ETV Bharat / city

झारखंड में अफवाह के चक्कर में पिट रहे बेकसूर, पीड़ितों के सवालों का जवाब दीजिए हुजूर

झारखंड में बीते दो महीने के दौरान बच्चा चोरी की अफवाह में मारपीट की करीब 50 घटनाएं सामने आ चुकी हैं. आएदिन बेकसूर भीड़तंत्र के गुस्से का शिकार बन रहे हैं. भीड़ को काबू करने और लोगों को जागरूक करने की कोशिशें नाकाम साबित हो रही हैं.

बच्चा चोरी की अफवाह में पिटाई
author img

By

Published : Sep 20, 2019, 9:20 PM IST

रांची: झारखंड को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गरीबों के लिए योजनाओं का लॉन्चिंग पैड बताते हैं लेकिन विपक्षी पार्टियों के नेता इसे लिंचिंग पैड करार दे रहे हैं. झारखंड में भीड़तंत्र के गुस्से की बलि चढ़ने वालों की संख्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है. गौवंश को लेकर भीड़ की हिंसा के बाद अब बच्चा चोरी की अफवाह भीड़ को हिंसक बना रही है.

देखें स्पेशल स्टोरी
हालिया घटनाओं पर गौर करें तो ज्यादातर मामले बच्चा चोरी को लेकर हुई हैं लेकिन हद तो ये है कि ज्यादातर मामलों में न तो कोई बच्चा चोरी हुआ, न बच्चा चोरी की कोई शिकायत दर्ज की गई. केवल अफवाह और संदेह होने पर भीड़ किसी भी अजनबी को पकड़ कर उसे बेरहमी से पीट डालती है. पीड़ितों की लिस्ट में महिलाएं, बुजुर्ग, भिखारी और मानसिक रूप से बीमार तक शामिल हैं. भीड़ का अंधा कानून न तो उम्र देख रहा है और न ही बुढ़ापे का लिहाज कर रहा है. उन्मादी भीड़ की तस्वीरें किसी के भी रोंगटें खड़े कर सकती है लेकिन ये तस्वीरें न तो पुलिस-प्रशासन को जगा पा रही है और न ही चुनावी कार्यक्रम में व्यस्त जनता के नुमाइंदों को ही इसकी फिक्र है.2 महीने में करीब 50 घटनाएंइस साल सिर्फ अगस्त और सितंबर महीने के दौरान ही चोरी की अफवाह और भीड़तंत्र के अंधे इंसाफ की करीब 50 से ज्यादा घटनाएं सामने आ चुकी हैं. इन घटनाओं में अब तक 4 लोगों की जान भी जा चुकी है. झारखंड के हरेभरे दामन में ये घटनाएं बदनुमा धब्बे जैसी हैं. इस मामले में शासन-प्रशासन आंखें मूंद कर अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकता.
बच्चा चोरी की अफवाह और मारपीट की घटनाएं
जिला तारीख घटना का विवरण
रांची 09 सितंबर धुर्वा इलाके में सोशल मीडिया पर बच्चा चोरी की अफवाह फैली. इसके बाद पुलिस ने ग्रुप एडमिन को हिरासत में लिया और चेतावनी देकर छोड़ दिया.
11 सितंबर कांके रोड मिशन गली में करमा पूजा महोत्सव के दौरान रात को दो किन्नरों को बच्चा चोर समझ पकड़ बंधक बनाकर रखा गया. सुबह गोंदा थाने की पुलिस को बुलाकर सौंप दिया गया.
13 सितंबर धुर्वा के हड़शेर बस्ती में आयुष्मान कार्ड सर्वे और प्रचार-प्रसार के लिए गए अस्पताल के दो स्वास्थ्यकर्मियों को बंधक बनाकर मारपीट की गई.
16 सितंबर धुर्वा के सखुआ बगान में बच्चा चोरी के शक में दो अनजान युवकों को मारपीट के बाद पुलिस को सौंपा.
18 सितंबर रांची के हिंदपीढ़ी में एक महिला और पुरुष की पिटाई.
19 सितंबर कांके थाना क्षेत्र की मिल्लत कॉलोनी में दो संदिग्धों को लोगों ने बंधक बना लिया. हालांकि बुजुर्गों की सलाह पर दोनों के साथ मारपीट नहीं की गई.
19 सितंबर हिंदपीढ़ी इलाके में घूम रही एक विक्षिप्त महिला को बच्चा चोर समझ कर पिटाई कर दी गई
धनबाद 3 सितंबर मुनीडीह ओपी के लालपुर में बच्चा चोरी की आशंका पर एक विक्षप्त महिला की लोगों ने पिटाई के बाद उसे पुलिस को सौंपा.
5 सितंबर हरिहरपुर थाना क्षेत्र के खरीओ में संदेह की हालत में घूमते युवक की लोगों ने पिटाई कर दी.
5 सितंबर निरसा थाना क्षेत्र के कांटा पहाड़ी बस्ती में 50 वर्षीय अर्द्ध विक्षिप्त प्रथम सिंह की पिटाई की गई.इलाज के दौरान मौत होने पर 20 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज, 6 गिरफ्तार.
6 सितंबर चिरकुंडा थाना क्षेत्र के नदी धौड़ा कुमारधुबी कोलियरी के समीप मुजफ्फरपुर के रहने वाले सुखनंदन यादव और रामनंदन यादव की पिटाई हुई.
8 सितंबर बरवाअड्डा थाना क्षेत्र के बरवाअड्डा बस स्टैंड के पास लोगों ने बच्चा चोर की आशंका पर 50 वर्षीय वन प्रहरी काली गोस्वामी की पिटाई कर दी.
10 सितंबर लोदना बाजार में पुरुलिया के रहनेवाले पशुपति मोदी ने पता पूछा तो लोगों ने उसे संदिग्ध मानकर बेरहमी से पीट दिया.
