ETV Bharat / city

मनरेगाकर्मी अपनी मेहनत से मानदेय कर सकते हैं दोगुनी, छत्तीसगढ़ से लेनी होगी सीख, पढ़ें पूरी रिपोर्ट

author img

By

Published : Aug 22, 2020, 9:53 AM IST

झारखंड में मनरेगाकर्मी अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं. बढ़ती महंगाई में इनके मानदेय में इजाफे की मांग भी वाजिब है. इनकी मांगों पर सरकार कब तक फैसला लेगी यह स्पष्ट नहीं है.

MGNREGA workers can double honorarium with their hard work in jharkhand
कॉन्सेप्ट इमेज

रांची: राज्य के हड़ताली मनरेगाकर्मी अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं. बढ़ती महंगाई में इनके मानदेय में इजाफे की मांग भी वाजिब है. इनकी मांगों पर सरकार कब तक फैसला लेगी यह स्पष्ट नहीं है. अब सवाल है कि झारखंड के मनरेगा कर्मी अपने मानदेय में कैसे इजाफा कर सकते हैं. इसके लिए मानव दिवस के सृजन की संख्या में इजाफा करना होगा.

दरअसल, मनरेगा कर्मियों का मानदेय, मनरेगा को मिलने वाले प्रशासनिक व्यय से दिया जाता है. इसके तहत जितना ज्यादा मानव दिवस सृजित होगा उतनी ही प्रशासनिक मद में राशि बढ़ेगी. ऐसा होने पर मनरेगा कर्मियों का मानदेय बढ़ जाएगा. मनरेगा एक्ट के मुताबिक जो राशि खर्च होगी उसी का 6 प्रतिशत प्रशासनिक व्यय खर्च होगा. उदाहरण के तौर पर अगर कोई प्रखंड 10 लाख खर्च करता है तो वह प्रशासनिक व्यय मद में 60 हजार रुपए का हकदार होगा. यानी 60 हजार रुपए मनरेगा कर्मियों के मानदेय के मद में जाएंगे. जो नाकाफी होगा.

पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ की बात करें तो यहां हर दिन 25 लाख मानव दिवस सृजित किया जा रहा है. छत्तीसगढ़ की तुलना में व्यय करें तो मानदेय दोगुना से भी अधिक हो जाएगा और राज्य योजना पर अतिरिक्त भार भी नहीं पड़ेगा.

क्यों लटकता है मनरेगा कर्मियों का मानदेय

राज्य के 144 में किसी भी प्रखंड में 20-25 प्रतिशत से अधिक काम नहीं कराए गए. नतीजा, राज्य सरकार को प्रशासनिक मद में फंड नहीं मिल पता है और मानदेय देने में परेशानी होती है. 120 प्रखंडों में अपेक्षाकृत बेहतर काम करने के कारण ही 140 प्रखंडों में औसत से भी नीचे काम करने वाले मनरेगाकर्मी मानदेय पा रहे हैं. रांची जिला के बुढ़मू प्रखंड में मनरेगा के तहत मजदूरी मद में एक करोड़ 43 लाख और सामग्री मद में 53 लाख खर्च हुए. यानी कुल खर्च हुआ एक करोड़ 96 लाख.

ये भी पढ़ें: भारत समेत कई देशों में जारी है वैक्सीन का परीक्षण, जानें अपडेट

इसके आधार पर प्रशासनिक मद महज 7 लाख 90 हजार आएंगे. इस प्रखंड में दो प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी, एक लेखापाल, सहायक अभियंता, कनीय अभियंता, कंप्यूटर, ऑपरेटर और रोजगार सेवक में कुल मानदेय 10 लाख के लगभग खर्च होंगे. यानी प्रशासनिक मद में आई राशि की तुलना में 2 लाख 10 हजार रुपए की अलग से व्यवस्था करनी होगी. इससे साफ है कि झारखंड में मनरेगा कर्मियों को उचित मानदेय पाना है तो उन्हें रोजगार सृजन में इजाफा करना होगा.

रांची: राज्य के हड़ताली मनरेगाकर्मी अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं. बढ़ती महंगाई में इनके मानदेय में इजाफे की मांग भी वाजिब है. इनकी मांगों पर सरकार कब तक फैसला लेगी यह स्पष्ट नहीं है. अब सवाल है कि झारखंड के मनरेगा कर्मी अपने मानदेय में कैसे इजाफा कर सकते हैं. इसके लिए मानव दिवस के सृजन की संख्या में इजाफा करना होगा.

दरअसल, मनरेगा कर्मियों का मानदेय, मनरेगा को मिलने वाले प्रशासनिक व्यय से दिया जाता है. इसके तहत जितना ज्यादा मानव दिवस सृजित होगा उतनी ही प्रशासनिक मद में राशि बढ़ेगी. ऐसा होने पर मनरेगा कर्मियों का मानदेय बढ़ जाएगा. मनरेगा एक्ट के मुताबिक जो राशि खर्च होगी उसी का 6 प्रतिशत प्रशासनिक व्यय खर्च होगा. उदाहरण के तौर पर अगर कोई प्रखंड 10 लाख खर्च करता है तो वह प्रशासनिक व्यय मद में 60 हजार रुपए का हकदार होगा. यानी 60 हजार रुपए मनरेगा कर्मियों के मानदेय के मद में जाएंगे. जो नाकाफी होगा.

पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ की बात करें तो यहां हर दिन 25 लाख मानव दिवस सृजित किया जा रहा है. छत्तीसगढ़ की तुलना में व्यय करें तो मानदेय दोगुना से भी अधिक हो जाएगा और राज्य योजना पर अतिरिक्त भार भी नहीं पड़ेगा.

क्यों लटकता है मनरेगा कर्मियों का मानदेय

राज्य के 144 में किसी भी प्रखंड में 20-25 प्रतिशत से अधिक काम नहीं कराए गए. नतीजा, राज्य सरकार को प्रशासनिक मद में फंड नहीं मिल पता है और मानदेय देने में परेशानी होती है. 120 प्रखंडों में अपेक्षाकृत बेहतर काम करने के कारण ही 140 प्रखंडों में औसत से भी नीचे काम करने वाले मनरेगाकर्मी मानदेय पा रहे हैं. रांची जिला के बुढ़मू प्रखंड में मनरेगा के तहत मजदूरी मद में एक करोड़ 43 लाख और सामग्री मद में 53 लाख खर्च हुए. यानी कुल खर्च हुआ एक करोड़ 96 लाख.

ये भी पढ़ें: भारत समेत कई देशों में जारी है वैक्सीन का परीक्षण, जानें अपडेट

इसके आधार पर प्रशासनिक मद महज 7 लाख 90 हजार आएंगे. इस प्रखंड में दो प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी, एक लेखापाल, सहायक अभियंता, कनीय अभियंता, कंप्यूटर, ऑपरेटर और रोजगार सेवक में कुल मानदेय 10 लाख के लगभग खर्च होंगे. यानी प्रशासनिक मद में आई राशि की तुलना में 2 लाख 10 हजार रुपए की अलग से व्यवस्था करनी होगी. इससे साफ है कि झारखंड में मनरेगा कर्मियों को उचित मानदेय पाना है तो उन्हें रोजगार सृजन में इजाफा करना होगा.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.