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इस साल भी जारी रहेगी मिड डे मील की होम डिलिवरी, बैंक अकाउंट में भेजी जाएगी कुकिंग कॉस्ट - रांची न्यूज

साल 2021 में नए सत्र के लिए भी शिक्षा परियोजना परिषद और मध्यान भोजन प्राधिकरण की ओर से हर एक बच्चे को मध्यान्ह भोजन और कुकिंग कॉस्ट की राशि उनके खाते में भेजी जाएंगी. इसे लेकर एक बार फिर शिक्षा पदाधिकारियों और निदेशालय को विशेष निर्देश जारी किए गए हैं. ताकि जरूरतमंद बच्चों तक भोजन पहुंचाया जा सके और उनके पठन-पाठन को भी नजदीकी स्कूल के पारा शिक्षक और सरकारी शिक्षकों की ओर से सुनिश्चित किया जा सके.

midday meal material will be delivered to the children's home in ranchi
साल 2021 सत्र में भी बच्चों के घर तक पहुंचाए जाएंगे मिड डे मील से जुड़ी सामग्री
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Published : Apr 16, 2021, 2:40 PM IST

Updated : Apr 16, 2021, 3:34 PM IST

रांची: कोरोना महामारी के दूसरे लहर के कारण एक बार फिर नौनिहालों की परेशानियां बढ़ गई हैं. उम्मीद जगी थी कि साल 2021 में जूनियर और सीनियर बच्चों के स्कूल खुलेंगे. बच्चे स्कूल जाएंगे और बेहतर तरीके से उनका पठन-पाठन भी होगा. उन्हें मिड डे मील स्कूल में ही उपलब्ध होगा. लेकिन इस साल भी 2020 की तर्ज पर ही मिड डे मील का वितरण करने का निर्देश स्कूली शिक्षा साक्षरता विभाग ने तमाम शिक्षा पदाधिकारियों को दिया है.

ये भी पढ़ें- प्रेमी ने की प्रेमिका को जलाकर मारने की कोशिश, पति और मां ने हॉस्पिटल में कराया भर्ती

लॉकडाउन के दौरान मिड डे मील के वितरण में गड़बड़ियां

साल 2020 के मार्च महीने में लॉकडाउन लगा था. कोरोना महामारी के मद्देनजर तमाम स्कूल कॉलेज में ताले लग गए थे. उसके बाद पठन-पाठन के लिए ऑनलाइन व्यवस्था की गई थी. लेकिन ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थियों तक ऑनलाइन पठन-पाठन से जुड़ी सामग्री पहुंचाना विभाग के लिए समस्या थी. इसवजह से कई बच्चे ड्रॉप आउट हो गए और उनका पठन-पाठन पूरी तरह रुक गया. वहीं सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के लिए स्कूल में ही मिड डे मील की व्यवस्था सामान्य दिनों में होती है. ऐसे में कोरोना के प्रथम लहर के समय ये व्यवस्था घर-घर तक मिड डे मील से जुड़ी सामग्री पहुंचाने को लेकर की गई थी. लेकिन उस दौरान मिड डे मील के वितरण में कई गड़बड़ियां सामने आई थी.

60 फीसदी बच्चों तक ही पहुंचा था मिड डे मील

राज्य भर में लगभग 60 फीसदी बच्चों को ही कुकिंग कॉस्ट की राशि मिली थी. मध्यान भोजन प्राधिकरण को इसकी शिकायतें भी मिली थी. इसके बावजूद इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई. ये स्थिति इस वर्ष भी बन रही है. साल 2021 में नए सत्र के लिए भी शिक्षा परियोजना परिषद और मध्यान भोजन प्राधिकरण की ओर से हर एक बच्चे को मध्यान्ह भोजन और कुकिंग कॉस्ट की राशि उनके खाते में भेजा जाए. इसे लेकर एक बार फिर शिक्षा पदाधिकारियों और निदेशालय को विशेष निर्देश जारी किए गए हैं. ताकि जरूरतमंद बच्चों तक भोजन पहुंचाया जा सके और उनके पठन-पाठन को भी नजदीकी स्कूल के पारा शिक्षक और सरकारी शिक्षकों की ओर से सुनिश्चित किया जा सके.