10 सितंबर मैथन थाना क्षेत्र के महुलबना में गांव में हीरापुर के रहनेवाले डीड राइटर सोमेन चटर्जी की लोगों ने पिटाई कर दी, उसे बचाने पहुंचे पुलिस की टीम पर पथराव किया गया.
10 सितंबर जोड़ापोखर थाना क्षेत्र के फुसबंगला के समीप एक ऑटो में सवार अर्ध विक्षिप्त बुजुर्ग पर पथराव कर लोगों ने की पिटाई.
12 सितंबर पुटकी थाना क्षेत्र के डीएवी अलकुसा के समीप हीरा कुमार मंडल की लोगों ने पिटाई की.
13 सितंबर टुंडी कमलपुर गांव में घूम रहे झरिया सब्जी पट्टी की रहनेवाले संदीप कुमार को बच्चा चोरी की आशंका पर ग्रामीणों ने उसे पकड़कर पुलिस को सौंपा.
लोहरदगा 11 सितंबर किस्को थाना क्षेत्र के तिसिया और दुरहुल में रामनवमी मेला स्थल के पास मानसिक रूप से बीमार वृद्ध महिला की बच्चा चोर की अफवाह में लोगों ने पिटाई कर दी.
गोड्डा 18 सितंबर मुफ्फसिल थाना क्षेत्र के रानी डीह गांव में बच्चा चोरी के आरोप में ग्रामीणों ने एक युवक को बुरी तरह पीट दिया. युवक को लेने पहुंची पुलिस पर भीड़ हमलावर हो गई, जिसमें 10 से ज्यादा पुलिसकर्मी घायल हो गए.
हजारीबाग 23 अगस्त सिलवार चौक मुफस्सिल थाना क्षेत्र में महिला को बच्चा चोर कर पीटा गया.
1 सितंबर बरकट्ठा थाना क्षेत्र 30 साल के मनीष कुमार को स्थानीय लोगों ने बच्चा चोर का पीट डाला.
11 सितंबर विष्णुगढ़ थाना क्षेत्र में एलएनटी कर्मी शाहिद सिद्दीकी को स्थानीय लोगों ने बच्चा चोर करके पीटा, किसी तरह पुलिस ने जान बचाई.
देवघर 12 सितंबर सरावा थाना क्षेत्र के भंडारों गांव में एक विक्षिप्त महिला के साथ लोगों ने मारपीट कर दी.
16 सितंबर सारठ थाना क्षेत्र के बेलाबाद गांव में एक शख्स की लोगों ने पिटाई कर दी
19 सितंबर धनबाद का रहने वाला एक शख्स सारठ के बेलाबद में अपने रिश्तेदार के घर जा रहा था,रास्ता भटकने पर लोगों ने उसे बच्चा चोर समझ लिया और खंभे से बांधकर जमकर पिटाई कर दी.
लातेहार 13 सितंबर मनिका थाना क्षेत्र के मतलोंग गांव में एक पुजारी की पिटाई कर दी गई, इसी दिन हेरहंज में भी एक व्यक्ति की पिटाई की गई
14 सितंबर चंदवा में एक योगी को पीटा गया.
गिरिडीह 27 सितंबर एक महिला को बच्चा चोर समझकर भीड़ ने बेरहमी से पिटाई कर दी.
कोडरमा 27 अगस्त माधोपुर पंचायत के सेलारी गांव में बच्चा चोरी की अफवाह में ग्रामीणों ने दो लोगों की जमकर पिटाई कर दी.
2 सितंबर जयनगर के डंडाडीह में समाजसेवी के बेटे को बच्चा चोर समझकर खंभे से बांधकर पीटा गया.
3 सितंबर परसाबाद के प्रतापपुर में करमा का न्योता बांटने गए 6 लोगों पर बच्चा चोर का आरोप लगाकर ग्रामीणों ने उन युवकों की जमकर पिटाई की.
जामताड़ा 5 सितंबर बस स्टैंड के पास एक शख्स को लोगों ने बच्चा चोर समझकर पिटाई कर दी
6 सितंबर इसके अगले ही दिन नारायणपुर के झुलवा गांव में एक भिखारी को बच्चा चोर समझ कर मारपीट की गई
रामगढ़ 1 सितंबर कुज्जु में रेलवे साइडिग में शौच कर रहे एक युवक की देर रात ग्रामीणों ने जमकर पिटाई कर दी.
1 सितंबर दुर्गी पंचायत के फैज मुहल्ले में बच्चा चोरी के संदेह पर एक अधेड़ शख्स को भीड़ ने जमकर पीटा, इलाज के दौरान मौत.
3 सितंबर प्रतापपुर में 6 लोगों की ग्रामीणों ने बच्चा चोर की अफवाह में पिटाई की. अस्पताल ले जाने के दौरान एंबुलेंस से उतारकर फिर पीटा.
4 सितंबर भदानी नगर थाना क्षेत्र में भीड़ तंत्र ने युवक को रस्सी से बांधकर रात भर पीटा.
4 सितंबर कुजू थाना क्षेत्र में भीड़ ने एक युवक को बच्चा चोर समझकर उसकी धुनाई कर दी.
पलामू 6 सितंबर पांकी थाना क्षेत्र के सगालीम बस स्टैंड पर अपनी मासूम बेटी को रात में घर ले जा रहे एक युवक को बच्चा चोर समझकर भीड़ ने उसे बिजली के खंभे में बांधकर जमकर पीटा.
गढ़वा 08 सितंबर गढ़वा थाना के सिदे खुर्द गांव में एक विक्षिप्त की जमकर पिटाई कर दी गई.
जामताड़ा 12 सितंबर देंदुआ गांव में एक युवक भीड़ की हिंसा का शिकार हो गया और उसकी मौत हो गई.
साहिबगंज 18 सितंबर मिर्जा चौकी थाना के कुची पहाड़ पर दोपहर में एक बुजुर्ग को ग्रामीणों ने बेरहमी से पीटा, अस्पताल ले जाने के दौरान मौत हो गई.
दुमका 9 सितंबर हंसडीहा थाना के गंगवारा हाट में एक विक्षिप्त महिला की पिटाई.
10 सितंबर साप्ताहिक हाट में भिक्षाटन करने वाली अर्द्धविक्षिप्त महिला की पिटाई.
15 सितंबर कमारचक गांव में अपनी बुआ के घर जा रही एक महिला के साथ मारपीट
17 सितंबर जरमुंडी थाना के डूबा गांव में एक महिला की पिटाई.
18 सितंबर जामा थाना के महारो गांव के पास विक्षिप्त की पिटाई.


सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देश

देश में भीड़ की हिंसा की बढ़ती घटनाओं पर चिंता जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 17 जुलाई, 2018 को सरकारों को एहतियाती, उपचारात्मक और दंडात्मक, ये तीन तरह के उपाय करने के निर्देश दिए थे. चूंकि कानून व्यवस्था राज्य सरकार का मसला है इसलिए सरकारों को हर जिले में पुलिस अधीक्षक स्तर के वरिष्ठ अधिकारियों को नोडल अधिकारी बनाने के निर्देश भी दिए गए थे. इसके बावजूद भीड़तंत्र बेकाबू होता जा रहा है.

जिम्मेदार लोगों से सवाल

पीड़ित परिवार के लोग ईटीवी भारत के माध्यम से तमाम जिम्मेदार लोगों से कुछ सवाल करना चाहते हैं. आखिर क्या वजह है कि झारखंड के भोले-भाले आदिवासी और आम लोग अचानक हिंसक रूप अख्तियार कर रहे हैं? केवल अफवाह और संदेह में किसी को भी मार डालना कहां का इंसाफ है? राज्य में क्या समाज की ठेकेदारी करने वाले असमाजिक तत्वों को गुंडागर्दी की अनकही छूट मिल गई है? सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देश के बावजूद राज्य सरकार ने अब तक कड़ा कानून क्यों नहीं बनाया और हिंसक घटनाओं पर जिले के एस पी के खिलाफ एक्शन क्यों नहीं लिया गया? आखिर ऐसे संवेदनशील मसले पर सिस्टम आंखें मूंदें क्यों बैठा है? भीड़ के बेकाबू होने की जिम्मेदारी किसकी है? क्या पुलिस और प्रशासन ऐसे लोगों से निपटने में नाकारा साबित हो रही है? आखिर असमाजिक तत्वों के मन से पुलिस का खौफ क्यों खत्म होता जा रहा है? क्या आम लोगों को कानून पर भरोसा नहीं रहा? बेरहम भीड़ में क्या कोई भी ऐसा शख्स नहीं होता, जिसके जिस्म में इंसानी जज्बात धड़कते हों.

