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झारखंड के सीएम हाउस से जुड़े हैं कई मिथक, क्या सीएम हेमंत सोरेन इस बार शिफ्ट करेंगे वहां?

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Published : Jan 4, 2020, 3:08 PM IST

11वें मुख्यमंत्री के रूप में महागठबंधन के नेता हेमंत सोरेन ने शपथ तो ले ली है, लेकिन अब उनके मुख्यमंत्री आवास में शिफ्ट करने को लेकर संशय बना हुआ है. इसका कारण कांके रोड स्थित मुख्यमंत्री आवास से कई कहानियां और मिथक जुड़ा होना हो सकता है.

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मुख्यमंत्री आवास झारखंड

रांची: प्रदेश के 11वें मुख्यमंत्री के रूप में महागठबंधन के नेता हेमंत सोरेन ने शपथ तो ले ली है, लेकिन अब उनके मुख्यमंत्री आवास में शिफ्ट करने को लेकर संशय बना हुआ है. इसके पीछे वाजिब वजह है. इससे पहले भी सोरेन 2013 में प्रदेश के मुख्यमंत्री बने, लेकिन अपने कार्यकाल के दौरान वह मौजूदा आवास में ही रहे, जबकि उनका मौजूदा आवास और मुख्यमंत्री आवास बिल्कुल सटा हुआ है.

जानकारी देते संवाददाता अमित मिश्र

पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने इस मिथक को तोड़ा
दरअसल, सीएम हाउस को लेकर यह मिथक रहा है की वहां रहने वाले सीएम अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाते. राज्य के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी से लेकर अर्जुन मुंडा तक के कार्यकाल का उदाहरण दिया जाता है. यहां तक की इससे पहले हेमंत सोरेन 13 जुलाई 2013 से 23 दिसंबर 2014 तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे थे, तब भी वह सीएम हाउस में रहने नहीं गए. हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने इस मिथक को तोड़ा. बावजूद इसके उनके कार्यकाल को अपवाद के रूप में देखा जा रहा है.

ये भी पढ़ें- पेट्रोल-डीजल की कीमत घर के बजट को कर रहा प्रभावित, जानें पलामू की जनता क्या कह रही

सीएम हाउस से जुड़े हैं कई मिथक
कांके रोड स्थित मुख्यमंत्री आवास से कई कहानियां और मिथक जुड़े हुए हैं. एक तरफ राजनीतिक गलियारे में वास्तु को लेकर सवाल उठते रहे हैं. वहां रहने वाले शख्स के ऊपर हमेशा अस्थिरता की तलवार लटकती रही है. हालांकि तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास उसी आवास में रहे और पहली बार अपना कार्यकाल पूरा करने वाले मुख्यमंत्री भी साबित हुए. वहीं, दूसरी तरफ जब तक वह मुख्यमंत्री रहे तब तक हमेशा उनकी अस्थिरता को लेकर चर्चाएं जोर पकड़ती रही. हालांकि सीएम हाउस में उन्होंने गृह प्रवेश करने से पहले कई वास्तु दोष निवारण उपाय भी किए.

तत्कालीन मुख्यमंत्री की ओर से क्या उपाय किए गए
दरअसल, सीएम हाउस का कांके रोड की तरफ खुलने वाला मेन गेट पश्चिमाभिमुखी है. इसके तोड़ में मुख्यमंत्री आवास के पीछे मोरहाबादी के तरफ खुलने वाले दरवाजा का उपयोग शुरू किया गया. मोरहाबादी की तरफ खुलने वाला गेट उत्तरी ईशान कोण पर है. नॉर्थ ईस्ट पॉइंट पर बना मुख्यद्वार भवन के स्वामी को लाभ पहुंचाता है, इसलिए इसका प्रयोग शुभ माना जाता है और वास्तु शास्त्र का यह आधारभूत सिद्धांत भी है. वहीं पूर्व दिशा की तरफ खुलने वाला दरवाजा बुध, बृहस्पति और शुक्र से प्रभावित है. साथ ही इस दिशा का स्वामी सूर्य और शिव को माना जाता है, इस लिए इसका प्रयोग तत्कालीन सीएम के लिए शुभ माना गया.

ये भी पढ़ें- राजद सुप्रीमो से मिलने पहुंचे नलिन वर्मा, लालू पर लिख चुके हैं किताब

पूर्व सीएम ने बनवाया था मंदिर
गौर से देखें तो मोरहाबादी की तरफ खुलने वाले दरवाजे का कलर भी लाल कराया गया. वहीं सीएम हाउस कैंपस में बजरंगबली का एक मंदिर भी बनवाया गया. मोरहाबादी की तरफ निकलने वाले दरवाजे से पहले दाहिनी बजरंगबली का मंदिर पड़ता है. तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने इस मंदिर का निर्माण कराया था. वास्तु के हिसाब से यह पूजन और मंदिर के स्थापना के लिए सबसे बढ़िया स्थान होता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिशा में देवत्व कई गुना बढ़ जाता है. वहां से गुजरने वाले व्यक्ति पर बजरंगबली की दृष्टि पड़ती है. ऐसी स्थिति में उसके ऊपर आने वाली हर आपदा का मुकाबला बजरंगबली करते हैं.