विभाग ने किया निगरानी समिति का गठन

शिक्षा विभाग की ओर से पहली से पांचवी तक के बच्चों को 2 किलो चावल और 113.7 रुपए कुकिंग कॉस्ट देनी है. जबकि छठी से आठवीं तक के बच्चों को 3 किलो चावल और 158.20 रुपए देने हैं. पहली से पांचवी के लिए रोज 4.48 रुपए कुकिंग कॉस्ट देनी है. इसे सुनिश्चित करने के लिए विभाग की ओर से इस बार निगरानी समिति का भी गठन किया गया है.

रांची: कोरोना महामारी के दूसरे लहर के कारण एक बार फिर नौनिहालों की परेशानियां बढ़ गई हैं. उम्मीद जगी थी कि साल 2021 में जूनियर और सीनियर बच्चों के स्कूल खुलेंगे. बच्चे स्कूल जाएंगे और बेहतर तरीके से उनका पठन-पाठन भी होगा. उन्हें मिड डे मील स्कूल में ही उपलब्ध होगा. लेकिन इस साल भी 2020 की तर्ज पर ही मिड डे मील का वितरण करने का निर्देश स्कूली शिक्षा साक्षरता विभाग ने तमाम शिक्षा पदाधिकारियों को दिया है.

ये भी पढ़ें- प्रेमी ने की प्रेमिका को जलाकर मारने की कोशिश, पति और मां ने हॉस्पिटल में कराया भर्ती

लॉकडाउन के दौरान मिड डे मील के वितरण में गड़बड़ियां

साल 2020 के मार्च महीने में लॉकडाउन लगा था. कोरोना महामारी के मद्देनजर तमाम स्कूल कॉलेज में ताले लग गए थे. उसके बाद पठन-पाठन के लिए ऑनलाइन व्यवस्था की गई थी. लेकिन ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थियों तक ऑनलाइन पठन-पाठन से जुड़ी सामग्री पहुंचाना विभाग के लिए समस्या थी. इसवजह से कई बच्चे ड्रॉप आउट हो गए और उनका पठन-पाठन पूरी तरह रुक गया. वहीं सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के लिए स्कूल में ही मिड डे मील की व्यवस्था सामान्य दिनों में होती है. ऐसे में कोरोना के प्रथम लहर के समय ये व्यवस्था घर-घर तक मिड डे मील से जुड़ी सामग्री पहुंचाने को लेकर की गई थी. लेकिन उस दौरान मिड डे मील के वितरण में कई गड़बड़ियां सामने आई थी.

60 फीसदी बच्चों तक ही पहुंचा था मिड डे मील

राज्य भर में लगभग 60 फीसदी बच्चों को ही कुकिंग कॉस्ट की राशि मिली थी. मध्यान भोजन प्राधिकरण को इसकी शिकायतें भी मिली थी. इसके बावजूद इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई. ये स्थिति इस वर्ष भी बन रही है. साल 2021 में नए सत्र के लिए भी शिक्षा परियोजना परिषद और मध्यान भोजन प्राधिकरण की ओर से हर एक बच्चे को मध्यान्ह भोजन और कुकिंग कॉस्ट की राशि उनके खाते में भेजा जाए. इसे लेकर एक बार फिर शिक्षा पदाधिकारियों और निदेशालय को विशेष निर्देश जारी किए गए हैं. ताकि जरूरतमंद बच्चों तक भोजन पहुंचाया जा सके और उनके पठन-पाठन को भी नजदीकी स्कूल के पारा शिक्षक और सरकारी शिक्षकों की ओर से सुनिश्चित किया जा सके.

विभाग ने किया निगरानी समिति का गठन

शिक्षा विभाग की ओर से पहली से पांचवी तक के बच्चों को 2 किलो चावल और 113.7 रुपए कुकिंग कॉस्ट देनी है. जबकि छठी से आठवीं तक के बच्चों को 3 किलो चावल और 158.20 रुपए देने हैं. पहली से पांचवी के लिए रोज 4.48 रुपए कुकिंग कॉस्ट देनी है. इसे सुनिश्चित करने के लिए विभाग की ओर से इस बार निगरानी समिति का भी गठन किया गया है.

Last Updated : Apr 16, 2021, 3:34 PM IST
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