ETV Bharat / city

झारखंड में सबसे ज्यादा वक्त तक संभाली सीएम की कुर्सी, अब केंद्र की सियासत में सक्रिय

सरकार की पिछली कड़ी में हमने झारखंड के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के बारे में बताया था. अब ऐसे मुख्यमंत्री के बारे में जानिए, जिन्हें प्रदेश में सबसे कम उम्र में मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला. अर्जुन मुंडा ने जब पहली बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, तो उस समय उनकी आयु महज 35 साल थी.

arjun munda news
author img

By

Published : Nov 7, 2019, 6:04 AM IST

रांचीः झारखंड के दूसरे मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा को गठबंधन के दलों को साथ लेकर चलने का हुनर बखूबी आता है. अपने इसी हुनर के दम पर उन्हें तीन बार मुख्यमंत्री का पद संभालने का मौका मिला. इतना ही नहीं सिर्फ 35 साल की उम्र में मुख्यमंत्री बनने का रिकॉर्ड भी बनाया और झारखंड में सबसे लंबे समय तक सीएम की कुर्सी भी संभाली.

वीडियो में देखिए पूरी जानकारी

जमशेदपुर के घोड़ाबांधा में जन्मे अर्जुन मुंडा ने 1980 में झारखंड मुक्ति मोर्चा से जुड़कर राजनीतिक सफर की शुरुआत की. पहली बार वे 1995 में खरसावां विधानसभा सीट से जेएमएम की टिकट पर चुनाव जीते और फिर राज्य गठन के ऐन पहले बीजेपी में शामिल हो गए. साल 2000 और 2005 में भी खरसावां विधानसभा सीट से उनकी जीत हुई. अलग झारखंड का गठन होने के बाद उन्हें मरांडी कैबिनेट में समाज कल्याण मंत्री बनाया गया.

former cm of jharkhand arjun munda
अर्जुन मुंडा का राजनीतिक सफर

निर्दलीय विधायकों ने किया तख्ता पलट
गठबंधन के नेताओं में मतभेद के चलते बाबूलाल मरांडी के इस्तीफे के बाद अर्जुन मुंडा ने 18 मार्च 2003 से 2 मार्च 2005 तक कुल 715 दिनों तक सत्ता की कमान संभाली. इसके बाद झारखंड विधानसभा चुनाव 2005 में जनादेश बिखरा हुआ मिला. बीजेपी को 30 सीटों पर जीत मिली. जेएमएम 17, कांग्रेस 9, आरजेडी 7, जेडीयू 6 और अन्य के खाते में 12 सीटें गईं. यूपीए के बैनर तले शिबू सोरेन ने सरकार बनाने का दावा पेश किया लेकिन 10 दिनों के अंदर ही बहुमत साबित करने के दिन शिबू सोरेन को इस्तीफा देना पड़ा.

former cm of jharkhand arjun munda
अर्जुन मुंडा का राजनीतिक सफर

ऐसे ही नाजुक हालात में अर्जुन मुंडा दूसरी बार मुख्यमंत्री बनाए गए. 12 मार्च 2005 से 14 सितंबर 2006 तक अर्जुन मुंडा ने कुर्सी संभाले रखी. इस दौरान शुरू की गई मुख्यमंत्री कन्यादान योजना की पूरे देश में सराहना की गई. युवा सोच वाले अर्जुन झारखंड के विकास का लक्ष्य साध पाते, उससे पहले ही एक बार फिर राजनीतिक उथलपुथल तेज हो गई और यूपीए की शह पर निर्दलीय विधायकों ने मुंडा सरकार का तख्ता पलट दिया.