हेलीकॉप्टर की क्रैश लैंडिंग के बाद बनवाया यह मंदिर
इस मंदिर का निर्माण 2012 में कराया गया था. उस दौरान मई महीने में पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा, उनकी पत्नी मीरा मुंडा समेत तीन अन्य लोगों की जान एक हेलीकॉप्टर लैंडिंग में बाल-बाल बच गई थी. उसी घटना के बाद बजरंगबली का यह मंदिर सीएम हाउस कैंपस में बना. इतना ही नहीं मोरहाबादी दरवाजे के ठीक पहले दाहिने तरफ शमी का पौधा लगा हुआ है, जो घर से निकलते समय वास्तु के हिसाब से काफी शुभ माना जाता है.

ये भी पढ़ें- रांची लौटे हेमंत सोरेन, कहा- झारखंड में दिल्ली जैसी शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था पर करेंगे काम

मौजूदा सीएम हाउस का ये है इतिहास
राजधानी रांची के कांके रोड स्थित सीएम हाउस का पुराना नाम कैफोर्ड हाउस है. तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास वहां रहनेवाले 121वें निवासी थे. 1853 में बंगाल के लेफ्टिनेंट गवर्नर के प्रिंसिपल एजेंट कमिश्नर एलियन ने इस हाउस की नींव रखी थी. उसके बाद एलियन का ट्रांसफर हो गया और कैफोर्ड ने पद संभाला. उनके पद संभालते ही भवन निर्माण में तेजी आई और साल भर के अंदर 1854 में ब्रिटिश हुकूमत ने कमिश्नर सिस्टम को इंप्लीमेंट किया. जिसके परिणामस्वरूप कैफोर्ड को छोटानागपुर का पहला कमिश्नर बनाया गया और वह इस हाउस में रहनेवाले पहले अधिकारी बने.

रांची: प्रदेश के 11वें मुख्यमंत्री के रूप में महागठबंधन के नेता हेमंत सोरेन ने शपथ तो ले ली है, लेकिन अब उनके मुख्यमंत्री आवास में शिफ्ट करने को लेकर संशय बना हुआ है. इसके पीछे वाजिब वजह है. इससे पहले भी सोरेन 2013 में प्रदेश के मुख्यमंत्री बने, लेकिन अपने कार्यकाल के दौरान वह मौजूदा आवास में ही रहे, जबकि उनका मौजूदा आवास और मुख्यमंत्री आवास बिल्कुल सटा हुआ है.

जानकारी देते संवाददाता अमित मिश्र

पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने इस मिथक को तोड़ा
दरअसल, सीएम हाउस को लेकर यह मिथक रहा है की वहां रहने वाले सीएम अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाते. राज्य के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी से लेकर अर्जुन मुंडा तक के कार्यकाल का उदाहरण दिया जाता है. यहां तक की इससे पहले हेमंत सोरेन 13 जुलाई 2013 से 23 दिसंबर 2014 तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे थे, तब भी वह सीएम हाउस में रहने नहीं गए. हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने इस मिथक को तोड़ा. बावजूद इसके उनके कार्यकाल को अपवाद के रूप में देखा जा रहा है.

ये भी पढ़ें- पेट्रोल-डीजल की कीमत घर के बजट को कर रहा प्रभावित, जानें पलामू की जनता क्या कह रही

सीएम हाउस से जुड़े हैं कई मिथक
कांके रोड स्थित मुख्यमंत्री आवास से कई कहानियां और मिथक जुड़े हुए हैं. एक तरफ राजनीतिक गलियारे में वास्तु को लेकर सवाल उठते रहे हैं. वहां रहने वाले शख्स के ऊपर हमेशा अस्थिरता की तलवार लटकती रही है. हालांकि तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास उसी आवास में रहे और पहली बार अपना कार्यकाल पूरा करने वाले मुख्यमंत्री भी साबित हुए. वहीं, दूसरी तरफ जब तक वह मुख्यमंत्री रहे तब तक हमेशा उनकी अस्थिरता को लेकर चर्चाएं जोर पकड़ती रही. हालांकि सीएम हाउस में उन्होंने गृह प्रवेश करने से पहले कई वास्तु दोष निवारण उपाय भी किए.

