रांची: झारखंड में भले ही प्रखंड स्तर पर खेल प्रतिभाओं की खोज की जा रही है .सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों से भी खिलाड़ियों को ढूंढ कर उचित प्लेटफार्म देने की कोशिश हो रही है. लेकिन किसी भी खेल से जुड़े खिलाड़ियों के लिए उनकी फिटनेस सबसे अहम होती है. शरीर के दमखम और लगातार प्रैक्टिस की बदौलत ही खिलाड़ी कामयाबी की सीढ़ियों को चढ़ते हैं .लेकिन जब खिलाड़ियों को जरूरी खुराक ही ना मिले तो जीत की कहानियां लिखेंगे कैसे .
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खिलाड़ियों को नहीं मिल रहा पौष्टिक भोजन: झारखंड में हॉकी खिलाड़ियों के साथ-साथ अन्य खेल के खिलाड़ी पौष्टिक भोजन के अभाव में फिटनेस बरकरार नहीं रख पा रहे हैं और ना ही उनका खेल बेहतर हो रहा है. खासकर हॉकी खिलाड़ियों को प्रतिदिन 1 लीटर दूध 2 अंडे 100 ग्राम दाल हरी सब्जी, मांसाहारी को 200 ग्राम मांस शाकाहारी को राजमा सेब अनार खजूर दिया जाना चाहिए .लेकिन इससे उलट ऐसे कई खिलाड़ी है जो माड़ भात खा कर दिन-रात पसीने बहाते हैं .इसके बावजूद वे बेहतर प्रदर्शन करने की कोशिश में जुटे रहते हैं. इस और ना तो कोच का ध्यान है और ना ही संबंधित पदाधिकारियों और अधिकारियों का. इस मामले को लेकर कई खेल एसोसिएशन ने सवाल खड़े किए हैं.
खिलाड़ियों का दर्द: फिटनेस की समस्या से जुझ रहे खिलाड़ियों की माने तो कई खिलाड़ियों ने इसकी शिकायत विभिन्न प्लेटफार्म पर की है. लेकिन शिकायत करने पर खिलाड़ियों पर ही गाज गिर जाता है. इस मामले को लेकर कई खिलाड़ियोें ने कुछ भी कहने से इंकार कर दिया. हालांकि कुछ खिलाड़ी और खेल एसोसिएशन से जुड़े पदाधिकारी ने साहस दिखाते हुए खिलाड़ियों के दर्द को साझा किया है.
अपने दम पर खिलाड़ियों का बेहतर प्रदर्शन: बता दें कि झारखंड में खेल और खिलाड़ियों को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं संचालित हो रही है. ग्रामीण स्तर पर खेल प्रतिभा खोज जैसे योजनाएं चलाई जा रही है .इन योजनाओं के जरिए ग्रामीण क्षेत्र के प्रतिभाओं को ढूंढ कर उन्हें राज्य सरकार द्वारा संचालित डे बोर्डिंग सेंटर में रखा जाता है. हालांकि कुछ डे बोर्डिंग सेंटर में खिलाड़ियों को बेहतर खुराक दिया जाता है. लेकिन ऐसे कई सेंटर है. जहां खिलाड़ियों को बेहतर खुराक नहीं मिलता है. जिन खिलाड़ियों का चयन इन डे बोर्डिंग सेंटर में नहीं होता है. ऐसे खिलाड़ी अपने घर में रहकर बेहतर प्रैक्टिस करते हैं और उसी प्रैक्टिस के बदौलत खिलाड़ी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर राज्य और देश का नाम भी रोशन करते दिखे हैं. ऐसे चिन्हित खिलाड़ियों को राज्य सरकार की ओर से चाहिए कि उन्हें बेहतर खुराक मिले. ताकि वह अपने दमखम और प्रैक्टिस के बदौलत देश का नाम रोशन कर सकें.