former cm of jharkhand arjun munda
अर्जुन मुंडा का राजनीतिक सफर

झारखंड की राजनीति स्वार्थ सिद्धि का जरिया बन चुकी थी. हर छोटी-बड़ी बात पर विधायक अपना पाला बदल रहे थे. तब लालू यादव की पहल पर जगरनाथपुर से निर्दलीय विधायक मधु कोड़ा को मुख्यमंत्री पद पर बिठाया गया और जेएमएम, कांग्रेस और राजद के समर्थन से सरकार एक बार फिर पटरी पर चलती दिखने लगी. हालांकि जोड़तोड़ वाली ये सरकार विवादों में रही और मधु कोड़ा को इस्तीफा देना पड़ा. नतीजा ये हुआ कि कुर्सी की खींचतान में 4 बार सरकार बदली और शिबू सोरेन से होते हुए अंत में राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ गया.

former cm of jharkhand arjun munda
दूसरे विधानसभा का आंकड़ा

ये भी पढ़ें-कभी संघ के लिए छोड़ी थी नौकरी, अब बीजेपी के 'अश्वमेध यज्ञ' का घोड़ा रोकने की कोशिश

तीसरा कार्यकाल भी नहीं हो सका पूरा
अर्जुन मुंडा ने मुख्यमंत्री की तीसरी पारी 11 सितंबर 2010 से 18 जनवरी 2013 तक संभाली. विधानसभा चुनाव 2009 में भी स्पष्ट जनादेश नहीं होने के चलते जोड़तोड़ कर पहले शिबू सोरेन को मुख्यमंत्री बनाया गया, लेकिन सरकार गिर गई और 102 दिनों के लिए राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा. इसके बाद जेएमएम के सहयोग से ही बीजेपी ने सरकार का गठन किया.

former cm of jharkhand arjun munda
अर्जुन मुंडा का राजनीतिक सफर

अर्जुन मुंडा को जेएमएम, आजसू, जेडीयू और दो निर्दलीय विधायकों ने बिना शर्त समर्थन दिया. अर्जुन मुंडा सीएम और हेमंत सोरेन डिप्टी सीएम बनाए गए. दोनों के बीच तालमेल नहीं बना तो 860 दिन बाद फिर से राष्ट्रपति शासन लगाने की नौबत आ गई. इसके बाद सत्ता के नए समीकरण बने और हेमंत सोरेन यूपीए के समर्थन से मुख्यमंत्री बन बैठे. 533 दिन बाद 28 दिसंबर 2014 को तीसरे विधानसभा का कार्यकाल पूरा हो गया और राज्य एक बार फिर चुनावी शोर में डूब गया.

अर्जुन मुंडा झारखंड की राजनीति में बड़े कद्दावर माने जाते हैं. राज्य में आदिवासियों के कल्याण की जिम्मेदारी संभालते-संभालते अब वे केंद्र में जनजातीय मामलों के मंत्रालय को संभाल रहे हैं. वक्त के साथ उनके कार्य क्षेत्र का दायरा बढ़ता जा रहा है. राज्य की राजनीति से निकलकर अब वे केंद्र की सियासत में ज्यादा सक्रिय हैं. सरकार की अगली कड़ी में एक ऐसे शख्स की बात करेंगे जिसे झारखंड के लोग दिशोम गुरु के नाम से जानते हैं.

रांचीः झारखंड के दूसरे मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा को गठबंधन के दलों को साथ लेकर चलने का हुनर बखूबी आता है. अपने इसी हुनर के दम पर उन्हें तीन बार मुख्यमंत्री का पद संभालने का मौका मिला. इतना ही नहीं सिर्फ 35 साल की उम्र में मुख्यमंत्री बनने का रिकॉर्ड भी बनाया और झारखंड में सबसे लंबे समय तक सीएम की कुर्सी भी संभाली.