तत्कालीन मुख्यमंत्री की ओर से क्या उपाय किए गए
दरअसल, सीएम हाउस का कांके रोड की तरफ खुलने वाला मेन गेट पश्चिमाभिमुखी है. इसके तोड़ में मुख्यमंत्री आवास के पीछे मोरहाबादी के तरफ खुलने वाले दरवाजा का उपयोग शुरू किया गया. मोरहाबादी की तरफ खुलने वाला गेट उत्तरी ईशान कोण पर है. नॉर्थ ईस्ट पॉइंट पर बना मुख्यद्वार भवन के स्वामी को लाभ पहुंचाता है, इसलिए इसका प्रयोग शुभ माना जाता है और वास्तु शास्त्र का यह आधारभूत सिद्धांत भी है. वहीं पूर्व दिशा की तरफ खुलने वाला दरवाजा बुध, बृहस्पति और शुक्र से प्रभावित है. साथ ही इस दिशा का स्वामी सूर्य और शिव को माना जाता है, इस लिए इसका प्रयोग तत्कालीन सीएम के लिए शुभ माना गया.

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पूर्व सीएम ने बनवाया था मंदिर
गौर से देखें तो मोरहाबादी की तरफ खुलने वाले दरवाजे का कलर भी लाल कराया गया. वहीं सीएम हाउस कैंपस में बजरंगबली का एक मंदिर भी बनवाया गया. मोरहाबादी की तरफ निकलने वाले दरवाजे से पहले दाहिनी बजरंगबली का मंदिर पड़ता है. तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने इस मंदिर का निर्माण कराया था. वास्तु के हिसाब से यह पूजन और मंदिर के स्थापना के लिए सबसे बढ़िया स्थान होता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिशा में देवत्व कई गुना बढ़ जाता है. वहां से गुजरने वाले व्यक्ति पर बजरंगबली की दृष्टि पड़ती है. ऐसी स्थिति में उसके ऊपर आने वाली हर आपदा का मुकाबला बजरंगबली करते हैं.

हेलीकॉप्टर की क्रैश लैंडिंग के बाद बनवाया यह मंदिर
इस मंदिर का निर्माण 2012 में कराया गया था. उस दौरान मई महीने में पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा, उनकी पत्नी मीरा मुंडा समेत तीन अन्य लोगों की जान एक हेलीकॉप्टर लैंडिंग में बाल-बाल बच गई थी. उसी घटना के बाद बजरंगबली का यह मंदिर सीएम हाउस कैंपस में बना. इतना ही नहीं मोरहाबादी दरवाजे के ठीक पहले दाहिने तरफ शमी का पौधा लगा हुआ है, जो घर से निकलते समय वास्तु के हिसाब से काफी शुभ माना जाता है.

ये भी पढ़ें- रांची लौटे हेमंत सोरेन, कहा- झारखंड में दिल्ली जैसी शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था पर करेंगे काम

मौजूदा सीएम हाउस का ये है इतिहास
राजधानी रांची के कांके रोड स्थित सीएम हाउस का पुराना नाम कैफोर्ड हाउस है. तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास वहां रहनेवाले 121वें निवासी थे. 1853 में बंगाल के लेफ्टिनेंट गवर्नर के प्रिंसिपल एजेंट कमिश्नर एलियन ने इस हाउस की नींव रखी थी. उसके बाद एलियन का ट्रांसफर हो गया और कैफोर्ड ने पद संभाला. उनके पद संभालते ही भवन निर्माण में तेजी आई और साल भर के अंदर 1854 में ब्रिटिश हुकूमत ने कमिश्नर सिस्टम को इंप्लीमेंट किया. जिसके परिणामस्वरूप कैफोर्ड को छोटानागपुर का पहला कमिश्नर बनाया गया और वह इस हाउस में रहनेवाले पहले अधिकारी बने.

Intro:रांची। प्रदेश के 11 वें मुख्य मंत्री के रूप में महागठबंधन के नेता हेमंत सोरेन ने शपथ तो ले ली है लेकिन अब उनके मुख्यमंत्री आवास में शिफ्ट करने को लेकर संशय बना हुआ है। दरअसल इसके पीछे वाजिब वजह है। इससे पहले भी सोरेन 2013 में प्रदेश के मुख्यमंत्री बने लेकिन अपने कार्यकाल के दौरान वह मौजूदा आवास में ही रहे। जबकि उनका मौजूदा आवास और मुख्यमंत्री आवास बिल्कुल सटा हुआ है।
दरअसल सीएम हाउस को लेकर यह मिथक रहा है की वहां रहने वाले सीएम अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाते। राज्य के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी से लेकर अर्जुन मुंडा तक के कार्यकाल का उदाहरण दिया जाता है। यहां तक की इससे पहले हेमंत सोरेन 13 जुलाई 2013 से 23 दिसंबर 2014 तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे थे तब भी वह सीएम हाउस में रहने नहीं गए। हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने इस मिथक को तोड़ा। बावजूद इसके उनके कार्यकाल को अपवाद के रूप में देखा जा रहा है।

