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रिम्स में कैसे होगा मरीज का अच्छा इलाज, बेडशीट तो दूर डॉक्टरों के गाउन की भी नहीं होती सफाई

रिम्स (RIMS) झारखंड का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल है. यहां न सिर्फ पूरे झारखंड से बल्कि दूसरे राज्यों से भी मरीज इलाज करने पहुंचते हैं. लेकिन इस अस्पताल में लापरवाही का आलम ये है कि यहां मरीजों की बेडशीट और ब्लैंकेट के अलावा ऑपरेशन थियेटर से आने वाले डॉक्टरों के खून से सने गाउन की भी ठीक से सफाई नहीं होती है.

patient bedsheets and doctors gowns are not cleaned in RIMS
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Published : Oct 3, 2021, 6:10 PM IST

Updated : Oct 3, 2021, 6:25 PM IST

रांची: राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स (RIMS) में लापरवाही के मामले आए दिन देखने को मिलते हैं. खास कर मरीजों की सुविधा को लेकर प्रबंधन और कर्मचारी की लापरवाही देखी जाती है. लेकिन लापरवाही की हद तो तब हो जाती है, जब इलाज के लिए आने वाले मरीजों को रिम्स में साफ-सुथरा बेडशीट तक मय्यसर नहीं हो पाता.

रिम्स में मरीजों के बेड पर बिछाने जाने वाले चादर और ब्लैंकेट के अलावा डॉक्टरों के पहनने वाले गाउन की साफ सफाई को लेकर रिम्स प्रबंधन बिल्कुल भी सजग नहीं है. इसकी सफाई की जिम्मेदारी रिम्स के मैकेनाइज लॉन्ड्री को दी गई है. लेकिन लॉन्ड्री के पास फिलहाल इन सभी कपड़ों को साफ करने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं है. हमने जब मैकेनाइज्ड लॉन्ड्री में काम करने वाले कर्मचारी से बात की तो उन्होंने बताया कि कई बार डिटर्जेंट और हाइपो केमिकल नहीं रहने के कारण वे लोग बेडशीट और ओटी से आने वाले कपड़ों की सफाई नहीं कर पाते हैं. डिटर्जेंट और हाइपो केमिकल के माध्यम से ही ओटी में उपयोग किए जाने वाले बेडशीट और डॉक्टरों के गाउन में लगे खून के धब्बे को हटाया जा सकता है.

देखें वीडियो

ये भी पढ़ें: घटिया दवाइयां! पारासिटामोल से लेकर एल्बेंडाजोल तक जांच में निकले सबस्टैंडर्ड

लॉन्ड्री में काम करने वाले कर्मचारियों की मानें तो रिम्स से हर दिन बेडशीट, ब्लैंकेट और डॉक्टरों के गाउन की संख्या चार हजार से पांच हजार तक होती है. जिसमें हर दिन 25 किलो डिटर्जेंट और 30 लीटर हाइपो केमिकल की जरूरत पड़ती है. लेकिन रिम्स प्रबंधन के द्वारा पिछले कई दिनों से इसकी आपूर्ति नहीं किए जाने के कारण सिर्फ पानी से ही कपड़ों को साफ कर आयरन किया जा रहा है.

patient bedsheets and doctors gowns are not cleaned
रिम्स की लॉन्ड्री
वहीं, रिम्स में आने वाले मरीजों ने भी बताया कि अस्पताल के द्वारा बेडशीट उपलब्ध तो कराया जाता है, लेकिन इसकी सफाई ठीक ढंग से नहीं होती है. कई मरीज के परिजनों ने कैमरे के सामने कुछ भी कहने से मना कर दिया. लेकिन ऑफ कैमरा उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि कुछ वार्डों में कई दिनों तक बेडशीट बदले नहीं जाते हैं जिससे मरीज में संक्रमण फैलने का खतरा और भी बढ़ जाता है. इस पूरे मामले पर स्टोर मैनेजर राकेश कुमार ने बताया कि 1 से 2 दिनों के लिए सर्फ की किल्लत जरूर हुई थी लेकिन हाइपो केमिकल प्रचूर मात्रा में था. फिलहाल डिटर्जेंट की किल्लत को भी दूर कर दिया गया है, साथ ही गवर्नमेंट ई मार्केटिंग के माध्यम से लॉन्ड्री में डिटर्जेंट मुहैया कराने का आर्डर दे दिया गया है. जल्द से जल्द रिम्स के बेडशीट, डॉक्टरों के गाउन और ब्लैंकेट को साफ करने के लिए प्रचुर मात्रा सामग्री स्वास्थ विभाग की तरफ से रिम्स को मुहैया करा दी जाएगी. अब ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी है कि राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स में सभी जिलों से गरीब मरीज बेहतर स्वास्थ्य लाभ लेने आते हैं. लेकिन यहां आने के बाद उन्हें गंदे बेडशीट और ब्लैंकेट पर लेट कर इलाज करना पड़े तो यह निश्चित रूप से रिम्स में आने वाले मरीजों के स्वास्थ्य के साथ प्रबंधन की घोर लापरवाही को दिखलता है.

