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'असंवैधानिक है 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति, नहीं किया जा सकता है लागू'

हेमंत सोरेन सरकार ने 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीय नीति बनाने का फैसला किया है (1932 khatiyan best sthaniya niti in Jharkhand). इसके बाद से ही झारखंड की राजनीति गर्म हो गई है. हेमंत सोरेन के इस फैसले से कहीं खुशी का माहौल है तो कहीं इस फैसले पर सवाल उठाया जा रहा है. वहीं कई नेता और विशेषज्ञ इसे अव्यवहारिक भी बता रहे हैं.

implementing 1932 khatiyan best sthaniya niti
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Published : Sep 15, 2022, 6:06 PM IST

Updated : Sep 15, 2022, 6:25 PM IST

रांची: हेमंत सरकार के 1932 के आधार पर स्थानीय नीति लागू (1932 khatiyan best sthaniya niti in Jharkhand) करने के फैसले के बाद राज्य में भ्रम की स्थिति बनी हुई है. हर जगह यह चर्चा हो रही है कि आखिर सरकार के इस निर्णय से राज्य की जनता पर क्या असर पड़ेगा. इस संबंध में जाने माने अधिवक्ता अविनाश पांडे से विस्तार से बताया है.

ये भी पढ़ें: मधु कोड़ा ने 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीय नीति का किया विरोध, कहा- 45 लाख लोग बन जाएंगे रिफ्यूजी

कानूनविद अविनाश पांडे ने 1932 के आधार पर स्थानीय नीति बनाने के फैसले को असंवैधानिक बताते हुए कहा है कि यह नियमसंगत नहीं होने की वजह से लागू नहीं हो सकेगा. उन्होंने कहा कि कैबिनेट के फैसले के बाद यह प्रस्ताव राज्यपाल के समक्ष जाएगा राज्यपाल के विवेकाधीन यह प्रस्ताव रहेगा और इस संबंध में राज्यपाल कानूनी सलाह भी ली जा सकती है.

अधिवक्ता अविनाश पांडे से बात करते संवाददाता भुवन किशोर झा

अविनाश पांडे का मानना है कि अगर राज्यपाल इस प्रस्ताव को खारिज कर सरकार को वापस लौट आते हैं तो सरकार के पास यह अधिकार है कि इसे फिर से कैबिनेट में पास कराकर राजभवन भेजें या केंद्र सरकार को भेजें. राज्य सरकार के द्वारा संविधान की अनुसूची नौ का हवाला दिया गया है और कहा गया है कि इसे सीधे वहां भेज कर राज्य में 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीय नीति को लागू किया जाए. अब केंद्र सरकार पर निर्भर करता है कि वो कब इस पर सहमति प्रदान करता है. अधिवक्ता अविनाश पांडे का मानना है इससे पहले भी कई राज्यों ने अनुसूची 9 के तहत इस तरह के प्रस्ताव भेजे थे जो अभी तक लंबित हैं.

इसी तरह आरक्षण का दायरा बढ़ाने को लेकर भी कई राज्यों ने प्रस्ताव भेजा था जिसे नहीं माना गया. अनुसूची नौ ऐसा संवैधानिक व्यवस्था है जिसके तहत लिए गए निर्णय को सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती.

रांची: हेमंत सरकार के 1932 के आधार पर स्थानीय नीति लागू (1932 khatiyan best sthaniya niti in Jharkhand) करने के फैसले के बाद राज्य में भ्रम की स्थिति बनी हुई है. हर जगह यह चर्चा हो रही है कि आखिर सरकार के इस निर्णय से राज्य की जनता पर क्या असर पड़ेगा. इस संबंध में जाने माने अधिवक्ता अविनाश पांडे से विस्तार से बताया है.

ये भी पढ़ें: मधु कोड़ा ने 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीय नीति का किया विरोध, कहा- 45 लाख लोग बन जाएंगे रिफ्यूजी

कानूनविद अविनाश पांडे ने 1932 के आधार पर स्थानीय नीति बनाने के फैसले को असंवैधानिक बताते हुए कहा है कि यह नियमसंगत नहीं होने की वजह से लागू नहीं हो सकेगा. उन्होंने कहा कि कैबिनेट के फैसले के बाद यह प्रस्ताव राज्यपाल के समक्ष जाएगा राज्यपाल के विवेकाधीन यह प्रस्ताव रहेगा और इस संबंध में राज्यपाल कानूनी सलाह भी ली जा सकती है.

अधिवक्ता अविनाश पांडे से बात करते संवाददाता भुवन किशोर झा

अविनाश पांडे का मानना है कि अगर राज्यपाल इस प्रस्ताव को खारिज कर सरकार को वापस लौट आते हैं तो सरकार के पास यह अधिकार है कि इसे फिर से कैबिनेट में पास कराकर राजभवन भेजें या केंद्र सरकार को भेजें. राज्य सरकार के द्वारा संविधान की अनुसूची नौ का हवाला दिया गया है और कहा गया है कि इसे सीधे वहां भेज कर राज्य में 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीय नीति को लागू किया जाए. अब केंद्र सरकार पर निर्भर करता है कि वो कब इस पर सहमति प्रदान करता है. अधिवक्ता अविनाश पांडे का मानना है इससे पहले भी कई राज्यों ने अनुसूची 9 के तहत इस तरह के प्रस्ताव भेजे थे जो अभी तक लंबित हैं.

इसी तरह आरक्षण का दायरा बढ़ाने को लेकर भी कई राज्यों ने प्रस्ताव भेजा था जिसे नहीं माना गया. अनुसूची नौ ऐसा संवैधानिक व्यवस्था है जिसके तहत लिए गए निर्णय को सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती.

Last Updated : Sep 15, 2022, 6:25 PM IST
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