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झारखंड में 'लेटर पॉलिटिक्स' का क्रेज चरम पर, कोरोना काल में राजनेताओं ने अपनाया नया ट्रेंड

झारखंड में लेटर पॉलिटिक्स का ट्रेंड शुरू हो गया है. यह राजनीति का वह दौर है जब राजनेता अपनी बातों को रखने के लिए कागज और कलम का सहारा ले रहे हैं. चूंकि जनसभाएं लॉकडाउन की वजह से नहीं हो पा रही है, ऐसे में खुद को एक्टिव रखने के लिए झारखंड के नेता लेटर पॉलिटिक्स का सहारा ले रहे हैं.

Letter politics started in Jharkhand
पूर्व सीएम रघुवर दास
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Published : May 13, 2020, 12:55 PM IST

Updated : May 13, 2020, 1:49 PM IST

रांचीः वैश्विक महामारी कोरोना की वजह से लगे लॉकडाउन में लगभग हर सेक्टर प्रभावित हुआ है लेकिन पॉलिटिक्स एक ऐसा क्षेत्र है जहां इसका फर्क कोई खास नहीं नजर आ रहा है. हालांकि कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने और एहतियाती कदम उठाए जाने की वजह से प्रदेश के राजनेताओं के बीच होने वाली मुलाकातों का सिलसिला थम सा गया है. मौजूदा दौर में न तो नजरें मिल रही हैं, और न वो आमने-सामने हो रहे हैं. बावजूद इसके प्रदेश के राजनेता अपने सेक्टर में पूरी तरह से एक्टिव हैं.

देखें वीडियो


अपने आप को एक्टिव रखने के लिए झारखंड में लेटर पॉलिटिक्स का ट्रेंड शुरू हो गया है. यह राजनीति का वह दौर है जब राजनेता अपनी बातों को रखने के लिए कागज और कलम का सहारा ले रहे हैं. चूंकि जनसभाएं लॉकडाउन की वजह से नहीं हो पा रही है, ऐसे में खुद को एक्टिव रखने के लिए झारखंड के नेता लेटर पॉलिटिक्स का सहारा ले रहे हैं.

बीजेपी विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी हैं टॉप पर
सिलसिलेवार ढंग से देखें तो 'लेटर पॉलिटिक्स' की इस केटेगरी में बीजेपी विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी पूरी तरह से एक्टिव हैं. कोरोना संक्रमण के इस दौर में भले ही मरांडी अपने घर की चहारदीवारी के भीतर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग करते नजर आए, लेकिन वह राज्य के मुखिया हेमंत सोरेन को पत्र लिखना नहीं भूलते.

बाबूलाल मरांडी का मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखने का सिलसिला मार्च के अंतिम हफ्ते में शुरू हुआ. जैसे ही कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर लॉकडाउन की शुरुआत हुई बाबूलाल मरांडी एक्शन में आ गए.

उन्होंने हर दो दिन पर एक पत्र मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को लिखना शुरू किया. इतना ही नहीं उन्होंने प्रधानमंत्री के अलावा देश के अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भी पत्र भेजा. अप्रैल के पहले हफ्ते तक यह सिलसिला थोड़ा रुक-रुक कर शुरू हुआ, लेकिन 6 अप्रैल के बाद मरांडी पूरे एक्शन में आ गए.

मरांडी ने अप्रैल से अब तक सोरेन को लिखे दो दर्जन पत्र
अप्रैल के पहले हफ्ते से उन्होंने लगातार मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र भेजना शुरू किया. उन चिट्ठियों में कोरोना महामारी से लेकर किए जा रहे उपाय व कमियां गिनाई गईं. इसके साथ ही सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों की असफलताओं को बताया गया. मरांडी ने प्रवासी मजदूरों से जुड़ी समस्याएं भी मुख्यमंत्री को लिखकर भेजी.

