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ट्राइफेड वन धन क्रॉनिकल और एमआईएस पोर्टल का लोकार्पण, अर्जुन मुंडा ने कहा- जनजातीय समाज के विकास को मिलेगी गति

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Published : Dec 23, 2021, 8:52 PM IST

Updated : Dec 23, 2021, 9:03 PM IST

केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने ट्राइफेड वन धन क्रॉनिकल और एमआईएस पोर्टल का लोकार्पण किया है. इस अवसर पर उन्होंने कहा कि प्रबंधन सूचना प्रणाली (MIS) पोर्टल के उद्घाटन से ट्राइफेड द्वारा शुरू की गई गतिविधियों के बारे में संवाद करने में मदद मिलेगी.

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एमआईएस पोर्टल का लोकार्पण

नई दिल्ली: केंद्रीय आदिवासी कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा ने आज ट्राइफेड वन धन क्रॉनिकल और लघु वनोपजों की न्यूनतम समर्थन मूल्य योजना के लिए प्रबंधन सूचना प्रणाली (Management Information System) का लोकार्पण किया है. इसके अलावे केंद्रीय मंत्री के द्वारा 14 शहद किसान उत्पादक संगठनों का उद्घाटन भी किया गया.

ये भी पढ़ें- NIT दीक्षांत समारोह 2021: केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने छात्रों को दिया मेडल, पीएम मोदी के सपने को पूरा करने की अपील

क्या है ट्राइफेड वन धन क्रॉनिकल

अर्जुन मुंडा ने कहा कि ट्राइफेड वन धन क्रॉनिकल से ट्राइफेड द्वारा शुरू की गई गतिविधियों के बारे में संवाद करने में मदद मिलेगी. जिन्होंने 16 लाख से अधिक जनजातीय लोगों के जीवन को प्रभावित किया है और भविष्य में इन गतिविधियों पर काम करने वाले अधिकारियों के लिए यह नियमावली के रुप में भी काम करेगा.

यह देश में जनजातीय उद्यमों को बढ़ावा देने के लिए किए गए कार्यों और वन धन विकास योजना के तहत जनजातीय उद्यमियों की उपलब्धियों का एक दस्तावेज है. ट्राइफेड द्वारा संचालित गतिविधियों का इसमें चित्रण है. जिसने लगभग 16 लाख जनजातीय लोगों के जीवन को प्रभावित किया है. जिसमें चुनिंदा वनोपजों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की शुरुआत, प्रशिक्षण प्रदान करना, वन घन विकास केंद्र समूहों में शुरू हुआ मूल्य वर्धन, विकसित नए उत्पाद लाइनें, पैकेजिंग और विपणन के लिए नए विचार लागू करना, अब तक की उपलब्धियों और भविष्य की योजनाएं शामिल हैं.

एमआईएस पोर्टल से मिलेगा सटीक आंकड़ा

अर्जुन मुंडा ने व्यापक प्रबंधन सूचना प्रणाली (MIS) पोर्टल का शुभारंभ करने के बाद कहा कि यह खरीद आंकड़ों की उपलब्धता सुनिश्चित करेगा जो प्रभावी निर्णय लेने और समग्र पारदर्शिता बढ़ाने में मदद कर सकते हैं. बता दें कि एमआईएस पोर्टल आदिवासी कल्याण मंत्रालय और ट्राइफेड के अधिकृत उपयोगकर्ताओं के लिए तैयार नियंत्रण- पट्ट (डैशबोर्ड) है. इस डैशबोर्ड में खरीद केन्द्रों की सूची और उनके स्थानों और देश भर में की जा रही लघु वनोपजों की खरीद से संबंधित आंकड़े, वास्तविक समय के आधार पर उपलब्ध हैं. इस पोर्टल का शुभारंभ तेजी से विश्लेषणात्मक और प्रभावी निर्णय लेने के लिए, खरीद संबंधी आंकड़ों की तैयार और ऑनलाइन उपलब्धता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से किया गया है.

