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विकास की योजना बनाने वाले अफसरों का दफ्तर ही बदहाल, गंदगी का अंबार, आग लगी तो जान जाना तय! - Jharkhand news

बाहर से किसी कॉरपोरेट ऑफिस जैसा दिखने वाला रांची का कलेक्ट्रेट बिल्डिंग अंदर से उतना ही खोखला है. कहने को तो करोड़ों की लागत से बने इस बिल्डिंग में तमाम वे अधिकारी बैठते हैं जो रांची के विकास की बात करते हैं. लेकिन हैरानी की बात ये है कि इनका अपना ऑफिस ही बदहाल है. ना यहां साफ सुधरे शौचालय की व्यवस्था है और ना ही सुरक्षा की. अगर इस बिल्डिंग में आग लग जाए तो इतनी भी व्यवस्था नहीं है कि आग पर तुरंत काबू पाया जा सके. इस सबके बीच यहां साफ सफाई की बात बेमायने लगती है.

ranchi collectorate building
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Published : Jul 13, 2022, 8:17 PM IST

रांची: आपने एक पुरानी कहावत जरूर सुनी होगी चिराग तले अंधेरा इस कहावत को पूरी तरह से चरितार्थ कर रहे हैं रांची के सरकारी भवन. वह भवन जिसमें दो दर्जन से ज्यादा अधिकारियों के दफ्तर हैं. जहां से राजधानी रांची के विकास से जुड़े फैसले लिए जाते हैं वही बिल्डिंग अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. ये रांची के कचहरी चौक स्थित कलेक्ट्रेट बिल्डिंग. इस बिल्डिंग में हर तरफ सिर्फ गंदगी ही दिखेगी, बाथरूम तो है लेकिन कुछ में ताला बंद है और कुछ ऐसे हैं जो जाने लायक नहीं हैं. इस बिल्डिंग में लिफ्ट तो है लेकिन वह काम नहीं करता. जो लिफ्ट काम करता है उसमें सुरक्षा की जिम्मेदारी आपकी खुद की होगी.

ये भी पढ़ें: सावधान! रांची में हर कदम पर मौत का खतरा, अब तक चार लोगों की जा चुकी है जान


16 में से 10 लिफ्ट खराब: कलेक्ट्रेट बिल्डिंग 6 माले की है. तीसरे माले में रांची के सीनियर एसपी से लेकर कई डीएसपी के दफ्तर हैं, जो फरियादी अपनी फरियाद लेकर इन अधिकारियों के पास पहुंचते हैं उन्हें सीड़ियों से ही जाना पड़ता है क्योंकि लिफ्ट खराब हैं. कुछ लिफ्ट ठीक भी है लेकिन बिजली कटने के बाद बैकअप नहीं है, ऐसे में आप लिफ्ट में चढ़े और बिजली चली गई तो आपका फंसना तय है. बिल्डिंग के निर्माण के एक साल बाद ही उचित रखरखाव के अभाव में लिफ्ट खराब होते चले गए. नतीजा यह है कि अब इतने खराब हो चुके हैं कि इनका बनना ही काफी मुश्किल है. नतीजा लिफ्ट में कोई फंस न जाए इसलिए कई जगह पर लिफ्ट को घेर दिया गया है.

देखें वीडियो




हर तरफ गंदगी का अंबार: जिस बिल्डिंग में जिला के तमाम आला अधिकारी बैठते हैं वहां चारों तरफ से गंदगी ही गंदगी है. कोई भी चीज ना तो सुरक्षित है और ना ही व्यवस्थित. ODF अभियान चलाने वाले जिला प्रशासन का कार्यालय भी इसी बिल्डिंग में है, लेकिन यहां का कोई भी शौचालय ठीक नहीं है. शौचालय में जाने वाले लोगों को संक्रमण का खतरा बना रहता है, कई शौचालय में तो दरवाजे ही नहीं है. कई में कर्मचारियों ने ताला बंद कर रखा है ताकि वह गंदा ना हो. कलेक्टरेट बिल्डिंग में ऐसे भी शौचालय हैं जो बिल्कुल बेकार हो चुके हैं. लोग उनमें ना जाए इसलिए उनकी बैरिकेडिंग कर दी गई है. जिस स्थान पर यह लिखा है थूकना मना है वहां पर लोग खुलेआम गुटखा खाकर थूकते नजर आते हैं.