वीडियो में देखिए पूरी जानकारी

जमशेदपुर के घोड़ाबांधा में जन्मे अर्जुन मुंडा ने 1980 में झारखंड मुक्ति मोर्चा से जुड़कर राजनीतिक सफर की शुरुआत की. पहली बार वे 1995 में खरसावां विधानसभा सीट से जेएमएम की टिकट पर चुनाव जीते और फिर राज्य गठन के ऐन पहले बीजेपी में शामिल हो गए. साल 2000 और 2005 में भी खरसावां विधानसभा सीट से उनकी जीत हुई. अलग झारखंड का गठन होने के बाद उन्हें मरांडी कैबिनेट में समाज कल्याण मंत्री बनाया गया.

former cm of jharkhand arjun munda
अर्जुन मुंडा का राजनीतिक सफर

निर्दलीय विधायकों ने किया तख्ता पलट
गठबंधन के नेताओं में मतभेद के चलते बाबूलाल मरांडी के इस्तीफे के बाद अर्जुन मुंडा ने 18 मार्च 2003 से 2 मार्च 2005 तक कुल 715 दिनों तक सत्ता की कमान संभाली. इसके बाद झारखंड विधानसभा चुनाव 2005 में जनादेश बिखरा हुआ मिला. बीजेपी को 30 सीटों पर जीत मिली. जेएमएम 17, कांग्रेस 9, आरजेडी 7, जेडीयू 6 और अन्य के खाते में 12 सीटें गईं. यूपीए के बैनर तले शिबू सोरेन ने सरकार बनाने का दावा पेश किया लेकिन 10 दिनों के अंदर ही बहुमत साबित करने के दिन शिबू सोरेन को इस्तीफा देना पड़ा.

former cm of jharkhand arjun munda
अर्जुन मुंडा का राजनीतिक सफर

ऐसे ही नाजुक हालात में अर्जुन मुंडा दूसरी बार मुख्यमंत्री बनाए गए. 12 मार्च 2005 से 14 सितंबर 2006 तक अर्जुन मुंडा ने कुर्सी संभाले रखी. इस दौरान शुरू की गई मुख्यमंत्री कन्यादान योजना की पूरे देश में सराहना की गई. युवा सोच वाले अर्जुन झारखंड के विकास का लक्ष्य साध पाते, उससे पहले ही एक बार फिर राजनीतिक उथलपुथल तेज हो गई और यूपीए की शह पर निर्दलीय विधायकों ने मुंडा सरकार का तख्ता पलट दिया.

former cm of jharkhand arjun munda
अर्जुन मुंडा का राजनीतिक सफर

झारखंड की राजनीति स्वार्थ सिद्धि का जरिया बन चुकी थी. हर छोटी-बड़ी बात पर विधायक अपना पाला बदल रहे थे. तब लालू यादव की पहल पर जगरनाथपुर से निर्दलीय विधायक मधु कोड़ा को मुख्यमंत्री पद पर बिठाया गया और जेएमएम, कांग्रेस और राजद के समर्थन से सरकार एक बार फिर पटरी पर चलती दिखने लगी. हालांकि जोड़तोड़ वाली ये सरकार विवादों में रही और मधु कोड़ा को इस्तीफा देना पड़ा. नतीजा ये हुआ कि कुर्सी की खींचतान में 4 बार सरकार बदली और शिबू सोरेन से होते हुए अंत में राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ गया.

former cm of jharkhand arjun munda
दूसरे विधानसभा का आंकड़ा

ये भी पढ़ें-कभी संघ के लिए छोड़ी थी नौकरी, अब बीजेपी के 'अश्वमेध यज्ञ' का घोड़ा रोकने की कोशिश

तीसरा कार्यकाल भी नहीं हो सका पूरा
अर्जुन मुंडा ने मुख्यमंत्री की तीसरी पारी 11 सितंबर 2010 से 18 जनवरी 2013 तक संभाली. विधानसभा चुनाव 2009 में भी स्पष्ट जनादेश नहीं होने के चलते जोड़तोड़ कर पहले शिबू सोरेन को मुख्यमंत्री बनाया गया, लेकिन सरकार गिर गई और 102 दिनों के लिए राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा. इसके बाद जेएमएम के सहयोग से ही बीजेपी ने सरकार का गठन किया.