सिस्टम से सवाल
जागरूकता का दावा
पुलिस-प्रशासन का दावा है कि वे लोगों को जागरूक करने और अफवाहों पर ध्यान नहीं देने की हिदायत दे रहे हैं. पुलिस ऐसी गतिविधियों पर नजर भी रख रही है. दरअसल, सोशल मीडिया के दौर में अफवाह फैलते देर नहीं लगती लेकिन क्या समाज इतना संवेदनहीन हो चुका है कि सही और गलत के बीच का फर्क तक भूल बैठे हैं. भीड़ को न तो इंसानियत की समझ है और न कानून का वास्ता. भीड़ की कोई शक्ल भी नहीं होती लिहाजा ये कानून की पकड़ से आसानी से बच निकलते हैं. तो क्या ये सोच कर हम बेकसूरों को बेमौत मरने दें और दिलोदिमाग के खिड़की दरवाजे बंद कर सो जाएं?ये गौर करने वाली बात है कि नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार साल 2016 में 63,407 बच्चे गुम हुए हैं. महिला और बाल विकास विभाग के आंकड़ों के अनुसार देश में हर 10 मिनट के दौरान 1 बच्चा लापता हो जा रहा है. पिछले एक साल के दौरान 54,750 बच्चों की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज की गई है, जिसमें से आधे से भी कम बच्चों की तलाश की जा सकी है. ये आंकड़े भयावह हो सकते हैं लेकिन इसकी वजह से किसी संदिग्ध की मौके पर ही पिटाई और इंसाफ के नाम पर उसे मौत के घाट पहुंचा देना न्यायसंगत नहीं है.

रांची: झारखंड को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गरीबों के लिए योजनाओं का लॉन्चिंग पैड बताते हैं लेकिन विपक्षी पार्टियों के नेता इसे लिंचिंग पैड करार दे रहे हैं. झारखंड में भीड़तंत्र के गुस्से की बलि चढ़ने वालों की संख्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है. गौवंश को लेकर भीड़ की हिंसा के बाद अब बच्चा चोरी की अफवाह भीड़ को हिंसक बना रही है.