14 शहद किसान उत्पादक संगठनों का गठन

मधुमक्खी पालन गतिविधि को किसानों की आय बढ़ाने के प्रयास में मीठी क्रांति को सफल बनाने के लिए इसके प्रचार और विकास में भारत सरकार द्वारा महत्वपूर्ण गतिविधियों में से एक रूप में मान्यता दी गई है. अगले पांच वर्षों में किसानों के लिए उच्च स्तरीय अर्थव्यवस्था सुनिश्चित करने के लिये 10000 किसान उत्पादक संगठनों का गठन और संवर्धन नामक एक केंद्रीय योजना शुरू की गई थी. इस योजना में चिन्हित संभावित जिलों, राज्यों में 100 शहद किसान उत्पादक संगठनों का गठन कर मधुमक्खी पालन पर विशेष बल दिया गया है. राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन एवं शहद मिशन के तहत राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड ने देश के 100 क्लस्टर में शहद के लिए वैज्ञानिक मधुमक्खी पालन मूल्य श्रृंखला विकसित करने की योजना बनायी है. ट्राइफेड को कृषि मंत्रालय द्वारा छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखण्ड, तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, उड़ीसा और गुजरात में भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ और राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के साथ 14 शहद किसान उत्पादक संगठनों के गठन के लिए कार्यान्वयन संस्था बनाया गया है. इन 14 शहद किसान उत्पादक संगठनों का आज अर्जुन मुंडा ने लोकार्पण किया.

देखें वीडियो

ट्राइफेड एवं यूनिसेफ के बीच समझौता


वहीं आज ट्राइफेड एवं यूनिसेफ के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुआ है. इस पर मुंडा ने कहा कि जनजातीय क्षेत्रों तक पहुंचने और देश में ट्राइब्स इंडिया और वन धन उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए 'संवाद' नामक एक संचार अभियान का आपसी मसौदा पर हस्ताक्षर किया गया है. यह जनजातीय समाज की विकास की दिशा में एक अहम कदम है.

क्या है ट्राइफेड

बता दें कि ट्राइफेड केंद्रीय आदिवासी कल्याण मंत्रालय की राष्ट्रीय स्तर की शीर्ष संस्था है. इसका उद्देश्य लघु वनोपजों और अधिशेष कृषि उत्पादों के व्यापार को संस्थागत रूप से एकत्रित करके देश के आदिवासियों के सामाजिक आर्थिक विकास में सहायता करना है. यह आदिवासियों के कार्यप्रणालियों को ज्ञान और उपकरणों के माध्यम से व्यवस्थित और वैज्ञानिक तरीके से बेहतर बनाता है. यह जागरूकता तथा स्वयं सहायता समूह के गठन के माध्यम से आदिवासियों की क्षमता निर्माण के लिए सक्रिय रूप से काम करता है. यह आदिवासियों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में इनके उत्पादों के विपणन के लिए अवसरों की खोज तथा अवसरों का निर्माण करने में सहायता करता है. संक्षेप में कहें तो ट्राइफेड का उद्देश्य आदिवासी उत्पादों को सही दाम पर बिकवाना, आदिवासियों के आय में वृद्धि करना, उनको बिचौलियों से बचाना, उनके उत्पादों की बिक्री के लिए बड़ा बाजार उपलब्ध कराना है.

नई दिल्ली: केंद्रीय आदिवासी कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा ने आज ट्राइफेड वन धन क्रॉनिकल और लघु वनोपजों की न्यूनतम समर्थन मूल्य योजना के लिए प्रबंधन सूचना प्रणाली (Management Information System) का लोकार्पण किया है. इसके अलावे केंद्रीय मंत्री के द्वारा 14 शहद किसान उत्पादक संगठनों का उद्घाटन भी किया गया.

ये भी पढ़ें- NIT दीक्षांत समारोह 2021: केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने छात्रों को दिया मेडल, पीएम मोदी के सपने को पूरा करने की अपील

क्या है ट्राइफेड वन धन क्रॉनिकल

अर्जुन मुंडा ने कहा कि ट्राइफेड वन धन क्रॉनिकल से ट्राइफेड द्वारा शुरू की गई गतिविधियों के बारे में संवाद करने में मदद मिलेगी. जिन्होंने 16 लाख से अधिक जनजातीय लोगों के जीवन को प्रभावित किया है और भविष्य में इन गतिविधियों पर काम करने वाले अधिकारियों के लिए यह नियमावली के रुप में भी काम करेगा.

यह देश में जनजातीय उद्यमों को बढ़ावा देने के लिए किए गए कार्यों और वन धन विकास योजना के तहत जनजातीय उद्यमियों की उपलब्धियों का एक दस्तावेज है. ट्राइफेड द्वारा संचालित गतिविधियों का इसमें चित्रण है. जिसने लगभग 16 लाख जनजातीय लोगों के जीवन को प्रभावित किया है. जिसमें चुनिंदा वनोपजों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की शुरुआत, प्रशिक्षण प्रदान करना, वन घन विकास केंद्र समूहों में शुरू हुआ मूल्य वर्धन, विकसित नए उत्पाद लाइनें, पैकेजिंग और विपणन के लिए नए विचार लागू करना, अब तक की उपलब्धियों और भविष्य की योजनाएं शामिल हैं.

