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झारखंड में लॉकडाउन और 10 दिन बढ़ाने की जरूरत, शर्तों के साथ मिले छूटः वित्त मंत्री डॉ. रामेश्वर उरांव

झारखंड में चल रहे स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह की मियाद बढ़ाने की अटकलें लगाई जा रही हैं. इसी कड़ी में प्रदेश के मंत्री और झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष डॉ. रामेश्वर उरांव ने सरकार को लॉकडाउन की अवधि और 10 दिन तक बढ़ाने की मांग की है.

Minister Dr. Rameshwar Oraon said need to extend lockdown in Jharkhand
मंत्री रामेश्वर उरांव
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Published : May 24, 2021, 5:55 PM IST

Updated : May 24, 2021, 7:45 PM IST

रांचीः झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष और राज्य के वित्त मंत्री डॉ. रामेश्वर उरांव ने कोरोना संक्रमण का चेन तोड़ने के लिए स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह के तहत राज्यभर में लागू पाबंदियों के सकारात्मक परिणाम पर संतोष जताया है.

इसे भी पढ़ें- लॉकडाउन ने पुजारियों और भक्तों की बढ़ाई परेशानी, सरकार से लगा रहे मदद की गुहार

उन्होंने पार्टी की ओर से सोमवार राज्य सरकार से यह मांग की है कि अभी 27 मई के बाद भी सप्ताह या दस दिनों तक इन पाबंदियों को कुछ शर्तों के साथ लागू रखने की जरुरत है. डॉ. रामेश्वर उरांव ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा बुलायी गयी कैबिनेट मंत्रियों की वर्चुअल बैठक में पार्टी की ओर से कई अन्य सुझाव भी रखे.

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि झारखंड की अधिकांश आबादी ग्रामीण इलाकों में रहती है. सभी ने राज्य सरकार की ओर से कोरोना के संक्रमण की चेन तोड़ने के लिए स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह के तहत लागू की गई पाबंदियों और स्थिति से निपटने के लिए उठाए गए कदम की सराहना की है. हालांकि इस दौरान लोगों की मौत होने पर कपड़ा दुकान बंद रहने पर कफन खरीदने में हो रही कठिनाइयों का जिक्र करते हुए, उन्होंने शर्तों के साथ कुछ छूट देने की भी वकालत की.

अभी सतर्कता जरूरी

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस चिंता को जायज मानते हुए यह घोषणा की है कि अब किसी की भी मौत होने पर राज्य सरकार की ओर से निःशुल्क कफन उपलब्ध कराया जाएगा. डॉ. रामेश्वर उरांव ने कहा कि राज्य में संक्रमण दर में कमी आई है. लेकिन मृत्यु दर पर अब भी अंकुश नहीं लग पाया गया है, इसलिए अभी सतर्कता जरूरी है. उन्होंने कहा कि लोगों की सुविधा के लिए राज्य सरकार की ओर से ई-पास की व्यवस्था लागू की गई है.

यह भी देखने को मिल रहा है कि ग्रामीण क्षेत्रों में शादी-विवाह और अन्य सामाजिक कार्यक्रमों में 250 से 500 की भीड़ जमा हो रही है. जबकि राज्य सरकार ने शादी समारोह के लिए सिर्फ 11 लोगों की अनुमति दी है. इसलिए इस तरह की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए ग्रामीण इलाकों में भी कठोर कदम उठाने की जरुरत है.

इसे भी पढ़ें- रांची के ग्रामीण क्षेत्रों में जागरुकता अभियान चलाया, लोगों को बांटीं दवाएं

गांव लौट रहे प्रवासी मजदूरों की जांच हो
मंत्री ने कहा कि कोरोना संक्रमण के बीच बड़ी संख्या में बाहर से लोग वापस गांव लौटे हैं. ये लोग अपने साथ बीमारी को भी वापस लेकर लौटे हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में कई लोग खांसी, बुखार और सर्दी से पीड़ित हैं. इससे निपटने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में अवस्थित अस्पतालों में उपलब्ध व्यवस्था को सुदृढ़ करने की जरूरत है. अभी स्थिति यह हो गई थी कि इन क्षेत्रों के डॉक्टरों और नर्सां को शहरी क्षेत्र में प्रतिनियुक्त कर दिया गया था. उन्होंने कहा कि वैक्सीनेशन को लेकर कुछ लोग भ्रम फैला रहे हैं.