देखें स्पेशल स्टोरी
हालिया घटनाओं पर गौर करें तो ज्यादातर मामले बच्चा चोरी को लेकर हुई हैं लेकिन हद तो ये है कि ज्यादातर मामलों में न तो कोई बच्चा चोरी हुआ, न बच्चा चोरी की कोई शिकायत दर्ज की गई. केवल अफवाह और संदेह होने पर भीड़ किसी भी अजनबी को पकड़ कर उसे बेरहमी से पीट डालती है. पीड़ितों की लिस्ट में महिलाएं, बुजुर्ग, भिखारी और मानसिक रूप से बीमार तक शामिल हैं. भीड़ का अंधा कानून न तो उम्र देख रहा है और न ही बुढ़ापे का लिहाज कर रहा है. उन्मादी भीड़ की तस्वीरें किसी के भी रोंगटें खड़े कर सकती है लेकिन ये तस्वीरें न तो पुलिस-प्रशासन को जगा पा रही है और न ही चुनावी कार्यक्रम में व्यस्त जनता के नुमाइंदों को ही इसकी फिक्र है.2 महीने में करीब 50 घटनाएंइस साल सिर्फ अगस्त और सितंबर महीने के दौरान ही चोरी की अफवाह और भीड़तंत्र के अंधे इंसाफ की करीब 50 से ज्यादा घटनाएं सामने आ चुकी हैं. इन घटनाओं में अब तक 4 लोगों की जान भी जा चुकी है. झारखंड के हरेभरे दामन में ये घटनाएं बदनुमा धब्बे जैसी हैं. इस मामले में शासन-प्रशासन आंखें मूंद कर अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकता.
बच्चा चोरी की अफवाह और मारपीट की घटनाएं
जिला तारीख घटना का विवरण
रांची 09 सितंबर धुर्वा इलाके में सोशल मीडिया पर बच्चा चोरी की अफवाह फैली. इसके बाद पुलिस ने ग्रुप एडमिन को हिरासत में लिया और चेतावनी देकर छोड़ दिया.
11 सितंबर कांके रोड मिशन गली में करमा पूजा महोत्सव के दौरान रात को दो किन्नरों को बच्चा चोर समझ पकड़ बंधक बनाकर रखा गया. सुबह गोंदा थाने की पुलिस को बुलाकर सौंप दिया गया.
13 सितंबर धुर्वा के हड़शेर बस्ती में आयुष्मान कार्ड सर्वे और प्रचार-प्रसार के लिए गए अस्पताल के दो स्वास्थ्यकर्मियों को बंधक बनाकर मारपीट की गई.
16 सितंबर धुर्वा के सखुआ बगान में बच्चा चोरी के शक में दो अनजान युवकों को मारपीट के बाद पुलिस को सौंपा.
18 सितंबर रांची के हिंदपीढ़ी में एक महिला और पुरुष की पिटाई.
19 सितंबर कांके थाना क्षेत्र की मिल्लत कॉलोनी में दो संदिग्धों को लोगों ने बंधक बना लिया. हालांकि बुजुर्गों की सलाह पर दोनों के साथ मारपीट नहीं की गई.
19 सितंबर हिंदपीढ़ी इलाके में घूम रही एक विक्षिप्त महिला को बच्चा चोर समझ कर पिटाई कर दी गई
धनबाद 3 सितंबर मुनीडीह ओपी के लालपुर में बच्चा चोरी की आशंका पर एक विक्षप्त महिला की लोगों ने पिटाई के बाद उसे पुलिस को सौंपा.
5 सितंबर हरिहरपुर थाना क्षेत्र के खरीओ में संदेह की हालत में घूमते युवक की लोगों ने पिटाई कर दी.
5 सितंबर निरसा थाना क्षेत्र के कांटा पहाड़ी बस्ती में 50 वर्षीय अर्द्ध विक्षिप्त प्रथम सिंह की पिटाई की गई.इलाज के दौरान मौत होने पर 20 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज, 6 गिरफ्तार.
6 सितंबर चिरकुंडा थाना क्षेत्र के नदी धौड़ा कुमारधुबी कोलियरी के समीप मुजफ्फरपुर के रहने वाले सुखनंदन यादव और रामनंदन यादव की पिटाई हुई.
8 सितंबर बरवाअड्डा थाना क्षेत्र के बरवाअड्डा बस स्टैंड के पास लोगों ने बच्चा चोर की आशंका पर 50 वर्षीय वन प्रहरी काली गोस्वामी की पिटाई कर दी.
10 सितंबर लोदना बाजार में पुरुलिया के रहनेवाले पशुपति मोदी ने पता पूछा तो लोगों ने उसे संदिग्ध मानकर बेरहमी से पीट दिया.
10 सितंबर मैथन थाना क्षेत्र के महुलबना में गांव में हीरापुर के रहनेवाले डीड राइटर सोमेन चटर्जी की लोगों ने पिटाई कर दी, उसे बचाने पहुंचे पुलिस की टीम पर पथराव किया गया.
10 सितंबर जोड़ापोखर थाना क्षेत्र के फुसबंगला के समीप एक ऑटो में सवार अर्ध विक्षिप्त बुजुर्ग पर पथराव कर लोगों ने की पिटाई.
12 सितंबर पुटकी थाना क्षेत्र के डीएवी अलकुसा के समीप हीरा कुमार मंडल की लोगों ने पिटाई की.
13 सितंबर टुंडी कमलपुर गांव में घूम रहे झरिया सब्जी पट्टी की रहनेवाले संदीप कुमार को बच्चा चोरी की आशंका पर ग्रामीणों ने उसे पकड़कर पुलिस को सौंपा.