former cm of jharkhand arjun munda
अर्जुन मुंडा का राजनीतिक सफर

अर्जुन मुंडा को जेएमएम, आजसू, जेडीयू और दो निर्दलीय विधायकों ने बिना शर्त समर्थन दिया. अर्जुन मुंडा सीएम और हेमंत सोरेन डिप्टी सीएम बनाए गए. दोनों के बीच तालमेल नहीं बना तो 860 दिन बाद फिर से राष्ट्रपति शासन लगाने की नौबत आ गई. इसके बाद सत्ता के नए समीकरण बने और हेमंत सोरेन यूपीए के समर्थन से मुख्यमंत्री बन बैठे. 533 दिन बाद 28 दिसंबर 2014 को तीसरे विधानसभा का कार्यकाल पूरा हो गया और राज्य एक बार फिर चुनावी शोर में डूब गया.

अर्जुन मुंडा झारखंड की राजनीति में बड़े कद्दावर माने जाते हैं. राज्य में आदिवासियों के कल्याण की जिम्मेदारी संभालते-संभालते अब वे केंद्र में जनजातीय मामलों के मंत्रालय को संभाल रहे हैं. वक्त के साथ उनके कार्य क्षेत्र का दायरा बढ़ता जा रहा है. राज्य की राजनीति से निकलकर अब वे केंद्र की सियासत में ज्यादा सक्रिय हैं. सरकार की अगली कड़ी में एक ऐसे शख्स की बात करेंगे जिसे झारखंड के लोग दिशोम गुरु के नाम से जानते हैं.

Intro:Body:

झारखंड में सबसे ज्यादा वक्त तक संभाली सीएम की कुर्सी, अब केंद्र की सियासत में सक्रिय

political career of former cm of jharkhand arjun munda



arjun munda, arjun munda video,  arjun munda photo, arjun munda which minister, arjun munda news, arjun munda news in hindi, अर्जुन मुंडा, अर्जुन मुंडा न्यूज, झारखंड विधानसभा चुनाव 2019, jharkhand assembly election 2019, jharkhand mahasamar, झारखंड महासमर, झारखंड के मुख्यमंत्री, chief minister of jharkhand



सरकार की पिछली कड़ी में हमने झारखंड के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के बारे में बताया था. अब ऐसे मुख्यमंत्री के बारे में जानिए, जिन्हें प्रदेश में सबसे कम उम्र में मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला. अर्जुन मुंडा ने जब पहली बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, तो उस समय उनकी आयु महज 35 साल थी.



रांचीः झारखंड के दूसरे मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा को गठबंधन के दलों को साथ लेकर चलने का हुनर बखूबी आता है. अपने इसी हुनर के दम पर उन्हें तीन बार मुख्यमंत्री का पद संभालने का मौका मिला. इतना ही नहीं सिर्फ 35 साल की उम्र में मुख्यमंत्री बनने का रिकॉर्ड भी बनाया और झारखंड में सबसे लंबे समय तक सीएम की कुर्सी भी संभाली.



जमशेदपुर के घोड़ाबांधा में जन्मे अर्जुन मुंडा ने 1980 में झारखंड मुक्ति मोर्चा से जुड़कर राजनीतिक सफर की शुरुआत की. पहली बार वे 1995 में खरसावां विधानसभा सीट से जेएमएम की टिकट पर चुनाव जीते और फिर राज्य गठन के ऐन पहले बीजेपी में शामिल हो गए. साल 2000 और 2005 में भी खरसावां विधानसभा सीट से उनकी जीत हुई. अलग झारखंड का गठन होने के बाद उन्हें मरांडी कैबिनेट में समाज कल्याण मंत्री बनाया गया. 



