रांचीः अमर शहीद वीर बुधु भगत के नाम से चिन्हित जमीन पर एकलव्य आवासीय विद्यालय बनाए जाने का विरोध दिनोंदिन बढ़ता दिख रहा है. इसी को लेकर पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत सैकड़ों की संख्या में आदिवासी समाज के लोग एकजुट होकर सरकार में शामिल कांग्रेस पार्टी के दफ्तर का घेराव करने और विधायक बंधु तिर्की का पुतला दहन करने के लिए निकले. लेकिन बीच में ही पुलिस प्रशासन ने उन्हें रोक दिया. इस दौरान आदिवासी समाज के लोगों और पुलिस के साथ तीखी नोंकझोंक भी हुई.
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अमर शहीद वीर बुधु भगत के नाम से चिन्हित जमीन पर एकलव्य आवासीय विद्यालय बनाए जाने का विरोध को लेकर सड़क पर उतरे पूर्व मंत्री देव कुमार धान ने कहा कि सरकार भले ही आदिवासी की झारखंड में बनी हो, लेकिन आदिवासियों अधिकारों का हनन किया जा रहा है. लगातार आदिवासियों के अस्तित्व को मिटाने को लेकर सरकार काम कर रही है. पिछले 3 महीने से आंदोलन चल रहा है और लगातार यह आंदोलन जारी रहेगा. जिस तरीके से पुराना धार्मिक स्थल तोड़कर राम मंदिर बनाया गया है उसी प्रकार निर्माणाधीन एकलव्य आवासीय विद्यालय को तोड़कर शहीद वीर भगत का स्मारक बनाया जाएगा.
केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष अजय तिर्की ने कहा कि लड़ाई आर-पार की होगी. पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत कांग्रेस पार्टी दफ्तर का घेराव करने निकले थे. लेकिन प्रशासन अपनी तानाशाह रवैया अपनाकर हम लोगों को रोका है, निश्चित रूप से आगे रणनीति तैयार की जाएगी और एकलव्य आवासीय विद्यालय के विरोध में हजारों की संख्या में आदिवासी समाज सिलागांई चलें नारा के साथ इसका विरोध करेंगे.
सिलागांई में एकलव्य आवासीय विद्यालय बनाए जाने योजना जैसे ही लायी गयी इसका विरोध शुरू हो गया है. विरोध कर रहे सामाजिक संगठन राज्य सरकार से मांग की है कि एकलव्य आवासीय विद्यालय का निर्माण अमर शहीद वीर बुधु भगत के नाम से चिन्हित जमीन पर ना करें और दूसरी जगह पर स्कूल का निर्माण किया जाए. जिससे आदिवासी समाज के लोगों को इस विद्यालय का लाभ मिले और स्वतंत्रता सेनानी रहे वीर बुधु भगत का अस्तित्व भी बरकरार रहे. अमर शहीद वीर बुधु भगत की जन्म स्थल सिलागांई में उनके नाम से 52 एकड़ जमीन चिन्हित किया गया है. जहां वीर बुधु भगत के जयंती पर जतरा मेला का आयोजन होता है. इस जमीन पर केंद्रीय आदिवासी कल्याण मंत्रालय की ओर से एकलव्य आवासीय विद्यालय बनाया जा रहा है जो आदिवासी समाज के बड़े तबके को मंजूर नहीं है. लिहाजा आदिवासी समाज इसका पुरजोर विरोध कर रहा है.
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आदिवासी समाज इसके विरोध में सड़क पर उतर आयी. केंद्रीय आदिवासी कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा, सांसद सुदर्शन भगत और विधायक बंधु तिर्की का पुतला दहनकर लगातार चरणबद्ध आंदोलन कर रहे हैं. इसके बावजूद भी वहां निर्माण कार्य जारी है. इसके विरोध में सैकड़ों आदिवासी समाज एकजुट होकर सिलागांई चलो का नारा लगा रहे हैं.
अमर शहीद वीर बुधु भगत कोल आंदोलन के महानायक थे. उन्होंने 1831-32 में ब्रिटिश शासन के खिलाफ स्वतंत्रता संग्राम का आंदोलन छेड़ा और अंग्रेजों को नाकों चने चबाने पर मजबूर कर दिया. लिहाजा आदिवासी समाज इसे अपना धरोहर मानती है. यही वजह है कि इसके अस्तित्व को मिटने नहीं देना चाहते.