लोहरदगा 11 सितंबर किस्को थाना क्षेत्र के तिसिया और दुरहुल में रामनवमी मेला स्थल के पास मानसिक रूप से बीमार वृद्ध महिला की बच्चा चोर की अफवाह में लोगों ने पिटाई कर दी.
गोड्डा 18 सितंबर मुफ्फसिल थाना क्षेत्र के रानी डीह गांव में बच्चा चोरी के आरोप में ग्रामीणों ने एक युवक को बुरी तरह पीट दिया. युवक को लेने पहुंची पुलिस पर भीड़ हमलावर हो गई, जिसमें 10 से ज्यादा पुलिसकर्मी घायल हो गए.
हजारीबाग 23 अगस्त सिलवार चौक मुफस्सिल थाना क्षेत्र में महिला को बच्चा चोर कर पीटा गया.
1 सितंबर बरकट्ठा थाना क्षेत्र 30 साल के मनीष कुमार को स्थानीय लोगों ने बच्चा चोर का पीट डाला.
11 सितंबर विष्णुगढ़ थाना क्षेत्र में एलएनटी कर्मी शाहिद सिद्दीकी को स्थानीय लोगों ने बच्चा चोर करके पीटा, किसी तरह पुलिस ने जान बचाई.
देवघर 12 सितंबर सरावा थाना क्षेत्र के भंडारों गांव में एक विक्षिप्त महिला के साथ लोगों ने मारपीट कर दी.
16 सितंबर सारठ थाना क्षेत्र के बेलाबाद गांव में एक शख्स की लोगों ने पिटाई कर दी
19 सितंबर धनबाद का रहने वाला एक शख्स सारठ के बेलाबद में अपने रिश्तेदार के घर जा रहा था,रास्ता भटकने पर लोगों ने उसे बच्चा चोर समझ लिया और खंभे से बांधकर जमकर पिटाई कर दी.
लातेहार 13 सितंबर मनिका थाना क्षेत्र के मतलोंग गांव में एक पुजारी की पिटाई कर दी गई, इसी दिन हेरहंज में भी एक व्यक्ति की पिटाई की गई
14 सितंबर चंदवा में एक योगी को पीटा गया.
गिरिडीह 27 सितंबर एक महिला को बच्चा चोर समझकर भीड़ ने बेरहमी से पिटाई कर दी.
कोडरमा 27 अगस्त माधोपुर पंचायत के सेलारी गांव में बच्चा चोरी की अफवाह में ग्रामीणों ने दो लोगों की जमकर पिटाई कर दी.
2 सितंबर जयनगर के डंडाडीह में समाजसेवी के बेटे को बच्चा चोर समझकर खंभे से बांधकर पीटा गया.
3 सितंबर परसाबाद के प्रतापपुर में करमा का न्योता बांटने गए 6 लोगों पर बच्चा चोर का आरोप लगाकर ग्रामीणों ने उन युवकों की जमकर पिटाई की.
जामताड़ा 5 सितंबर बस स्टैंड के पास एक शख्स को लोगों ने बच्चा चोर समझकर पिटाई कर दी
6 सितंबर इसके अगले ही दिन नारायणपुर के झुलवा गांव में एक भिखारी को बच्चा चोर समझ कर मारपीट की गई
रामगढ़ 1 सितंबर कुज्जु में रेलवे साइडिग में शौच कर रहे एक युवक की देर रात ग्रामीणों ने जमकर पिटाई कर दी.
1 सितंबर दुर्गी पंचायत के फैज मुहल्ले में बच्चा चोरी के संदेह पर एक अधेड़ शख्स को भीड़ ने जमकर पीटा, इलाज के दौरान मौत.
3 सितंबर प्रतापपुर में 6 लोगों की ग्रामीणों ने बच्चा चोर की अफवाह में पिटाई की. अस्पताल ले जाने के दौरान एंबुलेंस से उतारकर फिर पीटा.
4 सितंबर भदानी नगर थाना क्षेत्र में भीड़ तंत्र ने युवक को रस्सी से बांधकर रात भर पीटा.
4 सितंबर कुजू थाना क्षेत्र में भीड़ ने एक युवक को बच्चा चोर समझकर उसकी धुनाई कर दी.
पलामू 6 सितंबर पांकी थाना क्षेत्र के सगालीम बस स्टैंड पर अपनी मासूम बेटी को रात में घर ले जा रहे एक युवक को बच्चा चोर समझकर भीड़ ने उसे बिजली के खंभे में बांधकर जमकर पीटा.
गढ़वा 08 सितंबर गढ़वा थाना के सिदे खुर्द गांव में एक विक्षिप्त की जमकर पिटाई कर दी गई.
जामताड़ा 12 सितंबर देंदुआ गांव में एक युवक भीड़ की हिंसा का शिकार हो गया और उसकी मौत हो गई.
साहिबगंज 18 सितंबर मिर्जा चौकी थाना के कुची पहाड़ पर दोपहर में एक बुजुर्ग को ग्रामीणों ने बेरहमी से पीटा, अस्पताल ले जाने के दौरान मौत हो गई.
दुमका 9 सितंबर हंसडीहा थाना के गंगवारा हाट में एक विक्षिप्त महिला की पिटाई.
10 सितंबर साप्ताहिक हाट में भिक्षाटन करने वाली अर्द्धविक्षिप्त महिला की पिटाई.
15 सितंबर कमारचक गांव में अपनी बुआ के घर जा रही एक महिला के साथ मारपीट
17 सितंबर जरमुंडी थाना के डूबा गांव में एक महिला की पिटाई.
18 सितंबर जामा थाना के महारो गांव के पास विक्षिप्त की पिटाई.


सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देश

देश में भीड़ की हिंसा की बढ़ती घटनाओं पर चिंता जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 17 जुलाई, 2018 को सरकारों को एहतियाती, उपचारात्मक और दंडात्मक, ये तीन तरह के उपाय करने के निर्देश दिए थे. चूंकि कानून व्यवस्था राज्य सरकार का मसला है इसलिए सरकारों को हर जिले में पुलिस अधीक्षक स्तर के वरिष्ठ अधिकारियों को नोडल अधिकारी बनाने के निर्देश भी दिए गए थे. इसके बावजूद भीड़तंत्र बेकाबू होता जा रहा है.

जिम्मेदार लोगों से सवाल

पीड़ित परिवार के लोग ईटीवी भारत के माध्यम से तमाम जिम्मेदार लोगों से कुछ सवाल करना चाहते हैं. आखिर क्या वजह है कि झारखंड के भोले-भाले आदिवासी और आम लोग अचानक हिंसक रूप अख्तियार कर रहे हैं? केवल अफवाह और संदेह में किसी को भी मार डालना कहां का इंसाफ है? राज्य में क्या समाज की ठेकेदारी करने वाले असमाजिक तत्वों को गुंडागर्दी की अनकही छूट मिल गई है? सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देश के बावजूद राज्य सरकार ने अब तक कड़ा कानून क्यों नहीं बनाया और हिंसक घटनाओं पर जिले के एस पी के खिलाफ एक्शन क्यों नहीं लिया गया? आखिर ऐसे संवेदनशील मसले पर सिस्टम आंखें मूंदें क्यों बैठा है? भीड़ के बेकाबू होने की जिम्मेदारी किसकी है? क्या पुलिस और प्रशासन ऐसे लोगों से निपटने में नाकारा साबित हो रही है? आखिर असमाजिक तत्वों के मन से पुलिस का खौफ क्यों खत्म होता जा रहा है? क्या आम लोगों को कानून पर भरोसा नहीं रहा? बेरहम भीड़ में क्या कोई भी ऐसा शख्स नहीं होता, जिसके जिस्म में इंसानी जज्बात धड़कते हों.

सिस्टम से सवाल
जागरूकता का दावा
पुलिस-प्रशासन का दावा है कि वे लोगों को जागरूक करने और अफवाहों पर ध्यान नहीं देने की हिदायत दे रहे हैं. पुलिस ऐसी गतिविधियों पर नजर भी रख रही है. दरअसल, सोशल मीडिया के दौर में अफवाह फैलते देर नहीं लगती लेकिन क्या समाज इतना संवेदनहीन हो चुका है कि सही और गलत के बीच का फर्क तक भूल बैठे हैं. भीड़ को न तो इंसानियत की समझ है और न कानून का वास्ता. भीड़ की कोई शक्ल भी नहीं होती लिहाजा ये कानून की पकड़ से आसानी से बच निकलते हैं. तो क्या ये सोच कर हम बेकसूरों को बेमौत मरने दें और दिलोदिमाग के खिड़की दरवाजे बंद कर सो जाएं?ये गौर करने वाली बात है कि नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार साल 2016 में 63,407 बच्चे गुम हुए हैं. महिला और बाल विकास विभाग के आंकड़ों के अनुसार देश में हर 10 मिनट के दौरान 1 बच्चा लापता हो जा रहा है. पिछले एक साल के दौरान 54,750 बच्चों की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज की गई है, जिसमें से आधे से भी कम बच्चों की तलाश की जा सकी है. ये आंकड़े भयावह हो सकते हैं लेकिन इसकी वजह से किसी संदिग्ध की मौके पर ही पिटाई और इंसाफ के नाम पर उसे मौत के घाट पहुंचा देना न्यायसंगत नहीं है.
Intro:Body:

झारखंड में अफवाह के चक्कर में पिट रहे बेकसूर, पीड़ितों के सवालों का जवाब दीजिए हुजूर

mob lynching on suspicion of child thief in jharkhand

झारखंड में मॉब लिंचिंग, child thief in jharkhand, mob lynching in jharkhand, mob beating in jharkhand, बच्चा चोर के शक में पिटाई, भीड़ ने की पिटाई, झारखंड में भीड़ ने पीटा, झारखंड में बच्चा चोरी, बच्चा चोरी की अफवाह

समरीः झारखंड में बीते दो महीने के दौरान बच्चा चोरी की अफवाह में मारपीट की करीब 50 घटनाएं सामने आ चुकी हैं. आएदिन बेकसूर भीड़तंत्र के गुस्से का शिकार बन रहे हैं. भीड़ को काबू करने और लोगों को जागरूक करने की कोशिशें नाकाम साबित हो रही हैं.

रांची: झारखंड को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गरीबों के लिए योजनाओं का लॉन्चिंग पैड बताते हैं लेकिन विपक्षी पार्टियों के नेता इसे लिंचिंग पैड करार दे रहे हैं. झारखंड में भीड़तंत्र के गुस्से की बलि चढ़ने वालों की संख्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है. गौवंश को लेकर भीड़ की हिंसा के बाद अब बच्चा चोरी की अफवाह भीड़ को हिंसक बना रही है. 

वीडियो लगाएं

हालिया घटनाओं पर गौर करें तो ज्यादातर मामले बच्चा चोरी को लेकर हुई हैं लेकिन हद तो ये है कि ज्यादातर मामलों में न तो कोई बच्चा चोरी हुआ, न बच्चा चोरी की कोई शिकायत दर्ज की गई. केवल अफवाह और संदेह होने पर भीड़ किसी भी अजनबी को पकड़ कर उसे बेरहमी से पीट डालती है. पीड़ितों की लिस्ट में महिलाएं, बुजुर्ग, भिखारी और मानसिक रूप से बीमार तक शामिल हैं. भीड़ का अंधा कानून न तो उम्र देख रहा है और न ही बुढ़ापे का लिहाज कर रहा है. उन्मादी भीड़ की तस्वीरें किसी के भी रोंगटें खड़े कर सकती है लेकिन ये तस्वीरें न तो पुलिस-प्रशासन को जगा पा रही है और न ही चुनावी कार्यक्रम में व्यस्त जनता के नुमाइंदों को ही इसकी फिक्र है.

