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वरदान साबित हो रहा फूलो झानो आशीर्वाद अभियान, हड़िया-दारू छोड़ सम्मान की जीवन जी रही हैं महिलाएं - Phoolo Jhanno Ashirwad campaign

झारखंड में सरकार की फूलो झानो आशीर्वाद अभियान कई महिलाओं के लिए वरदान साबित हुआ है. इस योजना का लाभ लेकर कई महिलाएं शराब बेचना छोड़कर सम्मानजनक रोजगार कर अपना और अपने परिवार का भरण पोषण कर रही हैं.

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वरदान साबित हो रहा है फूलो झानो आशिर्वाद अभियान
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Published : Oct 28, 2021, 10:43 AM IST

रांची: झारखंड में हड़िया दारू बेचने वाली महिलाओं के लिए शुरू की गई फूलो-झानो आशीर्वाद अभियान वरदान साबित हो रहा है. इस योजना से ऐसी महिलाओं का जीवन अब बदलने लगा है जो पहले हड़िया दारू बेचने को मजबूर थीं.

ये भी पढ़ें- फूलो झानो मेडिकल कॉलेज अस्पताल सिर्फ एक शिशु रोग विशेषज्ञ के भरोसे, कैसे होगा बच्चों का सही इलाज

योजना का दिख रहा है असर

फूलो-झानो आशीर्वाद अभियान से झारखंड की हजारों महिलाओं की जिंदगी में बड़ा बदलाव आया है. पहले जो महिलाएं आर्थिक मजबूरियों की वजह से सड़क किनारे बैठकर हड़िया और शराब बेचती थीं, उन्हें अब रोजगार के सम्मानजनक कार्यों से जोड़ा जा रहा है. इस बारे में सीएम का विजन बिल्कुल साफ है. वैसी महिलाएं जो हड़िया दारू बेच रही हैं, उन्हें अब इस धंधे से निकालकर बकरी पालन, बत्तख पालन, मुर्गी पालन सहित कई दूसरे व्यवसाय से जोड़ा जा रहा है.

फूलो-झानो योजना से सफल हुई कई महिलाएं

फूलो-झानो आशीर्वाद अभियान की सफलता की सैकड़ों कहानियां हैं. ऐसी ही कहानी बोकारो के पेटरवार प्रखंड की अंजू देवी की है. गरीबी से तंग अंजू देवी परिवार का भरण पोषण करने के लिए गांव में ही हड़िया बेचती थी, जबकि उसका पति मजदूरी करता था. कम मजदूरी और हम हमेशा काम नहीं मिलने की सूरत में उनका परिवार आर्थिक संकट से जूझ रहा था. वो काफी समय से हड़िया बेचने का काम छोड़ना चाहती थी. मुश्किल समय में फूलो-झानो योजना से 10 हजार रुपये का कर्ज मिला, जिससे उसने चाय और नाश्ते की दुकान खोल ली. दुकान में जब ग्राहकों की भीड़ बढ़ी तो अंजू को दोबारा 20 हजार रूपये का ऋण मिला. इससे उसने राशन की दुकान खोल ली. अब उसे प्रतिदिन 4 सौ से 500 रुपये की आमदनी हो रही है.

गाय और बकरी पालन से जुड़ी गुड़िया देवी

एक और प्रेरक कहानी हजारीबाग जिले के दारू प्रखंड के रचंका गांव निवासी गुड़िया देवी की है. गुड़िया देवी भी खराब आर्थिक स्थिति के कारण हड़िया बेचने पर मजबूर थी. घर काफी मुश्किल से चल रहा था. ऐसे ही समय में गुड़िया देवी जेएसएलपीएस के माध्यम से गुलाब आजीविका महिला समूह से जुड़ी. जेएसएलपीएस से गुड़िया को क्षमतावर्धक प्रशिक्षण में शामिल होने का मौका मिला. बता दें कि फूलो झानो आशीर्वाद अभियान के तहत महिलाओं की काउंसिलिंग कर हड़िया-दारू की बिक्री छोड़ने के लिए प्रेरित किया जाता है. गुड़िया देवी ने भी काउंसिलिंग के बाद हड़िया बेचने का काम बंद कर 15 हजार रुपये का लोन लेकर घर पर ही गाय और बकरी पालन का काम शुरू किया. अब गुड़िया देवी गाय और बकरी का दूध बेचकर परिवार का पालन अच्छे से कर रही है.

जंजी के जीवन में आया बदलाव

फूलो झानो आशीर्वाद अभियान से जुड़कर गोड्डा जिले के महगामा प्रखंड स्थित महादेव बथान गांव की निवासी जंजी कुमारी की जिंदगी में भी सकारात्मक बदलाव आया है. जंजी ने इंटर तक पढ़ाई की है. पति बेरोजगार था इसलिए जंजी कुमारी को मजबूरी में हड़िया बेचकर परिवार चलाना पड़ता था. इसके बाद जंजी कुमारी गुलाब आजीविका सखी मंडल से जुड़ी. वह समूह की सक्रिय सदस्यों में से एक थी. समूह से उसे ऋण मिला जिसके बाद उसने घर पर ही चाय नाश्ते की दुकान खोली है. जंजी नहीं चाहती है कि उसके बच्चे हड़िया दारू बेचने के कारोबार से जुड़े इसलिए उसने हड़िया की बिक्री पूरी तरह से खत्म करने का फैसला किया है. वह नशे के खिलाफ जागरुकता अभियान से भी जुड़ी है. अब जंजी कुमारी की जिंदगी खुशहाली और सम्मान के साथ कट रही है.