रांची: राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स (RIMS) में लापरवाही के मामले आए दिन देखने को मिलते हैं. खास कर मरीजों की सुविधा को लेकर प्रबंधन और कर्मचारी की लापरवाही देखी जाती है. लेकिन लापरवाही की हद तो तब हो जाती है, जब इलाज के लिए आने वाले मरीजों को रिम्स में साफ-सुथरा बेडशीट तक मय्यसर नहीं हो पाता.

रिम्स में मरीजों के बेड पर बिछाने जाने वाले चादर और ब्लैंकेट के अलावा डॉक्टरों के पहनने वाले गाउन की साफ सफाई को लेकर रिम्स प्रबंधन बिल्कुल भी सजग नहीं है. इसकी सफाई की जिम्मेदारी रिम्स के मैकेनाइज लॉन्ड्री को दी गई है. लेकिन लॉन्ड्री के पास फिलहाल इन सभी कपड़ों को साफ करने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं है. हमने जब मैकेनाइज्ड लॉन्ड्री में काम करने वाले कर्मचारी से बात की तो उन्होंने बताया कि कई बार डिटर्जेंट और हाइपो केमिकल नहीं रहने के कारण वे लोग बेडशीट और ओटी से आने वाले कपड़ों की सफाई नहीं कर पाते हैं. डिटर्जेंट और हाइपो केमिकल के माध्यम से ही ओटी में उपयोग किए जाने वाले बेडशीट और डॉक्टरों के गाउन में लगे खून के धब्बे को हटाया जा सकता है.

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लॉन्ड्री में काम करने वाले कर्मचारियों की मानें तो रिम्स से हर दिन बेडशीट, ब्लैंकेट और डॉक्टरों के गाउन की संख्या चार हजार से पांच हजार तक होती है. जिसमें हर दिन 25 किलो डिटर्जेंट और 30 लीटर हाइपो केमिकल की जरूरत पड़ती है. लेकिन रिम्स प्रबंधन के द्वारा पिछले कई दिनों से इसकी आपूर्ति नहीं किए जाने के कारण सिर्फ पानी से ही कपड़ों को साफ कर आयरन किया जा रहा है.

patient bedsheets and doctors gowns are not cleaned
रिम्स की लॉन्ड्री
वहीं, रिम्स में आने वाले मरीजों ने भी बताया कि अस्पताल के द्वारा बेडशीट उपलब्ध तो कराया जाता है, लेकिन इसकी सफाई ठीक ढंग से नहीं होती है. कई मरीज के परिजनों ने कैमरे के सामने कुछ भी कहने से मना कर दिया. लेकिन ऑफ कैमरा उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि कुछ वार्डों में कई दिनों तक बेडशीट बदले नहीं जाते हैं जिससे मरीज में संक्रमण फैलने का खतरा और भी बढ़ जाता है. इस पूरे मामले पर स्टोर मैनेजर राकेश कुमार ने बताया कि 1 से 2 दिनों के लिए सर्फ की किल्लत जरूर हुई थी लेकिन हाइपो केमिकल प्रचूर मात्रा में था. फिलहाल डिटर्जेंट की किल्लत को भी दूर कर दिया गया है, साथ ही गवर्नमेंट ई मार्केटिंग के माध्यम से लॉन्ड्री में डिटर्जेंट मुहैया कराने का आर्डर दे दिया गया है. जल्द से जल्द रिम्स के बेडशीट, डॉक्टरों के गाउन और ब्लैंकेट को साफ करने के लिए प्रचुर मात्रा सामग्री स्वास्थ विभाग की तरफ से रिम्स को मुहैया करा दी जाएगी. अब ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी है कि राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स में सभी जिलों से गरीब मरीज बेहतर स्वास्थ्य लाभ लेने आते हैं. लेकिन यहां आने के बाद उन्हें गंदे बेडशीट और ब्लैंकेट पर लेट कर इलाज करना पड़े तो यह निश्चित रूप से रिम्स में आने वाले मरीजों के स्वास्थ्य के साथ प्रबंधन की घोर लापरवाही को दिखलता है.
Last Updated : Oct 3, 2021, 6:25 PM IST
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