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विधायक सरयू राय ने कहा- कोरोना प्रोत्साहन राशि मामला नहीं हुआ खत्म, मुख्यमंत्री ने मांगी है फाइल

प्रोत्साहन राशि को लेकर सूबे में चल रही गहमागहमी अभी थमी नहीं है. विधायक सरयू राय ने कहा है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने फाइल मंगाई है. अब देखना है कि इस मामले में उनका क्या रूख होता है.

विधायक सरयू राय
विधायक सरयू राय
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Published : May 3, 2022, 8:11 AM IST

रांचीः पूर्व मंत्री और निर्दलीय विधायक सरयू राय ने कुछ दिन पूर्व राज्य के स्वास्थ्यमंत्री बन्ना गुप्ता और उनके मंत्री कोषांग के करीब 60 लोगों को गलत तरीके से कोरोना प्रोत्साहन राशि देने का आरोप लगाकर सूबे की राजनीति गरमा दी थी. स्वास्थ्यमंत्री बन्ना गुप्ता और सरयू राय के बीच आरोप प्रत्यारोप के बीच मामला लीगल नोटिस से होते हुए अदालत तक जा पहुंच चुका है. इसके बाद यह विवाद कुछ दिनों से शांत है. हालांकि पूर्व मंत्री सरयू राय ने कहा है कि मामला मुख्यमंत्री के संज्ञान में है.

ये भी पढ़ेंः सरयू राय के खिलाफ मुकदमा दायर, स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने जमशेदपुर कोर्ट में दी याचिका


मेरी शिकायत पर मुख्यमंत्री ने मंगाई है संचिकाः पूर्व मंत्री सरयू राय ने कहा है कि कोरोना प्रोत्साहन राशि लेने का मामला अभी शांत या समाप्त नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि मैंने जो मुद्दे उठाये थे उस मामले में उनकी जानकारी में मुख्यसचिव के माध्यम से मुख्यमंत्री ने संचिका मंगाई है. अब देखना है कि इस मामले में मुख्यमंत्री क्या रुख अख्तियार करते हैं ।

गौरतलब है कि झारखंड सरकार ने कोरोनाकाल में एक महीने के वेतन के बराबर प्रोत्साहन राशि देने का फैसला लिया था. सरयू राय ने सीधा आरोप राज्य के स्वास्थ्य मंत्री पर लगाये हैं और उनकी बर्खास्तगी की मांग मुख्यमंत्री से की है.

अफसर ने खड़ी कर दी दीवारः विवाद शुरू हुआ जमशेदपुर के सिविल सर्जन अरविंद कुमार की बर्खास्तगी को लेकर. सरयू राय का आरोप था कि चिकित्सा प्रभारी रहते हुए अरविंद कुमार ने साल 2005 में बिहार के झंझारपुर से समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा था. बात सदन में उठी, तब सरयू राय ने मंत्री बन्ना गुप्ता पर अरविंद कुमार को बचाने का आरोप लगाया. हालांकि, बाद में अरविंद कुमार बर्खास्त कर दिए गए. यह बन्ना गुप्ता की बड़ी हार थी क्योंकि दोंनो करीबी थे. बन्ना गुप्ता ने भी समाजवादी पार्टी की टिकट पर चुनाव लड़ा था. इस बर्खास्तगी के बाद सबकुछ सामान्य हो गया. अब सवाल उठता है कि ऐसा क्या हुआ कि सरयू राय और बन्ना गुप्ता में ठन गई.

तस्वीर के पीछे की कहानीः जानकार बताते हैं कि सत्ता में शामिल कांग्रेस के पारसनाथ में हुए मंथन शिविर के दौरान बन्ना गुप्ता ने कहा था कि खुद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की वजह से कांग्रेस का वोट बैंक प्रभावित हो रहा है. इसके बाद खुद कांग्रेस के कुछ विधायकों ने बन्ना गुप्ता को अयोग्य बताकर घेरा. तब लगा कि सीएम की नाराजगी की गाज बन्ना के मंत्री पद पर गिरनी तय है. इसी बीच बन्ना गुप्ता ने सरयू राय की घोर विरोधी रघुवर दास के साथ गले मिलते एक तस्वीर जारी कर दी, जिसने किसी न किसी रूप में सरयू राय को आहत कर दिया.

यह भी है कारणः जानकार कहते हैं कि यह भी एक कारण था कि सरयू राय ने बन्ना गुप्ता को चित करने के लिए एक के बाद एक कई निशाने साध डाले. फर्क यह रहा कि बन्ना गुप्ता रघुवर दास जैसे नहीं निकले. कोविड प्रोत्साहन राशि की अवैध निकासी मामले के आरोप को कोर्ट लेकर चले गए. अब कुछ दिन में साफ हो जाएगा कि सरयू राय के आरोपों में कितना दम था. हालांकि जानकार यह भी कह रहे हैं कि इस ईमानदारी और बेईमानी की लड़ाई में कहीं न कहीं जमशेदपुर पश्चिमी विस सीट के प्रति सरयू राय का झुकाव भी हो सकता है. क्योंकि सरयू समझते हैं 2019 को दोबारा दोहराना आसान नहीं होगा. इसलिए संभव है कि अपनी परंपरागत सीट पर वापसी के लिए सरयू राय बन्ना गुप्ता को साधने में लगे हों.

