मी के शरीर की बनावट देखकर उन्हें पॉवरलिफ्टिंग में किस्मत आजमाने की सलाह दी.
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सिर्फ बच्चों ने दिया साथ
एक संभ्रांत ब्राह्मण मारवाड़ी परिवार से आने वाली लक्ष्मी शर्मा के लिए ये इतना आसान भी नहीं था. घरवालों को ये मंजूर नहीं था कि परिवार की बहू घर की दहलीज पार कर पॉवर लिफ्टर बने. हालांकि लक्ष्मी के दोनों बच्चे हर्ष और हिना ने उनका साथ दिया. दोनों ने मां को हर तरह से मदद दी. बेटी ने आर्थिक मदद की तो बेटे ने मानसिक तौर पर मजबूत बनाया.
विरोधी करने लगे तारीफ
अपनी मेहनत के दम पर लक्ष्मी ने सबसे पहले स्थानीय टूर्नामेंट में जीत हासिल की, इसके बाद लक्ष्मी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. 2017 के नेशनल गेम्स में उन्होंने झारखंड के लिए गोल्ड जीतकर सभी विरोधियों के मुंह पर ताले लगा दिए. साल 2017 के बाद उन्होंने सभी नेशनल गेम्स में लगातार 4 गोल्ड मेडल जीते, जिसके बाद वो नेशनल चैंपियन भी बनीं. देशभर में झारखंड का नाम रोशन करने पर लक्ष्मी को कई पुरस्कारों से नवाजा गया. अब परिवार वाले भी उनके इस फैसले से काफी खुश हैं.
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लक्ष्मी शर्मा के पति रांची के जाने-माने मोटर पार्ट्स के कारोबारी हैं और लक्ष्मी का बेटा यूपीएससी का तैयारी कर रहा है. लक्ष्मी शर्मा का संयुक्त परिवार है जिसमें सास-ससुर बच्चे पति सभी हैं. संयुक्त परिवार होने के नाते लक्ष्मी पर पति और बच्चों के साथ-साथ परिवार के अन्य सदस्यों की भी जिम्मेदारी है लेकिन इन तमाम जिम्मेदारियों के बावजूद लक्ष्मी नियमित जिम जाती हैं.
महिला-पुरुष की बराबरी सिर्फ कहने की बात
अपने संघर्ष के दिनों को यादकर लक्ष्मी शर्मा भावुक हो जाती हैं. ईटीवी भारत से बात करते हुए लक्ष्मी शर्मा की आंखों में आंसू आ जाते हैं. वह कहती हैं कि भले ही दुनिया चांद पर क्यों ना चली जाए लेकिन समाज में पुरुष और महिला एक समान कभी नहीं हो सकते हैं. दोनों के बीच काफी फर्क है और समाज ने उन्हें अपना करियर चुनने के लिए एक समान अधिकार नहीं दिया है.
बड़ी जीत की तैयारी
झारखंड टीम में सिलेक्शन के बाद लक्ष्मी शर्मा का प्रदर्शन काफी बेहतर रहा है. अब वे भारतीय टीम में शामिल हो चुकी हैं और गुवाहाटी में होने वाले अंतरराष्ट्रीय पॉवरलिफ्टिंग प्रतियोगिता में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी. लक्ष्मी शर्मा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने हुनर का लोहा मनवाने के लिए काफी मेहनत कर रही हैं. लक्ष्मी लगातार में जिम में वर्कआउट कर अपने आप को इतना मजबूत बना रही हैं कि वो भारत के लिए गोल्ड जीत सकें.