2 महीने में करीब 50 घटनाएं

इस साल सिर्फ अगस्त और सितंबर महीने के दौरान ही चोरी की अफवाह और भीड़तंत्र के अंधे इंसाफ की करीब 50 से ज्यादा घटनाएं सामने आ चुकी हैं. इन घटनाओं में अब तक 4 लोगों की जान भी जा चुकी है. झारखंड के हरेभरे दामन में ये घटनाएं बदनुमा धब्बे जैसी हैं. इस मामले में शासन-प्रशासन आंखें मूंद कर अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकता. 

टेबल लगाएं

सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देश

देश में भीड़ की हिंसा की बढ़ती घटनाओं पर चिंता जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 17 जुलाई, 2018 को सरकारों को एहतियाती, उपचारात्मक और दंडात्मक, ये तीन तरह के उपाय करने के निर्देश दिए थे. चूंकि कानून व्यवस्था राज्य सरकार का मसला है इसलिए सरकारों को हर जिले में पुलिस अधीक्षक स्तर के वरिष्ठ अधिकारियों को नोडल अधिकारी बनाने के निर्देश भी दिए गए थे. इसके बावजूद भीड़तंत्र बेकाबू होता जा रहा है. 

जिम्मेदार लोगों से सवाल

पीड़ित परिवार के लोग ईटीवी भारत के माध्यम से तमाम जिम्मेदार लोगों से कुछ सवाल करना चाहते हैं. आखिर क्या वजह है कि झारखंड के भोले-भाले आदिवासी और आम लोग अचानक हिंसक रूप अख्तियार कर रहे हैं?  केवल अफवाह और संदेह में किसी को भी मार डालना कहां का इंसाफ है? राज्य में क्या समाज की ठेकेदारी करने वाले असमाजिक तत्वों को गुंडागर्दी की अनकही छूट मिल गई है? सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देश के बावजूद राज्य सरकार ने अब तक कड़ा कानून क्यों नहीं बनाया और हिंसक घटनाओं पर जिले के एस पी के खिलाफ एक्शन क्यों नहीं लिया गया? आखिर ऐसे संवेदनशील मसले पर सिस्टम आंखें मूंदें क्यों बैठा है? भीड़ के बेकाबू होने की जिम्मेदारी किसकी है? क्या पुलिस और प्रशासन ऐसे लोगों से निपटने में नाकारा साबित हो रही है? आखिर असमाजिक तत्वों के मन से पुलिस का खौफ क्यों खत्म होता जा रहा है? क्या आम लोगों को कानून पर भरोसा नहीं रहा? बेरहम भीड़ में क्या कोई भी ऐसा शख्स नहीं होता, जिसके जिस्म में इंसानी जज्बात धड़कते हों. 

ग्राफिक्स वीडियो लगाएं

जागरूकता का दावा

पुलिस-प्रशासन का दावा है कि वे लोगों को जागरूक करने और अफवाहों पर ध्यान नहीं देने की हिदायत दे रहे हैं. पुलिस ऐसी गतिविधियों पर नजर भी रख रही है. दरअसल, सोशल मीडिया के दौर में अफवाह फैलते देर नहीं लगती लेकिन क्या समाज इतना संवेदनहीन हो चुका है कि सही और गलत के बीच का फर्क तक भूल बैठे हैं. भीड़ को न तो इंसानियत की समझ है और न कानून का वास्ता. भीड़ की कोई शक्ल भी नहीं होती लिहाजा ये कानून की पकड़ से आसानी से बच निकलते हैं. तो क्या ये सोच कर हम बेकसूरों को बेमौत मरने दें और दिलोदिमाग के खिड़की दरवाजे बंद कर सो जाएं?

ये गौर करने वाली बात है कि नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार साल 2016 में 63,407 बच्चे गुम हुए हैं. महिला और बाल विकास विभाग के आंकड़ों के अनुसार देश में हर 10 मिनट के दौरान 1 बच्चा लापता हो जा रहा है.  पिछले एक साल के दौरान 54,750 बच्चों की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज की गई है, जिसमें से आधे से भी कम बच्चों की तलाश की जा सकी है. ये आंकड़े भयावह हो सकते हैं लेकिन इसकी वजह से किसी संदिग्ध की मौके पर ही पिटाई और इंसाफ के नाम पर उसे मौत के घाट पहुंचा देना न्यायसंगत नहीं है.


Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.