वैक्सीनेशन पर ध्यान दिया जाए

इससे निपटने के लिए सरकार वैक्सीनेशन के लिए लक्षित समूह पर ध्यान दें. शिक्षकों, पीडीएस डीलरों और अन्य सभी सरकारी कर्मचारियों के लिए परिवार के साथ वैक्सीन लेने के आदेश को अनिवार्य किया जाएं. उन्होंने तीसरी लहर पर अंकुश के लिए भी प्रभावी तरीके से कदम उठाने की सलाह दी. उन्होंने यह भी सलाह दी कि पोस्ट-कोविड प्रभाव से निपटने के लिए जगह-जगह फिजियोथेरेपी सेंटर की भी व्यवस्था जरूरी है.

रांचीः झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष और राज्य के वित्त मंत्री डॉ. रामेश्वर उरांव ने कोरोना संक्रमण का चेन तोड़ने के लिए स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह के तहत राज्यभर में लागू पाबंदियों के सकारात्मक परिणाम पर संतोष जताया है.

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उन्होंने पार्टी की ओर से सोमवार राज्य सरकार से यह मांग की है कि अभी 27 मई के बाद भी सप्ताह या दस दिनों तक इन पाबंदियों को कुछ शर्तों के साथ लागू रखने की जरुरत है. डॉ. रामेश्वर उरांव ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा बुलायी गयी कैबिनेट मंत्रियों की वर्चुअल बैठक में पार्टी की ओर से कई अन्य सुझाव भी रखे.

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि झारखंड की अधिकांश आबादी ग्रामीण इलाकों में रहती है. सभी ने राज्य सरकार की ओर से कोरोना के संक्रमण की चेन तोड़ने के लिए स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह के तहत लागू की गई पाबंदियों और स्थिति से निपटने के लिए उठाए गए कदम की सराहना की है. हालांकि इस दौरान लोगों की मौत होने पर कपड़ा दुकान बंद रहने पर कफन खरीदने में हो रही कठिनाइयों का जिक्र करते हुए, उन्होंने शर्तों के साथ कुछ छूट देने की भी वकालत की.

अभी सतर्कता जरूरी

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस चिंता को जायज मानते हुए यह घोषणा की है कि अब किसी की भी मौत होने पर राज्य सरकार की ओर से निःशुल्क कफन उपलब्ध कराया जाएगा. डॉ. रामेश्वर उरांव ने कहा कि राज्य में संक्रमण दर में कमी आई है. लेकिन मृत्यु दर पर अब भी अंकुश नहीं लग पाया गया है, इसलिए अभी सतर्कता जरूरी है. उन्होंने कहा कि लोगों की सुविधा के लिए राज्य सरकार की ओर से ई-पास की व्यवस्था लागू की गई है.

यह भी देखने को मिल रहा है कि ग्रामीण क्षेत्रों में शादी-विवाह और अन्य सामाजिक कार्यक्रमों में 250 से 500 की भीड़ जमा हो रही है. जबकि राज्य सरकार ने शादी समारोह के लिए सिर्फ 11 लोगों की अनुमति दी है. इसलिए इस तरह की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए ग्रामीण इलाकों में भी कठोर कदम उठाने की जरुरत है.

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गांव लौट रहे प्रवासी मजदूरों की जांच हो
मंत्री ने कहा कि कोरोना संक्रमण के बीच बड़ी संख्या में बाहर से लोग वापस गांव लौटे हैं. ये लोग अपने साथ बीमारी को भी वापस लेकर लौटे हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में कई लोग खांसी, बुखार और सर्दी से पीड़ित हैं. इससे निपटने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में अवस्थित अस्पतालों में उपलब्ध व्यवस्था को सुदृढ़ करने की जरूरत है. अभी स्थिति यह हो गई थी कि इन क्षेत्रों के डॉक्टरों और नर्सां को शहरी क्षेत्र में प्रतिनियुक्त कर दिया गया था. उन्होंने कहा कि वैक्सीनेशन को लेकर कुछ लोग भ्रम फैला रहे हैं.

वैक्सीनेशन पर ध्यान दिया जाए

इससे निपटने के लिए सरकार वैक्सीनेशन के लिए लक्षित समूह पर ध्यान दें. शिक्षकों, पीडीएस डीलरों और अन्य सभी सरकारी कर्मचारियों के लिए परिवार के साथ वैक्सीन लेने के आदेश को अनिवार्य किया जाएं. उन्होंने तीसरी लहर पर अंकुश के लिए भी प्रभावी तरीके से कदम उठाने की सलाह दी. उन्होंने यह भी सलाह दी कि पोस्ट-कोविड प्रभाव से निपटने के लिए जगह-जगह फिजियोथेरेपी सेंटर की भी व्यवस्था जरूरी है.

Last Updated : May 24, 2021, 7:45 PM IST
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