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एक्सपायरी डेट के लगे अग्निशमन यंत्र

फायर सेफ्टी सिस्टम भी खराब: अगर कलेक्टरेट बिल्डिंग में आग लग गई तो फिर बचाने वाले सिर्फ भगवान ही होंगे, क्योंकि अधिकांश फायर सेफ्टी सिस्टम एक्सपायर हो चुके हैं. जिस पर किसी का भी ध्यान नहीं है. यही नहीं कलेक्टरेट बिल्डिंग के पार्किंग का तो और भी बुरा हाल है. पार्किंग से पानी टपकता रहता है, बरसात के दिनों में तो इतना पानी जमा हो जाता है कि मोटर चला कर इसे निकालना पड़ता है. इसके अलावा कलेक्ट्रेट बिल्डिंग में एक दर्जन से ज्यादा मधुमक्खियों के छत्ते हैं. कई बार इसके डंक का शिकार वहां काम करने वाले कर्मचारी और अपने काम से जाने वाले आम लोग भी हो चुके हैं, लेकिन इसके लिए भी कोई व्यवस्था अब तक नहीं की गई है ताकि मधुमक्खियों के छत्ते को हटाया जा सके. ये हाल तब है जब इस बिल्डिंग में रांची एसएसपी, ग्रामीण एसपी, सिटी एसपी ,पांच डीएसपी, डीटीओ ,एसडीओ सहित दर्जनों अधिकारियों के दफ्तर हैं.

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बंद शौचालय
2009 में हुआ था निर्माण: 2009 में रांची के कलेक्ट्रेट ऑफिस का निर्माण हुआ था. करोड़ों रुपए खर्च कर दो बिल्डिंग बनाई गई थी लेकिन दोनों ही बिल्डिंग्स के हालत बेहद खराब है. मेंटेनेंस के नाम पर फंड तो आते हैं लेकिन उसका प्रयोग मेंटेनेंस के नहीं किया जाता है जिसके चलते यह बिल्डिंग जर्जर हो चला है. रांची के ग्रामीण एसपी नौशाद आलम ने बताया कि उनका कार्यालय तीसरे माले पर है, लगातार लोग अपनी फरियाद लेकर उनके दफ्तर में आते हैं, लेकिन लिफ्ट खराब होने की वजह से उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. यही नहीं साफ सफाई नहीं होने की वजह से भी लोग परेशान रहते हैं. इस मामले को लेकर उन्होंने रांची एसडीओ अवगत करवाया है. रांची एसडीओ के ऊपर ही इसके मेंटेनेंस की जिम्मेदारी है.
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शौचालय की खराब हालत
जल्द ठीक होगी बिल्डिंग की व्यस्था: राजधानी रांची में नए डीसी के रूप में राहुल सिन्हा ने पदभार संभाला है. डीसी के अनुसार कलेक्ट्रेट बिल्डिंग के दोनों ब्लॉकों का उन्होंने निरीक्षण किया है और उनकी कोशिश है कि इसमें जो भी खामियां उत्पन्न हुई है उन्हें जल्द से जल्द ठीक कर दिया जाए.

रांची: आपने एक पुरानी कहावत जरूर सुनी होगी चिराग तले अंधेरा इस कहावत को पूरी तरह से चरितार्थ कर रहे हैं रांची के सरकारी भवन. वह भवन जिसमें दो दर्जन से ज्यादा अधिकारियों के दफ्तर हैं. जहां से राजधानी रांची के विकास से जुड़े फैसले लिए जाते हैं वही बिल्डिंग अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. ये रांची के कचहरी चौक स्थित कलेक्ट्रेट बिल्डिंग. इस बिल्डिंग में हर तरफ सिर्फ गंदगी ही दिखेगी, बाथरूम तो है लेकिन कुछ में ताला बंद है और कुछ ऐसे हैं जो जाने लायक नहीं हैं. इस बिल्डिंग में लिफ्ट तो है लेकिन वह काम नहीं करता. जो लिफ्ट काम करता है उसमें सुरक्षा की जिम्मेदारी आपकी खुद की होगी.

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16 में से 10 लिफ्ट खराब: कलेक्ट्रेट बिल्डिंग 6 माले की है. तीसरे माले में रांची के सीनियर एसपी से लेकर कई डीएसपी के दफ्तर हैं, जो फरियादी अपनी फरियाद लेकर इन अधिकारियों के पास पहुंचते हैं उन्हें सीड़ियों से ही जाना पड़ता है क्योंकि लिफ्ट खराब हैं. कुछ लिफ्ट ठीक भी है लेकिन बिजली कटने के बाद बैकअप नहीं है, ऐसे में आप लिफ्ट में चढ़े और बिजली चली गई तो आपका फंसना तय है. बिल्डिंग के निर्माण के एक साल बाद ही उचित रखरखाव के अभाव में लिफ्ट खराब होते चले गए. नतीजा यह है कि अब इतने खराब हो चुके हैं कि इनका बनना ही काफी मुश्किल है. नतीजा लिफ्ट में कोई फंस न जाए इसलिए कई जगह पर लिफ्ट को घेर दिया गया है.

