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हथियार प्लांट मामले में जांच के घेरे में एटीएस के कई अफसर, पुलिस मुख्यालय ने मांगी रिपोर्ट

रांची के सदर थाने में झूठी कहानी गढ़कर छापेमारी और एफआइआर दर्ज कराने के मामले में एटीएस के कई अफसर संदेह के घेरे में हैं. पुलिस मुख्यालय ने रांची पुलिस को पूरे प्रकरण की विस्तृत जांच रिपोर्ट मांगी है.

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रांची पुलिस
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Published : Jun 7, 2020, 10:39 PM IST

रांची: झारखंड पुलिस के आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने रांची के सदर थाने में झूठी कहानी गढ़कर छापेमारी और एफआइआर दर्ज कराने के मामले में कई अफसर संदेह के घेरे में हैं. जांच में एटीएस के लिए मुखबिरी करने वाले दिलावर और एटीएस की मिलीभगत से छापेमारी की बात भी सामने आ रही है. अब इनमें कौन-कौन पुलिस अधिकारी मिले थे, इसका पता लगाया जा रहा है.

पुलिस मुख्यालय ने मांगी जांच रिपोर्ट
पुलिस मुख्यालय ने रांची पुलिस को पूरे प्रकरण की विस्तृत जांच रिपोर्ट मांगी है. बताया जा रहा है कि रांची पुलिस को एटीएम की ओर से दिग्भ्रमित करने का भी पूरा प्रयास किया गया था. छापेमारी के पहले सूचना देने के बजाए एटीएस की ओर से छापेमारी और गिरफ्तारी के बाद सूचना दी गई थी. स्थानीय सदर थाने को भी इसमें शामिल नहीं किया गया था. रांची पुलिस को इस पूरे प्रकरण पर तभी संदेह हो गया था, जब पता चला कि जमीन कारोबारी और बंशी उरांव हत्याकांड के आरोपी दिलावर ने मुखबिरी कर छापेमारी कराई थी. इसके बाद रांची पुलिस ने हर उस पहलुओं की जांच की जिससे पूरा सच सामने आए आ जाए.

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सीसीटीवी फुटेज से खुला राज
रांची पुलिस की टीम ने छापेमारी वाली जगह की सीसीटीवी फुटेज खंगाला. जिसमें जमीन कारोबारी दिलावर खान का सहयोगी शब्बीर खान पहले प्रवेश करता दिखाई दिया. इसके बाद छापेमारी की गई. ऐसे में सवाल उठता है कि एटीएस ने शब्बीर को क्यों वहां से आसानी से निकलने दिया. बता दें कि एटीएस दो निर्दोष युवक आदिल अफरीदी उर्फ राजू उर्फ मामा और राकेश कुमार सिंह को जेल भेजवाने का पूरा प्लान कर चुकी थी. गनीमत है, रांची पुलिस ने जेल भेजने से पूर्व छानबीन करना उचित समझा. छानबीन में एटीएस की फर्जी गिरफ्तारी और असली मुजरिम का पता चला. रांची पुलिस की छानबीन जारी है. झूठ की परत एक-एक कर खुल रही है.

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क्या है एफआईआर में कहानी
एटीएस के डीएसपी अवध कुमार यादव ने सदर थाने में दर्ज एफआईआर में बताया है कि उन्हें आतंकी संगठन स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) के लोगों के होने की सूचना मिली थी. इसके बाद उन्होंने अपनी टीम के साथ मेडिका अस्पताल के पास महुरम टोली में स्व. वंशी टोप्पो के घर में छापा मारा था. वहां दो युवक पकड़े गए. उनकी तलाशी ली तो एक युवक जिसने अपना नाम आदिल अफरीदी उर्फ राजू उर्फ मामा बताया था, उसके पास से लोडेड पिस्टल और कारतूस मिले. आदिल मूल रूप से धुर्वा के सिठियो का रहने वाला है और वर्तमान में सदर थाना क्षेत्र के बडगाईं में रहता है. जबकि, दूसरे युवक राकेश कुमार सिंह के पास से भी एक लोडेड देसी पिस्टल और कारतूस मिले.

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सदर थाने की पुलिस ने दिलावर और शब्बीर को भेजा जेल
झूठी मुखबिरी कर हथियार प्लांट करने के आरोपी बड़ागाईं निवासी दिलावर खान और उसके सहयोगी कांके निवासी शब्बीर को सदर थाने की पुलिस ने जेल भेज दिया है. दिलावर ने ही सब्बीर को गांजा पीने के बहाने वहां भेजा और हथियार प्लांट करवाया था. उसने ही एटीएस को सूचना दी कि वंशी टोप्पो के आवास में सिमी के आतंकी छिपे हैं. इसके बाद ही एटीएस की टीम ने वहां छापेमारी की थी. बता दें कि रांची पुलिस ने दोनों आरोपी आदिल अफरीदी और राकेश कुमार सिंह को जेल भेजने से पूर्व जांच की, तो दोनों निर्दोष निकले. पता चला कि बड़गाईं का जमीन कारोबारी दिलावर खान अपने सहयोगी कांके के सब्बीर और अपने ड्राइवर के साथ मिलकर पूरा खेल किया. इस खेल के पीछे दोनों को जेल भेजकर करोड़ों की जमीन पर कब्जा करना था.

