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हाई कोर्ट की फटकार का सरकार पर नहीं हुआ असर! रिम्स में महंगे दामों पर दवा खरीदने को मरीज मजबूर

रघुवर सरकार ने रिम्स में निजी जेनेरिक दवा की दुकान खोलने की इजाजत दी थी. जिसे हेमंत सरकार में नियम विरुद्ध बताकर बंद करा दिया. हेमंत सरकार ने भरोसा दिलाया था कि निजी जेनेरिक दवा दुकान से 1500 किस्म की दवा मिल जाया करती थी, उसी तरह प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना के तहत टेंडर कर दवा दुकान खुल जाएगा. लेकिन अब तक सरकार का वादा पूरा नहीं हो सका. जिसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है.

dawa dukan shop in RIMS
रिम्स में मरीजों को परेशानी
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Published : Dec 26, 2021, 12:42 PM IST

Updated : Dec 26, 2021, 2:05 PM IST

रांची: देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सस्ते जेनेरिक दवा के हिमायती हैं. लेकिन झारखंड के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स में इलाज कराने आने वाले मरीजों को सस्ते नहीं, बल्कि महंगे दामों में दवा कैसे मिले इसकी व्यवस्था प्रबंधन ने कर दिया है. रिम्स परिसर में पिछली रघुवर सरकार ने एक निजी जेनेरिक दवा की दुकान खोलने की इजाजत दे दी थी. जिसे इस सरकार में नियम विरुद्ध बताकर 20 अगस्त को ही बंद करा दिया.

इसे भी पढे़ं: कंपकपाती ठंड ने बढ़ाई रिम्स में भर्ती मरीजों की मुसीबत, बिना कंबल रात बिताने को हैं मजबूर

वर्तमान हेमंत सरकार ने यह भरोसा दिलाया था कि जिस तरह निजी जेनेरिक दवा दुकान से 1500 किस्म की दवा मिल जाया करती थी, उसी तरह प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना के तहत टेंडर कर दवा दुकान खुल जाएगा. जिसके बाद मरीजों और उनके परिजनों को कोई दिक्कत नहीं होगी. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. चार महीने बाद भी टेंडर की प्रक्रिया का मामला फंसा है. अभी जो जन औषधि की दुकान चल रही है वहां 1500 की जगह कुछ दवा ही मिल रही है. सर्जिकल आइटम तो महज 08 से 10 हैं. नतीजा यह कि मरीजों के परिजन महंगी दवा खरीदने को मजबूर हैं. जन औषधि के फार्मासिस्ट अमित कुमार बताते हैं कि अभी दवा की डिमांड आपूर्तिकर्ता से की जाती है. लेकिन वहां से दवा समय पर मिलती ही नहीं है और हम दूसरे जगह से दवा नहीं खरीद सकते.

देखें पूरी खबर



क्या कहते हैं मरीज के परिजन

रिम्स के मेडिसीन विभाग में भर्ती एक मरीज के परिजन तौसीफ कहते हैं कि हर तीसरे दिन डॉक्टर 3 से 4 हजार की दवा लिख देते हैं. अगर वो दवा जेनेरिक में खरीदा जाएगा तो एक हजार में हो जाएगा. लेकिन रिम्स में दवा ही नहीं है. ऐसे में बाहर से दवा खरीदना मजबूरी है.

इसे भी पढे़ं: झारखंड में कोरोना वैक्सीन का एक और विकल्प, पांच जिलों में zycov-d vaccine लगाने की तैयारी



मरीजों को जल्द मिलेगी सस्ते दाम में दवा- रिम्स प्रबंधन

मरीजों को कोई परेशानी नहीं होगी यह कहकर निजी जेनेरिक दवा की दुकान दवाई दोस्त को बंद करा देने वाला रिम्स प्रबंधन चार महीने बाद भी सस्ती दवा की मुकम्मल व्यवस्था करने में असफल है. इस मामले को लेकर झारखंड उच्च न्यायालय भी रिम्स निदेशक को फटकार लगा चुका है. पूरे मामले को लेकर जब ईटीवी भारत के संवाददाता ने रिम्स के जनसम्पर्क पदाधिकारी से सवाल किया तो उन्होंने फिर से भरोसा दिलाते हुए कहा कि जल्द मरीजों को सस्ती दवा को लेकर हो रही समस्या समाप्त हो जाएगा.

रांची: देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सस्ते जेनेरिक दवा के हिमायती हैं. लेकिन झारखंड के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स में इलाज कराने आने वाले मरीजों को सस्ते नहीं, बल्कि महंगे दामों में दवा कैसे मिले इसकी व्यवस्था प्रबंधन ने कर दिया है. रिम्स परिसर में पिछली रघुवर सरकार ने एक निजी जेनेरिक दवा की दुकान खोलने की इजाजत दे दी थी. जिसे इस सरकार में नियम विरुद्ध बताकर 20 अगस्त को ही बंद करा दिया.

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वर्तमान हेमंत सरकार ने यह भरोसा दिलाया था कि जिस तरह निजी जेनेरिक दवा दुकान से 1500 किस्म की दवा मिल जाया करती थी, उसी तरह प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना के तहत टेंडर कर दवा दुकान खुल जाएगा. जिसके बाद मरीजों और उनके परिजनों को कोई दिक्कत नहीं होगी. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. चार महीने बाद भी टेंडर की प्रक्रिया का मामला फंसा है. अभी जो जन औषधि की दुकान चल रही है वहां 1500 की जगह कुछ दवा ही मिल रही है. सर्जिकल आइटम तो महज 08 से 10 हैं. नतीजा यह कि मरीजों के परिजन महंगी दवा खरीदने को मजबूर हैं. जन औषधि के फार्मासिस्ट अमित कुमार बताते हैं कि अभी दवा की डिमांड आपूर्तिकर्ता से की जाती है. लेकिन वहां से दवा समय पर मिलती ही नहीं है और हम दूसरे जगह से दवा नहीं खरीद सकते.

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क्या कहते हैं मरीज के परिजन

रिम्स के मेडिसीन विभाग में भर्ती एक मरीज के परिजन तौसीफ कहते हैं कि हर तीसरे दिन डॉक्टर 3 से 4 हजार की दवा लिख देते हैं. अगर वो दवा जेनेरिक में खरीदा जाएगा तो एक हजार में हो जाएगा. लेकिन रिम्स में दवा ही नहीं है. ऐसे में बाहर से दवा खरीदना मजबूरी है.

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मरीजों को जल्द मिलेगी सस्ते दाम में दवा- रिम्स प्रबंधन

मरीजों को कोई परेशानी नहीं होगी यह कहकर निजी जेनेरिक दवा की दुकान दवाई दोस्त को बंद करा देने वाला रिम्स प्रबंधन चार महीने बाद भी सस्ती दवा की मुकम्मल व्यवस्था करने में असफल है. इस मामले को लेकर झारखंड उच्च न्यायालय भी रिम्स निदेशक को फटकार लगा चुका है. पूरे मामले को लेकर जब ईटीवी भारत के संवाददाता ने रिम्स के जनसम्पर्क पदाधिकारी से सवाल किया तो उन्होंने फिर से भरोसा दिलाते हुए कहा कि जल्द मरीजों को सस्ती दवा को लेकर हो रही समस्या समाप्त हो जाएगा.

Last Updated : Dec 26, 2021, 2:05 PM IST
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