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गरीबों का तन ढकने के बजाए हो रही राजनीति! कैसे सफल होगी सोना-सोबरन योजना? - झारखंड कांग्रेस

झारखंड में गरीबों का तन ढकने के लिए सीएम हेमंत सोरेन ने सोना-सोबरन योजना की शुरुआत की. लेकिन इस योजना पर विपक्ष ने सवाल उठाया है, जिसके बाद इसको लेकर प्रदेश में राजनीति शुरू हो गयी है.

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सोना-सोबरन योजना पर राजनीति
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Published : Oct 26, 2021, 7:13 PM IST

Updated : Oct 27, 2021, 12:48 PM IST

रांचीः झारखंड में सत्ता की गांठ धोती, साड़ी और लूंगी मजबूत करती है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने दादा-दादी यानी सोना और सोबरन के नाम से धोती-साड़ी-लुंगी योजना (Dhoti, Saree, Lungi Scheme) शुरू की. 10 रुपए में साल में दो बार गरीबों को धोती-साड़ी और लुंगी दी जाएगी. इसके लिए 500 करोड़ का बजट राज्य सरकार ने तय किया है. लेकिन इसको लेकर विपक्ष ने सवाल खड़ा किया है, जिसके बाद इस योजना को लेकर राजनीति शुरू हो गयी है.

इसे भी पढ़ें- बगोदर के 55 हजार लाभुकों को मिलेगा सोना सोबरन योजना का लाभ, विधायक ने धोती- साड़ी की क्वालिटी पर उठाया सवाल

राज्य सरकार के इस योजना पर राजनीति भी शुरू हो गई है. बीजेपी ने योजना के नाम पर सवाल खड़ा करते हुए कहा है कि मुख्यमंत्री अपने दादा-दादी के नाम पर यह योजना शुरू की है. परंपरा के अनुसार समाज के लिए बड़ा काम करने वाले लोगों के नाम पर सम्मान देने के लिए योजना का नाम रखा जाता है. पूर्व मंत्री और बीजेपी विधायक अमर बाउरी (BJP MLA Amar Bauri) ने इस योजना में चल रहे भ्रष्टाचार पर भी सवाल खड़ा करते हुए सरकार की मंशा की आलोचना की है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

इस मुद्दे को लेकर बीजेपी पर पलटवार करते हुए कांग्रेस विधायक और सरकार के मंत्री डॉ. रामेश्वर उरांव ने कहा है कि बीजेपी बेतुका सवाल खड़ा कर रही है. मुख्यमंत्री ने अपने दादा-दादी के नाम पर योजना शुरू किया है. शिबु सोरेन के माता-पिता का भी समाज के लिए बड़ा योगदान झारखंड के लिए रहा है.

गरीबों तक नहीं पहुंच पा रहा है कपड़ा
हेमंत सोरेन ने 2014 में सीएम रहते हुए इस योजना की शुरुआत की थी. लेकिन तत्कालीन रघुवर सरकार ने इसे बंद कर दिया. फिर से 2019 में महागठबंधन की सरकार ने इस योजना को धरातल पर उतारा. मगर हकीकत यह है कि पीडीएस दुकानों तक अभी तक धोती-साड़ी, लुंगी पहुंची ही नहीं है. ऐसे में आम गरीबों को इसका लाभ कैसे मिलेगा.

योजना का लाभ लेने के लिए लोग पीडीएस दुकान पर चक्कर लगा रहे हैं. राजधानी के वार्ड नं. 41 के कई पीडीएस दुकान पर जब ईटीवी भारत (Etv Bharat) की टीम ने हकीकत जानने की कोशिश की तो दुकानदार ने भी धोती, साड़ी, लुंगी अब तक दुकानों तक नहीं पहुंचने के कारण लोगों को नहीं दिए जाने की बात कही.

इसे भी पढ़ें- ईटीवी भारत की पड़तालः जानिए, एक साल बाद गरीबों का तन ढंकने वाली सोना-सोबरन योजना की हकीकत

ये है सोना सोबरन योजना
बीपीएल परिवारों को धोती, लूंगी, और साड़ी भी प्रदान करने के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सोना-सोबरन योजना का शुभारंभ किया है. इस योजना की शुरुआत राज्य मंत्रिमंडल द्वारा पास करने के बाद 22 सितंबर को दुमका से शुरू की गई. इस योजना के माध्यम से राज्य के गरीब बीपीएल परिवारों को साड़ी, लुंगी, धोती देने का दावा किया जा रहा है.

खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री डॉ. रामेश्वर उरांव (Food and Supplies Minister Dr. Rameshwar Oraon) ने सोना-सोबरन धोती साड़ी योजना की सराहना करते हुए कहा कि इसके तहत 58 लाख लाल कार्ड और 4 लाख हरा कार्डधारी को लाभ मिलेगा. प्रारंभ में लाल कार्डधारी 58 लाख लोगों को इस योजना का लाभ दिया जा रहा है. राज्य सरकार ने इस योजना के लिए 500 करोड़ के बजट का वित्तीय प्रावधान किया है. इस योजना के अंतर्गत गरीबी रेखा से नीचे आने वाले लोगों को साल में दो बार अनुदानित मूल्य पर कपड़े प्रदान किए जाएंगे.

