रांची: वैश्विक महामारी कोरोना को लेकर लगे लॉकडाउन की वजह से देश के अलग-अलग राज्यों में फंसे झारखंड के मजदूर और छात्रों के वापस लौटने के दौरान लिए गए कथित भाड़े को लेकर सियासत तेज हो गई है.
एक तरफ प्रदेश में सत्तारूढ़ महागठबंधन की सरकार ने केंद्र सरकार पर मजदूरों से भाड़ा लेने का आरोप लगाया. वहीं, दूसरी तरफ बीजेपी ने 85% भाड़ा केंद्र द्वारा वहन करने का दावा किया है. हालांकि इन सबके बीच प्रवासी मजदूरों की वापसी के मामले को देख रहे अधिकारियों की बातें कन्फ्यूजन पैदा कर रही हैं. दरअसल, राज्य में 15 आईएएस अधिकारियों को अलग-अलग राज्यों से छात्रों और मजदूरों को वापस लाने की जिम्मेदारी दी गई है.
इन अधिकारियों को मिला है जिम्मा
प्रधान सचिव अमरेंद्र प्रताप सिंह को मुख्य नोडल पदाधिकारी बनाया गया है और उन्हें महाराष्ट्र में फंसे लोगों को वापस लाने की जिम्मेदारी दी गई. जबकि विनय कुमार चौबे को दिल्ली, अजय कुमार सिंह को कर्नाटक, असम और गोवा, अविनाश कुमार को तमिलनाडु और एमपी, हिमानी पांडे को राजस्थान, दादर नगर हवेली, दमन और दीव और मेघालय, आराधना पटनायक को यूपी, सिक्किम, नागालैंड, राहुल शर्मा को तेलंगाना, केके सोन को गुजरात, अरुणाचल प्रदेश और त्रिपुरा राहुल पुरवार को उड़ीसा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पूजा सिंघल को पंजाब, अमिताभ कौशल को पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, लद्दाख, अबू बकर सिद्दीकी को केरल, प्रवीण टोप्पो को चंडीगढ़, जम्मू कश्मीर, बिहार, प्रशांत कुमार को हरियाणा और के रवि कुमार को मणिपुर, मिजोरम, पुडुचेरी, छत्तीसगढ़, अंडमान निकोबार की जिम्मेदारी दी गई है.
अबतक 5 ट्रेन से लगभग 6,000 लोग हैं लौटे
सबसे बड़ी बात यह है राज्य में अबतक प्रवासी मजदूरों और छात्रों को लेकर पांच ट्रेन आईं हैं. उनमें लगभग 6,000 लोग झारखंड पहुंचे हैं. झारखंड के हटिया के अलावे बरकाकाना, जसीडीह, धनबाद तक ट्रेनों को पहुंचाया गया है. उन ट्रेनों में राजस्थान के कोटा, बेंगलुरु और तेलंगाना से 1-1, जबकि केरल से दो ट्रेन आई है.
क्या कहते हैं नोडल अधिकारी
दरअसल, मजदूरों से भाड़ा वसूलने को लेकर स्टेट नोडल पदाधिकारी अमरेंद्र प्रताप सिंह से जब बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने पहले मना कर दिया. इसके लिए ब्रीफिंग करने वाले अधिकारी अमिताभ कौशल से बात करने को कहा. हालांकि बाद में उन्होंने कहा कि जिन राज्यों ने लोगों को वापस भेजने की एवज में पैसे मांगे गए वहां सरकार ने पैसे दिए हैं.
उन्होंने कहा कि 6 लाख रुपए कोटा से यहां लाने के एवज में दिए गए हैं, हालांकि जब उनसे पूछा गया कि दक्षिण भारत से आने वाली ट्रेनों के मद में कितने पैसे दिए गए हैं तो उन्होंने साफ तौर पर कहा कि डिस्पैचिंग राज्यों ने किसी तरह की कोई डिमांड नहीं की इसलिए उन्हें पैसे नहीं दिए गए
वहीं, जब अमिताभ कौशल से बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने सीधे तौर पर मना कर दिया. बता दें कि दक्षिण भारत से धनबाद और रांची उतरने वाले कुछ मजदूरों ने टिकट दिखाते हुए साफ कहा कि वह अपने खर्चे पर घर लौटे हैं.