रांची: झारखंड में सक्रिय नक्सली संगठन पीएलएफआई के सुप्रीमो दिनेश गोप के द्वारा दहशत के बल पर कमाई गई अकूत संपत्ति पर पहली बार एनआईए ने दबिश डाली है. एनआईए ने गुरुवार को पीएलएफआई के टेरर फंडिंग मामले में रांची, गुमला, खूंटी और कोलकाता के 10 ठिकानों पर छापेमारी की है.
एनआईए की टीम संबंधित ठिकानों पर पहुंची
बता दें कि सुबह चार बजे बजे से ही एनआईए की टीम संबंधित ठिकानों पर पहुंच गई थी. एनआईए अधिकारियों के मुताबिक छापेमारी में झारखंड और पश्चिम बंगाल पुलिस की भी मदद ली गई. अधिकारियों के मुताबिक जांच एजेंसी ने दिनेश गोप के पैसों से जुड़ी कंपनियों और गोप के पैसे से कारोबार करने वाले कारोबारियों के यहां छापेमारी की है.
निवेश से संबंधित कागजात बरामद
पीएलएफआई सुप्रीमो और उससे जुड़े नक्सल कैडरों ने कई कंपनियों में अपना निवेश किया है. छापेमारी के दौरान निवेश संबंधी कागजात, निवेश से जुड़ी डायरी भी एनआईए ने बरामद की है. एनआईए ने कई फर्जी पैन कार्ड और कागजात भी बरामद किए हैं. छापेमारी के दौरान 3.41 लाख नगद, फिक्स डिपॉजिट और बैंक अकाउंट के डिटेल मिले हैं. जांच के दौरान एनआईए की टीम को यह भी जानकारी मिली है कि पीएलएफआई ने कई शेल कंपनियों में भी निवेश किया है. छापेमारी के दौरान 40 मोबाइल फोन भी एनआईए ने जब्त किए हैं.
क्या है पूरा मामला
नोटबंदी के दौरान पीएलएफआई सुप्रीमो दिनेश गोप ने रांची स्थित एक बैंक से 25 लाख जमा कराने के लिए पेट्रोल पंप के मालिक चंद्र शेखर कुमार को पैसे भिजवाए थे. पैसे गुमला के एक ठेकेदार के जरिए भेजे गए थे. बाद में रांची पुलिस से इस मामले की जांच एनआईए को दे दिया गया था.
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फरार है दिनेश गोप
इस मामले में एनआईए ने विनोद कुमार, यमुना प्रसाद, चन्द्र शेखर कुमार और नंदकिशोर, मोहन कुमार को पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है. उनके खिलाफ चार्जशीट भी हो चुका है. इस मामले में पीएलएफआई सुप्रीमो दिनेश गोप फिलहाल फरार चल रहा है.