सोना-सोबरन धोती-साड़ी योजना (Sona-Sobran Dhoti-Saree Scheme) को 2014 में हेमंत सरकार ने शुरू किया था. इसके बाद रघुवर दास के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने इसे साल 2015 में बंद कर दिया था. एक बार फिर इस योजना को जमीन पर उतारा गया है. मगर विडंबना यह है कि गरीबों को तन ढकने के बजाए योजना में अव्यवस्था है और इसपर राजनीति भी ज्यादा होने लगी है. जिससे इसकी सफलता पर संशय ही व्यक्त की जा सकती है.

रांचीः झारखंड में सत्ता की गांठ धोती, साड़ी और लूंगी मजबूत करती है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने दादा-दादी यानी सोना और सोबरन के नाम से धोती-साड़ी-लुंगी योजना (Dhoti, Saree, Lungi Scheme) शुरू की. 10 रुपए में साल में दो बार गरीबों को धोती-साड़ी और लुंगी दी जाएगी. इसके लिए 500 करोड़ का बजट राज्य सरकार ने तय किया है. लेकिन इसको लेकर विपक्ष ने सवाल खड़ा किया है, जिसके बाद इस योजना को लेकर राजनीति शुरू हो गयी है.

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राज्य सरकार के इस योजना पर राजनीति भी शुरू हो गई है. बीजेपी ने योजना के नाम पर सवाल खड़ा करते हुए कहा है कि मुख्यमंत्री अपने दादा-दादी के नाम पर यह योजना शुरू की है. परंपरा के अनुसार समाज के लिए बड़ा काम करने वाले लोगों के नाम पर सम्मान देने के लिए योजना का नाम रखा जाता है. पूर्व मंत्री और बीजेपी विधायक अमर बाउरी (BJP MLA Amar Bauri) ने इस योजना में चल रहे भ्रष्टाचार पर भी सवाल खड़ा करते हुए सरकार की मंशा की आलोचना की है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

इस मुद्दे को लेकर बीजेपी पर पलटवार करते हुए कांग्रेस विधायक और सरकार के मंत्री डॉ. रामेश्वर उरांव ने कहा है कि बीजेपी बेतुका सवाल खड़ा कर रही है. मुख्यमंत्री ने अपने दादा-दादी के नाम पर योजना शुरू किया है. शिबु सोरेन के माता-पिता का भी समाज के लिए बड़ा योगदान झारखंड के लिए रहा है.

गरीबों तक नहीं पहुंच पा रहा है कपड़ा
हेमंत सोरेन ने 2014 में सीएम रहते हुए इस योजना की शुरुआत की थी. लेकिन तत्कालीन रघुवर सरकार ने इसे बंद कर दिया. फिर से 2019 में महागठबंधन की सरकार ने इस योजना को धरातल पर उतारा. मगर हकीकत यह है कि पीडीएस दुकानों तक अभी तक धोती-साड़ी, लुंगी पहुंची ही नहीं है. ऐसे में आम गरीबों को इसका लाभ कैसे मिलेगा.

योजना का लाभ लेने के लिए लोग पीडीएस दुकान पर चक्कर लगा रहे हैं. राजधानी के वार्ड नं. 41 के कई पीडीएस दुकान पर जब ईटीवी भारत (Etv Bharat) की टीम ने हकीकत जानने की कोशिश की तो दुकानदार ने भी धोती, साड़ी, लुंगी अब तक दुकानों तक नहीं पहुंचने के कारण लोगों को नहीं दिए जाने की बात कही.

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ये है सोना सोबरन योजना
बीपीएल परिवारों को धोती, लूंगी, और साड़ी भी प्रदान करने के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सोना-सोबरन योजना का शुभारंभ किया है. इस योजना की शुरुआत राज्य मंत्रिमंडल द्वारा पास करने के बाद 22 सितंबर को दुमका से शुरू की गई. इस योजना के माध्यम से राज्य के गरीब बीपीएल परिवारों को साड़ी, लुंगी, धोती देने का दावा किया जा रहा है.

खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री डॉ. रामेश्वर उरांव (Food and Supplies Minister Dr. Rameshwar Oraon) ने सोना-सोबरन धोती साड़ी योजना की सराहना करते हुए कहा कि इसके तहत 58 लाख लाल कार्ड और 4 लाख हरा कार्डधारी को लाभ मिलेगा. प्रारंभ में लाल कार्डधारी 58 लाख लोगों को इस योजना का लाभ दिया जा रहा है. राज्य सरकार ने इस योजना के लिए 500 करोड़ के बजट का वित्तीय प्रावधान किया है. इस योजना के अंतर्गत गरीबी रेखा से नीचे आने वाले लोगों को साल में दो बार अनुदानित मूल्य पर कपड़े प्रदान किए जाएंगे.

सोना-सोबरन धोती-साड़ी योजना (Sona-Sobran Dhoti-Saree Scheme) को 2014 में हेमंत सरकार ने शुरू किया था. इसके बाद रघुवर दास के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने इसे साल 2015 में बंद कर दिया था. एक बार फिर इस योजना को जमीन पर उतारा गया है. मगर विडंबना यह है कि गरीबों को तन ढकने के बजाए योजना में अव्यवस्था है और इसपर राजनीति भी ज्यादा होने लगी है. जिससे इसकी सफलता पर संशय ही व्यक्त की जा सकती है.

Last Updated : Oct 27, 2021, 12:48 PM IST
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