रांची: झारखंड पुलिस के आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने रांची के सदर थाने में झूठी कहानी गढ़कर छापेमारी और एफआइआर दर्ज कराने के मामले में कई अफसर संदेह के घेरे में हैं. जांच में एटीएस के लिए मुखबिरी करने वाले दिलावर और एटीएस की मिलीभगत से छापेमारी की बात भी सामने आ रही है. अब इनमें कौन-कौन पुलिस अधिकारी मिले थे, इसका पता लगाया जा रहा है.

पुलिस मुख्यालय ने मांगी जांच रिपोर्ट
पुलिस मुख्यालय ने रांची पुलिस को पूरे प्रकरण की विस्तृत जांच रिपोर्ट मांगी है. बताया जा रहा है कि रांची पुलिस को एटीएम की ओर से दिग्भ्रमित करने का भी पूरा प्रयास किया गया था. छापेमारी के पहले सूचना देने के बजाए एटीएस की ओर से छापेमारी और गिरफ्तारी के बाद सूचना दी गई थी. स्थानीय सदर थाने को भी इसमें शामिल नहीं किया गया था. रांची पुलिस को इस पूरे प्रकरण पर तभी संदेह हो गया था, जब पता चला कि जमीन कारोबारी और बंशी उरांव हत्याकांड के आरोपी दिलावर ने मुखबिरी कर छापेमारी कराई थी. इसके बाद रांची पुलिस ने हर उस पहलुओं की जांच की जिससे पूरा सच सामने आए आ जाए.

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सीसीटीवी फुटेज से खुला राज
रांची पुलिस की टीम ने छापेमारी वाली जगह की सीसीटीवी फुटेज खंगाला. जिसमें जमीन कारोबारी दिलावर खान का सहयोगी शब्बीर खान पहले प्रवेश करता दिखाई दिया. इसके बाद छापेमारी की गई. ऐसे में सवाल उठता है कि एटीएस ने शब्बीर को क्यों वहां से आसानी से निकलने दिया. बता दें कि एटीएस दो निर्दोष युवक आदिल अफरीदी उर्फ राजू उर्फ मामा और राकेश कुमार सिंह को जेल भेजवाने का पूरा प्लान कर चुकी थी. गनीमत है, रांची पुलिस ने जेल भेजने से पूर्व छानबीन करना उचित समझा. छानबीन में एटीएस की फर्जी गिरफ्तारी और असली मुजरिम का पता चला. रांची पुलिस की छानबीन जारी है. झूठ की परत एक-एक कर खुल रही है.

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क्या है एफआईआर में कहानी
एटीएस के डीएसपी अवध कुमार यादव ने सदर थाने में दर्ज एफआईआर में बताया है कि उन्हें आतंकी संगठन स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) के लोगों के होने की सूचना मिली थी. इसके बाद उन्होंने अपनी टीम के साथ मेडिका अस्पताल के पास महुरम टोली में स्व. वंशी टोप्पो के घर में छापा मारा था. वहां दो युवक पकड़े गए. उनकी तलाशी ली तो एक युवक जिसने अपना नाम आदिल अफरीदी उर्फ राजू उर्फ मामा बताया था, उसके पास से लोडेड पिस्टल और कारतूस मिले. आदिल मूल रूप से धुर्वा के सिठियो का रहने वाला है और वर्तमान में सदर थाना क्षेत्र के बडगाईं में रहता है. जबकि, दूसरे युवक राकेश कुमार सिंह के पास से भी एक लोडेड देसी पिस्टल और कारतूस मिले.

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सदर थाने की पुलिस ने दिलावर और शब्बीर को भेजा जेल
झूठी मुखबिरी कर हथियार प्लांट करने के आरोपी बड़ागाईं निवासी दिलावर खान और उसके सहयोगी कांके निवासी शब्बीर को सदर थाने की पुलिस ने जेल भेज दिया है. दिलावर ने ही सब्बीर को गांजा पीने के बहाने वहां भेजा और हथियार प्लांट करवाया था. उसने ही एटीएस को सूचना दी कि वंशी टोप्पो के आवास में सिमी के आतंकी छिपे हैं. इसके बाद ही एटीएस की टीम ने वहां छापेमारी की थी. बता दें कि रांची पुलिस ने दोनों आरोपी आदिल अफरीदी और राकेश कुमार सिंह को जेल भेजने से पूर्व जांच की, तो दोनों निर्दोष निकले. पता चला कि बड़गाईं का जमीन कारोबारी दिलावर खान अपने सहयोगी कांके के सब्बीर और अपने ड्राइवर के साथ मिलकर पूरा खेल किया. इस खेल के पीछे दोनों को जेल भेजकर करोड़ों की जमीन पर कब्जा करना था.

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