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हर तरफ गंदगी का अंबार: जिस बिल्डिंग में जिला के तमाम आला अधिकारी बैठते हैं वहां चारों तरफ से गंदगी ही गंदगी है. कोई भी चीज ना तो सुरक्षित है और ना ही व्यवस्थित. ODF अभियान चलाने वाले जिला प्रशासन का कार्यालय भी इसी बिल्डिंग में है, लेकिन यहां का कोई भी शौचालय ठीक नहीं है. शौचालय में जाने वाले लोगों को संक्रमण का खतरा बना रहता है, कई शौचालय में तो दरवाजे ही नहीं है. कई में कर्मचारियों ने ताला बंद कर रखा है ताकि वह गंदा ना हो. कलेक्टरेट बिल्डिंग में ऐसे भी शौचालय हैं जो बिल्कुल बेकार हो चुके हैं. लोग उनमें ना जाए इसलिए उनकी बैरिकेडिंग कर दी गई है. जिस स्थान पर यह लिखा है थूकना मना है वहां पर लोग खुलेआम गुटखा खाकर थूकते नजर आते हैं.

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एक्सपायरी डेट के लगे अग्निशमन यंत्र

फायर सेफ्टी सिस्टम भी खराब: अगर कलेक्टरेट बिल्डिंग में आग लग गई तो फिर बचाने वाले सिर्फ भगवान ही होंगे, क्योंकि अधिकांश फायर सेफ्टी सिस्टम एक्सपायर हो चुके हैं. जिस पर किसी का भी ध्यान नहीं है. यही नहीं कलेक्टरेट बिल्डिंग के पार्किंग का तो और भी बुरा हाल है. पार्किंग से पानी टपकता रहता है, बरसात के दिनों में तो इतना पानी जमा हो जाता है कि मोटर चला कर इसे निकालना पड़ता है. इसके अलावा कलेक्ट्रेट बिल्डिंग में एक दर्जन से ज्यादा मधुमक्खियों के छत्ते हैं. कई बार इसके डंक का शिकार वहां काम करने वाले कर्मचारी और अपने काम से जाने वाले आम लोग भी हो चुके हैं, लेकिन इसके लिए भी कोई व्यवस्था अब तक नहीं की गई है ताकि मधुमक्खियों के छत्ते को हटाया जा सके. ये हाल तब है जब इस बिल्डिंग में रांची एसएसपी, ग्रामीण एसपी, सिटी एसपी ,पांच डीएसपी, डीटीओ ,एसडीओ सहित दर्जनों अधिकारियों के दफ्तर हैं.

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बंद शौचालय
2009 में हुआ था निर्माण: 2009 में रांची के कलेक्ट्रेट ऑफिस का निर्माण हुआ था. करोड़ों रुपए खर्च कर दो बिल्डिंग बनाई गई थी लेकिन दोनों ही बिल्डिंग्स के हालत बेहद खराब है. मेंटेनेंस के नाम पर फंड तो आते हैं लेकिन उसका प्रयोग मेंटेनेंस के नहीं किया जाता है जिसके चलते यह बिल्डिंग जर्जर हो चला है. रांची के ग्रामीण एसपी नौशाद आलम ने बताया कि उनका कार्यालय तीसरे माले पर है, लगातार लोग अपनी फरियाद लेकर उनके दफ्तर में आते हैं, लेकिन लिफ्ट खराब होने की वजह से उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. यही नहीं साफ सफाई नहीं होने की वजह से भी लोग परेशान रहते हैं. इस मामले को लेकर उन्होंने रांची एसडीओ अवगत करवाया है. रांची एसडीओ के ऊपर ही इसके मेंटेनेंस की जिम्मेदारी है.
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शौचालय की खराब हालत
जल्द ठीक होगी बिल्डिंग की व्यस्था: राजधानी रांची में नए डीसी के रूप में राहुल सिन्हा ने पदभार संभाला है. डीसी के अनुसार कलेक्ट्रेट बिल्डिंग के दोनों ब्लॉकों का उन्होंने निरीक्षण किया है और उनकी कोशिश है कि इसमें जो भी खामियां उत्पन्न हुई है उन्हें जल्द से जल्द ठीक कर दिया जाए.
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