रांची: राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स (RIMS) में लापरवाही के मामले आए दिन देखने को मिलते हैं. खास कर मरीजों की सुविधा को लेकर प्रबंधन और कर्मचारी की लापरवाही देखी जाती है. लेकिन लापरवाही की हद तो तब हो जाती है, जब इलाज के लिए आने वाले मरीजों को रिम्स में साफ-सुथरा बेडशीट तक मय्यसर नहीं हो पाता.
रिम्स में मरीजों के बेड पर बिछाने जाने वाले चादर और ब्लैंकेट के अलावा डॉक्टरों के पहनने वाले गाउन की साफ सफाई को लेकर रिम्स प्रबंधन बिल्कुल भी सजग नहीं है. इसकी सफाई की जिम्मेदारी रिम्स के मैकेनाइज लॉन्ड्री को दी गई है. लेकिन लॉन्ड्री के पास फिलहाल इन सभी कपड़ों को साफ करने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं है. हमने जब मैकेनाइज्ड लॉन्ड्री में काम करने वाले कर्मचारी से बात की तो उन्होंने बताया कि कई बार डिटर्जेंट और हाइपो केमिकल नहीं रहने के कारण वे लोग बेडशीट और ओटी से आने वाले कपड़ों की सफाई नहीं कर पाते हैं. डिटर्जेंट और हाइपो केमिकल के माध्यम से ही ओटी में उपयोग किए जाने वाले बेडशीट और डॉक्टरों के गाउन में लगे खून के धब्बे को हटाया जा सकता है.
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लॉन्ड्री में काम करने वाले कर्मचारियों की मानें तो रिम्स से हर दिन बेडशीट, ब्लैंकेट और डॉक्टरों के गाउन की संख्या चार हजार से पांच हजार तक होती है. जिसमें हर दिन 25 किलो डिटर्जेंट और 30 लीटर हाइपो केमिकल की जरूरत पड़ती है. लेकिन रिम्स प्रबंधन के द्वारा पिछले कई दिनों से इसकी आपूर्ति नहीं किए जाने के कारण सिर्फ पानी से ही कपड़ों को साफ कर आयरन किया जा रहा है.