निर्दलीय विधायकों ने किया तख्ता पलट

गठबंधन के नेताओं में मतभेद के चलते बाबूलाल मरांडी के इस्तीफे के बाद अर्जुन मुंडा ने 18 मार्च 2003 से 2 मार्च 2005 तक कुल 715 दिनों तक सत्ता की कमान संभाली. इसके बाद झारखंड विधानसभा चुनाव 2005 में जनादेश बिखरा हुआ मिला. बीजेपी को 30 सीटों पर जीत मिली. जेएमएम 17, कांग्रेस 9, आरजेडी 7, जेडीयू 6 और अन्य के खाते में 12 सीटें गईं. यूपीए के बैनर तले शिबू सोरेन ने सरकार बनाने का दावा पेश किया लेकिन 10 दिनों के अंदर ही बहुमत साबित करने के दिन शिबू सोरेन को इस्तीफा देना पड़ा. ऐसे ही नाजुक हालात में अर्जुन मुंडा दूसरी बार मुख्यमंत्री बनाए गए. 12 मार्च 2005 से 14 सितंबर 2006 तक अर्जुन मुंडा ने कुर्सी संभाले रखी. इस दौरान शुरू की गई मुख्यमंत्री कन्यादान योजना की पूरे देश में सराहना की गई. युवा सोच वाले अर्जुन झारखंड के विकास का लक्ष्य साध पाते, उससे पहले ही एक बार फिर राजनीतिक उथलपुथल तेज हो गई और यूपीए की शह पर निर्दलीय विधायकों ने मुंडा सरकार का तख्ता पलट दिया. 



झारखंड की राजनीति स्वार्थ सिद्धि का जरिया बन चुकी थी. हर छोटी-बड़ी बात पर विधायक अपना पाला बदल रहे थे. तब लालू यादव की पहल पर जगरनाथपुर से निर्दलीय विधायक मधु कोड़ा को मुख्यमंत्री पद पर बिठाया गया और जेएमएम, कांग्रेस और राजद के समर्थन से सरकार एक बार फिर पटरी पर चलती दिखने लगी. हालांकि जोड़तोड़ वाली ये सरकार विवादों में रही और मधु कोड़ा को इस्तीफा देना पड़ा. नतीजा ये हुआ कि कुर्सी की खींचतान में 4 बार सरकार बदली और शिबू सोरेन से होते हुए अंत में राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ गया. 



तीसरा कार्यकाल भी नहीं हो सका पूरा

अर्जुन मुंडा ने मुख्यमंत्री की तीसरी पारी 11 सितंबर 2010 से 18 जनवरी 2013 तक संभाली. विधानसभा चुनाव 2009 में भी स्पष्ट जनादेश नहीं होने के चलते जोड़तोड़ कर पहले शिबू सोरेन को मुख्यमंत्री बनाया गया, लेकिन सरकार गिर गई और 102 दिनों के लिए राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा. इसके बाद जेएमएम के सहयोग से ही बीजेपी ने सरकार का गठन किया. अर्जुन मुंडा को जेएमएम, आजसू, जेडीयू और दो निर्दलीय विधायकों ने बिना शर्त समर्थन दिया. अर्जुन मुंडा सीएम और हेमंत सोरेन डिप्टी सीएम बनाए गए. दोनों के बीच तालमेल नहीं बना तो 860 दिन बाद फिर से राष्ट्रपति शासन लगाने की नौबत आ गई. इसके बाद सत्ता के नए समीकरण बने और हेमंत सोरेन यूपीए के समर्थन से मुख्यमंत्री बन बैठे. 533 दिन बाद 28 दिसंबर 2014 को तीसरे विधानसभा का कार्यकाल पूरा हो गया और राज्य एक बार फिर चुनावी शोर में डूब गया.



अर्जुन मुंडा झारखंड की राजनीति में बड़े कद्दावर माने जाते हैं. राज्य में आदिवासियों के कल्याण की जिम्मेदारी संभालते-संभालते अब वे केंद्र में जनजातीय मामलों के मंत्रालय को संभाल रहे हैं. वक्त के साथ उनके कार्य क्षेत्र का दायरा बढ़ता जा रहा है. राज्य की राजनीति से निकलकर अब वे केंद्र की सियासत में ज्यादा सक्रिय हैं. सरकार की अगली कड़ी में एक ऐसे शख्स की बात करेंगे जिसे झारखंड के लोग दिशोम गुरु के नाम से जानते हैं.


Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.