रांची: झारखंड की रांची विधानसभा सीट भाजपा की परंपरागत सीट बन गई है. रांचीवासी कहते हैं कि यहां से भाजपा किसी को भी उम्मीदवार बनाएगी तो उसकी जीत होनी तय है. अब सवाल है कि क्या भाजपा के शासनकाल में रांची में जबरदस्त तरीके से विकास कार्य हुए हैं या फिर 1990 से इस सीट पर काबिज सीपी सिंह ने इस क्षेत्र का कायाकल्प कर दिया है.
इन दोनों सवालों के जवाब में यहां के ज्यादातर लोगों का कहना है कि विपक्ष के पास कोई ऐसा उम्मीदवार ही नहीं है, जिसके बारे में सोचा जा सके. लोग कहते हैं कि उनके विधायक सीपी सिंह में अहंकार नहीं है. वह अपराधी छवि के नहीं हैं. वह क्षेत्र के लोगों के सुख दुख में हमेशा खड़े रहते हैं. एक विधायक का मिलनसार और विनम्र होना अच्छी बात है. लेकिन क्या इसी आधार पर किसी को वोट दिया जा सकता है. ईटीवी भारत की टीम ने रांची के सीटिंग विधायक और रघुवर सरकार में मंत्री सीपी सिंह से भी यह सवाल किया. उन्होंने खुद को अपने तरीके से जस्टिफाई किया.
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आमतौर पर किसी भी क्षेत्र के लोगों के लिए बिजली, पानी, स्वास्थ्य और शिक्षा एक बुनियादी जरूरत होती है. इस मामले में रांची के लोग भाग्यशाली हैं. राजधानी की वजह से उन्हें अन्य विधानसभा क्षेत्रों के मुकाबले ज्यादा सुविधा मिल जाती है. लेकिन रांची में ट्रैफिक के बढ़ते दबाव के कारण जगह-जगह लगने वाले जाम को लेकर लोग जरूर परेशान हैं. इसके बावजूद जब सीपी सिंह के कार्यों को लेकर साफ है कि सीपी सिंह अपने इलाके में बेहद मजबूत स्थिति में हैं.
लोगों के बीच सीपी सिंह की पकड़ का मतलब यह कतई नहीं है कि उन्होंने रांची की बुनियादी जरूरतों को दुरूस्त कर दिया है. उनके क्षेत्र में क्या-क्या कमियां हैं इसको लेकर विपक्ष लगातार हमलावर है. बिजली की लोड शेडिंग से लेकर पिछले पांच सालों में एक अदद फ्लाई ओवर का नहीं बनना विपक्ष के लिए बड़ा मुद्दा है. विपक्ष की दलील अपनी जगह सही है लेकिन अब जनता को तय करना है कि सीपी सिंह को फिर मौका देना है या नहीं.