एमआईएस पोर्टल से मिलेगा सटीक आंकड़ा

अर्जुन मुंडा ने व्यापक प्रबंधन सूचना प्रणाली (MIS) पोर्टल का शुभारंभ करने के बाद कहा कि यह खरीद आंकड़ों की उपलब्धता सुनिश्चित करेगा जो प्रभावी निर्णय लेने और समग्र पारदर्शिता बढ़ाने में मदद कर सकते हैं. बता दें कि एमआईएस पोर्टल आदिवासी कल्याण मंत्रालय और ट्राइफेड के अधिकृत उपयोगकर्ताओं के लिए तैयार नियंत्रण- पट्ट (डैशबोर्ड) है. इस डैशबोर्ड में खरीद केन्द्रों की सूची और उनके स्थानों और देश भर में की जा रही लघु वनोपजों की खरीद से संबंधित आंकड़े, वास्तविक समय के आधार पर उपलब्ध हैं. इस पोर्टल का शुभारंभ तेजी से विश्लेषणात्मक और प्रभावी निर्णय लेने के लिए, खरीद संबंधी आंकड़ों की तैयार और ऑनलाइन उपलब्धता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से किया गया है.

14 शहद किसान उत्पादक संगठनों का गठन

मधुमक्खी पालन गतिविधि को किसानों की आय बढ़ाने के प्रयास में मीठी क्रांति को सफल बनाने के लिए इसके प्रचार और विकास में भारत सरकार द्वारा महत्वपूर्ण गतिविधियों में से एक रूप में मान्यता दी गई है. अगले पांच वर्षों में किसानों के लिए उच्च स्तरीय अर्थव्यवस्था सुनिश्चित करने के लिये 10000 किसान उत्पादक संगठनों का गठन और संवर्धन नामक एक केंद्रीय योजना शुरू की गई थी. इस योजना में चिन्हित संभावित जिलों, राज्यों में 100 शहद किसान उत्पादक संगठनों का गठन कर मधुमक्खी पालन पर विशेष बल दिया गया है. राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन एवं शहद मिशन के तहत राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड ने देश के 100 क्लस्टर में शहद के लिए वैज्ञानिक मधुमक्खी पालन मूल्य श्रृंखला विकसित करने की योजना बनायी है. ट्राइफेड को कृषि मंत्रालय द्वारा छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखण्ड, तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, उड़ीसा और गुजरात में भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ और राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के साथ 14 शहद किसान उत्पादक संगठनों के गठन के लिए कार्यान्वयन संस्था बनाया गया है. इन 14 शहद किसान उत्पादक संगठनों का आज अर्जुन मुंडा ने लोकार्पण किया.

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ट्राइफेड एवं यूनिसेफ के बीच समझौता


वहीं आज ट्राइफेड एवं यूनिसेफ के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुआ है. इस पर मुंडा ने कहा कि जनजातीय क्षेत्रों तक पहुंचने और देश में ट्राइब्स इंडिया और वन धन उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए 'संवाद' नामक एक संचार अभियान का आपसी मसौदा पर हस्ताक्षर किया गया है. यह जनजातीय समाज की विकास की दिशा में एक अहम कदम है.

क्या है ट्राइफेड

बता दें कि ट्राइफेड केंद्रीय आदिवासी कल्याण मंत्रालय की राष्ट्रीय स्तर की शीर्ष संस्था है. इसका उद्देश्य लघु वनोपजों और अधिशेष कृषि उत्पादों के व्यापार को संस्थागत रूप से एकत्रित करके देश के आदिवासियों के सामाजिक आर्थिक विकास में सहायता करना है. यह आदिवासियों के कार्यप्रणालियों को ज्ञान और उपकरणों के माध्यम से व्यवस्थित और वैज्ञानिक तरीके से बेहतर बनाता है. यह जागरूकता तथा स्वयं सहायता समूह के गठन के माध्यम से आदिवासियों की क्षमता निर्माण के लिए सक्रिय रूप से काम करता है. यह आदिवासियों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में इनके उत्पादों के विपणन के लिए अवसरों की खोज तथा अवसरों का निर्माण करने में सहायता करता है. संक्षेप में कहें तो ट्राइफेड का उद्देश्य आदिवासी उत्पादों को सही दाम पर बिकवाना, आदिवासियों के आय में वृद्धि करना, उनको बिचौलियों से बचाना, उनके उत्पादों की बिक्री के लिए बड़ा बाजार उपलब्ध कराना है.

Last Updated : Dec 23, 2021, 9:03 PM IST
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