कई मिथक जुड़े हैं सीएम हाउस से
कांके रोड स्थित मुख्यमंत्री आवास से कई कहानियां और मिथक जुड़े हुए हैं। एक तरफ राजनीतिक गलियारे में वास्तु को लेकर सवाल उठते रहे हैं। वहां रहने वाले शख्स के ऊपर हमेशा अस्थिरता की तलवार लटकती रही है। हालांकि तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास उसी आवास में रहे और पहली बार अपना कार्यकाल पूरा करने वाले मुख्यमंत्री भी साबित हुए। वहीं दूसरी तरफ जब तक वह मुख्यमंत्री रहे तब तक हमेशा उनकी अस्थिरता को लेकर चर्चाएं जोर पकड़ती रही। हालांकि सीएम हाउस में उन्होंने गृह प्रवेश करने से पहले कई वास्तु दोष निवारण उपाय भी किये।




Body:क्या उपाय किए गए तत्कालीन मुख्यमंत्री के द्वारा
दरअसल सीएम हाउस का कांके रोड की तरफ खुलने वाला मेन गेट पश्चिमाभिमुखी है। इसके तोड़ में मुख्यमंत्री आवास के पीछे मोरहाबादी के तरफ खुलने वाले दरवाजा का उपयोग शुरू किया गया। मोरहाबादी की तरफ खुलने वाला गेट उत्तरी ईशान कोण पर है। नॉर्थ ईस्ट पॉइंट पर बना मुख्य द्वार भवन के स्वामी को लाभ पहुंचाता है इसलिए इसका प्रयोग शुभ माना जाता है और वास्तु शास्त्र का यह आधारभूत सिद्धांत भी है। वहीं पूर्व दिशा की तरफ खुलने वाला दरवाजा बुध, बृहस्पति और शुक्र से प्रभावित है। साथ ही इस दिशा का स्वामी सूर्य और शिव को माना जाता है इसलिए इसका प्रयोग तत्कालीन सीएम के लिए शुभ माना गया।

पूर्व सीएम ने बनवाया था मंदिर
गौर से देखें तो मोरहाबादी की तरफ खुलने वाले दरवाजे का कलर भी लाल कराया गया। वहीं सीएम हाउस कैम्पस में बजरंगबली का एक मंदिर भी बनवाया गया। मोरहाबादी की तरफ निकलने वाले दरवाजे से पहले दाहिनी बजरंगबली का मंदिर पड़ता है। तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने इस मंदिर का निर्माण कराया था। वास्तु के हिसाब से यह पूजन और मंदिर के स्थापना के लिए सबसे बढ़िया स्थान होता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिशा में देवत्व कई गुना बढ़ जाता है। वहां से गुजरने वाले व्यक्ति पर बजरंगबली की दृष्टि पड़ती है ऐसी स्थिति में उसके ऊपर आने वाली हर आपदा का मुकाबला बजरंगबली करते हैं।

हेलीकॉप्टर की क्रैश लैंडिंग के बाद बनवाया यह मंदिर
दरअसल इस मंदिर का निर्माण 2012 में कराया गया था। उस दौरान मई महीने में पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा, उनकी पत्नी मीरा मुंडा समेत तीन अन्य लोगों की जान एक हेलीकॉप्टर लैंडिंग में बाल-बाल बची रही। उसी घटना के बाद बजरंगबली का यह मंदिर सीएम हाउस कैम्प्स में बना। इतना ही नहीं मोराबादी दरवाजे के ठीक पहले दाहिने तरफ शमी का पौधा लगा हुआ है जो घर से निकलते समय वास्तु के हिसाब से काफी शुभ माना जाता है।




Conclusion:ये इतिहास है मौजूदा सीएम हाउस का
राजधानी रांची के कांके रोड स्थित सीएम हाउस का पुराना नाम कैफोर्ड हाउस है। तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास वहां रहनेवाले 121 वें निवासी थे। दरअसल 1853 में बंगाल के लेफ्टिनेंट गवर्नर के प्रिंसिपल एजेंट कमिश्नर एलियन ने इस हाउस की नींव रखी थी। उसके बाद एलियन का ट्रांसफर हो गया और कैफोर्ड ने पद संभाला। उनके पद संभालते ही भवन निर्माण में तेजी आई और साल भर के अंदर 1854 में ब्रिटिश हुकूमत ने कमिश्नर सिस्टम को इंप्लीमेंट किया गया। जिसके परिणामस्वरूप कैफोर्ड को छोटानागपुर के पहला कमिश्नर बनाया गया और वह इस हाउस में रहने वाले पहले अधिकारी बने।
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