रांचीः पूर्व मंत्री और निर्दलीय विधायक सरयू राय ने कुछ दिन पूर्व राज्य के स्वास्थ्यमंत्री बन्ना गुप्ता और उनके मंत्री कोषांग के करीब 60 लोगों को गलत तरीके से कोरोना प्रोत्साहन राशि देने का आरोप लगाकर सूबे की राजनीति गरमा दी थी. स्वास्थ्यमंत्री बन्ना गुप्ता और सरयू राय के बीच आरोप प्रत्यारोप के बीच मामला लीगल नोटिस से होते हुए अदालत तक जा पहुंच चुका है. इसके बाद यह विवाद कुछ दिनों से शांत है. हालांकि पूर्व मंत्री सरयू राय ने कहा है कि मामला मुख्यमंत्री के संज्ञान में है.

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मेरी शिकायत पर मुख्यमंत्री ने मंगाई है संचिकाः पूर्व मंत्री सरयू राय ने कहा है कि कोरोना प्रोत्साहन राशि लेने का मामला अभी शांत या समाप्त नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि मैंने जो मुद्दे उठाये थे उस मामले में उनकी जानकारी में मुख्यसचिव के माध्यम से मुख्यमंत्री ने संचिका मंगाई है. अब देखना है कि इस मामले में मुख्यमंत्री क्या रुख अख्तियार करते हैं ।

गौरतलब है कि झारखंड सरकार ने कोरोनाकाल में एक महीने के वेतन के बराबर प्रोत्साहन राशि देने का फैसला लिया था. सरयू राय ने सीधा आरोप राज्य के स्वास्थ्य मंत्री पर लगाये हैं और उनकी बर्खास्तगी की मांग मुख्यमंत्री से की है.

अफसर ने खड़ी कर दी दीवारः विवाद शुरू हुआ जमशेदपुर के सिविल सर्जन अरविंद कुमार की बर्खास्तगी को लेकर. सरयू राय का आरोप था कि चिकित्सा प्रभारी रहते हुए अरविंद कुमार ने साल 2005 में बिहार के झंझारपुर से समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा था. बात सदन में उठी, तब सरयू राय ने मंत्री बन्ना गुप्ता पर अरविंद कुमार को बचाने का आरोप लगाया. हालांकि, बाद में अरविंद कुमार बर्खास्त कर दिए गए. यह बन्ना गुप्ता की बड़ी हार थी क्योंकि दोंनो करीबी थे. बन्ना गुप्ता ने भी समाजवादी पार्टी की टिकट पर चुनाव लड़ा था. इस बर्खास्तगी के बाद सबकुछ सामान्य हो गया. अब सवाल उठता है कि ऐसा क्या हुआ कि सरयू राय और बन्ना गुप्ता में ठन गई.

तस्वीर के पीछे की कहानीः जानकार बताते हैं कि सत्ता में शामिल कांग्रेस के पारसनाथ में हुए मंथन शिविर के दौरान बन्ना गुप्ता ने कहा था कि खुद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की वजह से कांग्रेस का वोट बैंक प्रभावित हो रहा है. इसके बाद खुद कांग्रेस के कुछ विधायकों ने बन्ना गुप्ता को अयोग्य बताकर घेरा. तब लगा कि सीएम की नाराजगी की गाज बन्ना के मंत्री पद पर गिरनी तय है. इसी बीच बन्ना गुप्ता ने सरयू राय की घोर विरोधी रघुवर दास के साथ गले मिलते एक तस्वीर जारी कर दी, जिसने किसी न किसी रूप में सरयू राय को आहत कर दिया.

यह भी है कारणः जानकार कहते हैं कि यह भी एक कारण था कि सरयू राय ने बन्ना गुप्ता को चित करने के लिए एक के बाद एक कई निशाने साध डाले. फर्क यह रहा कि बन्ना गुप्ता रघुवर दास जैसे नहीं निकले. कोविड प्रोत्साहन राशि की अवैध निकासी मामले के आरोप को कोर्ट लेकर चले गए. अब कुछ दिन में साफ हो जाएगा कि सरयू राय के आरोपों में कितना दम था. हालांकि जानकार यह भी कह रहे हैं कि इस ईमानदारी और बेईमानी की लड़ाई में कहीं न कहीं जमशेदपुर पश्चिमी विस सीट के प्रति सरयू राय का झुकाव भी हो सकता है. क्योंकि सरयू समझते हैं 2019 को दोबारा दोहराना आसान नहीं होगा. इसलिए संभव है कि अपनी परंपरागत सीट पर वापसी के लिए सरयू राय बन्ना गुप्ता को साधने में लगे हों.

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