रांची: झारखंड में हड़िया दारू बेचने वाली महिलाओं के लिए शुरू की गई फूलो-झानो आशीर्वाद अभियान वरदान साबित हो रहा है. इस योजना से ऐसी महिलाओं का जीवन अब बदलने लगा है जो पहले हड़िया दारू बेचने को मजबूर थीं.

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योजना का दिख रहा है असर

फूलो-झानो आशीर्वाद अभियान से झारखंड की हजारों महिलाओं की जिंदगी में बड़ा बदलाव आया है. पहले जो महिलाएं आर्थिक मजबूरियों की वजह से सड़क किनारे बैठकर हड़िया और शराब बेचती थीं, उन्हें अब रोजगार के सम्मानजनक कार्यों से जोड़ा जा रहा है. इस बारे में सीएम का विजन बिल्कुल साफ है. वैसी महिलाएं जो हड़िया दारू बेच रही हैं, उन्हें अब इस धंधे से निकालकर बकरी पालन, बत्तख पालन, मुर्गी पालन सहित कई दूसरे व्यवसाय से जोड़ा जा रहा है.

फूलो-झानो योजना से सफल हुई कई महिलाएं

फूलो-झानो आशीर्वाद अभियान की सफलता की सैकड़ों कहानियां हैं. ऐसी ही कहानी बोकारो के पेटरवार प्रखंड की अंजू देवी की है. गरीबी से तंग अंजू देवी परिवार का भरण पोषण करने के लिए गांव में ही हड़िया बेचती थी, जबकि उसका पति मजदूरी करता था. कम मजदूरी और हम हमेशा काम नहीं मिलने की सूरत में उनका परिवार आर्थिक संकट से जूझ रहा था. वो काफी समय से हड़िया बेचने का काम छोड़ना चाहती थी. मुश्किल समय में फूलो-झानो योजना से 10 हजार रुपये का कर्ज मिला, जिससे उसने चाय और नाश्ते की दुकान खोल ली. दुकान में जब ग्राहकों की भीड़ बढ़ी तो अंजू को दोबारा 20 हजार रूपये का ऋण मिला. इससे उसने राशन की दुकान खोल ली. अब उसे प्रतिदिन 4 सौ से 500 रुपये की आमदनी हो रही है.

गाय और बकरी पालन से जुड़ी गुड़िया देवी

एक और प्रेरक कहानी हजारीबाग जिले के दारू प्रखंड के रचंका गांव निवासी गुड़िया देवी की है. गुड़िया देवी भी खराब आर्थिक स्थिति के कारण हड़िया बेचने पर मजबूर थी. घर काफी मुश्किल से चल रहा था. ऐसे ही समय में गुड़िया देवी जेएसएलपीएस के माध्यम से गुलाब आजीविका महिला समूह से जुड़ी. जेएसएलपीएस से गुड़िया को क्षमतावर्धक प्रशिक्षण में शामिल होने का मौका मिला. बता दें कि फूलो झानो आशीर्वाद अभियान के तहत महिलाओं की काउंसिलिंग कर हड़िया-दारू की बिक्री छोड़ने के लिए प्रेरित किया जाता है. गुड़िया देवी ने भी काउंसिलिंग के बाद हड़िया बेचने का काम बंद कर 15 हजार रुपये का लोन लेकर घर पर ही गाय और बकरी पालन का काम शुरू किया. अब गुड़िया देवी गाय और बकरी का दूध बेचकर परिवार का पालन अच्छे से कर रही है.

जंजी के जीवन में आया बदलाव

फूलो झानो आशीर्वाद अभियान से जुड़कर गोड्डा जिले के महगामा प्रखंड स्थित महादेव बथान गांव की निवासी जंजी कुमारी की जिंदगी में भी सकारात्मक बदलाव आया है. जंजी ने इंटर तक पढ़ाई की है. पति बेरोजगार था इसलिए जंजी कुमारी को मजबूरी में हड़िया बेचकर परिवार चलाना पड़ता था. इसके बाद जंजी कुमारी गुलाब आजीविका सखी मंडल से जुड़ी. वह समूह की सक्रिय सदस्यों में से एक थी. समूह से उसे ऋण मिला जिसके बाद उसने घर पर ही चाय नाश्ते की दुकान खोली है. जंजी नहीं चाहती है कि उसके बच्चे हड़िया दारू बेचने के कारोबार से जुड़े इसलिए उसने हड़िया की बिक्री पूरी तरह से खत्म करने का फैसला किया है. वह नशे के खिलाफ जागरुकता अभियान से भी जुड़ी है. अब जंजी कुमारी की जिंदगी खुशहाली और सम्मान के साथ कट रही है.

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