ये भी पढ़ें- वेल्लोर से छोटी बहन और मां के साथ लौटी युवती पाई गई कोरोना पॉजिटिव, पुलिस ने मोहल्ला किया सील

मरांडी ही नहीं विपक्ष के कई नेताओं ने अपनाया यह ट्रेंड
ऐसा नहीं है कि मरांडी इकलौते नेता हैं जो इस 'लेटर पॉलिटिक्स' का सहारा ले रहे हैं. इस दौड़ में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश भी पीछे नहीं है. इतना ही नहीं पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास भी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखने वालों में शामिल है. हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री पर यह लगातार आरोप लगे हैं कि उन्होंने अपने मुख्यमंत्रित्व काल में किसी की चिट्ठी का जवाब कभी नहीं दिया. बावजूद उसके वह भी पॉलिटिक्स के इस ट्रेंड को अपना रहे हैं.

क्या कहते हैं विधायक और नेता
विपक्ष के इस रवैए पर सरकार में शामिल कांग्रेस ने हमला बोला है. जामताड़ा से कांग्रेस विधायक इरफान अंसारी ने कहा कि बाबूलाल मरांडी बहुत एक्सपर्ट नेता हैं. इसके साथ ही पत्र लिखने में माहिर भी हैं. इसी पत्र के चलते उन्होंने भाजपा छोड़ दी थी. अंसारी ने कहा कि मरांडी को अगर इतनी ही चिंता है तो वह सामने आकर उपाय बताएं. पत्र लिखने से क्या होगा.

वह सिर्फ सपना देख रहे हैं. वहीं झामुमो के केंद्रीय प्रवक्ता मनोज पांडे ने कहा कि सरकार हर सकारात्मक सुझाव को अपनाने की कोशिश करती है. बेहतर तो यह होता कि मरांडी खुद मुख्यमंत्री से मुलाकात करते और अपनी बात रखते. हालांकि उन्होंने दावा किया कि मरांडी के सुझाव को लेकर सरकार विचार करेगी.

रांचीः वैश्विक महामारी कोरोना की वजह से लगे लॉकडाउन में लगभग हर सेक्टर प्रभावित हुआ है लेकिन पॉलिटिक्स एक ऐसा क्षेत्र है जहां इसका फर्क कोई खास नहीं नजर आ रहा है. हालांकि कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने और एहतियाती कदम उठाए जाने की वजह से प्रदेश के राजनेताओं के बीच होने वाली मुलाकातों का सिलसिला थम सा गया है. मौजूदा दौर में न तो नजरें मिल रही हैं, और न वो आमने-सामने हो रहे हैं. बावजूद इसके प्रदेश के राजनेता अपने सेक्टर में पूरी तरह से एक्टिव हैं.

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अपने आप को एक्टिव रखने के लिए झारखंड में लेटर पॉलिटिक्स का ट्रेंड शुरू हो गया है. यह राजनीति का वह दौर है जब राजनेता अपनी बातों को रखने के लिए कागज और कलम का सहारा ले रहे हैं. चूंकि जनसभाएं लॉकडाउन की वजह से नहीं हो पा रही है, ऐसे में खुद को एक्टिव रखने के लिए झारखंड के नेता लेटर पॉलिटिक्स का सहारा ले रहे हैं.

बीजेपी विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी हैं टॉप पर
सिलसिलेवार ढंग से देखें तो 'लेटर पॉलिटिक्स' की इस केटेगरी में बीजेपी विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी पूरी तरह से एक्टिव हैं. कोरोना संक्रमण के इस दौर में भले ही मरांडी अपने घर की चहारदीवारी के भीतर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग करते नजर आए, लेकिन वह राज्य के मुखिया हेमंत सोरेन को पत्र लिखना नहीं भूलते.

बाबूलाल मरांडी का मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखने का सिलसिला मार्च के अंतिम हफ्ते में शुरू हुआ. जैसे ही कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर लॉकडाउन की शुरुआत हुई बाबूलाल मरांडी एक्शन में आ गए.

उन्होंने हर दो दिन पर एक पत्र मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को लिखना शुरू किया. इतना ही नहीं उन्होंने प्रधानमंत्री के अलावा देश के अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भी पत्र भेजा. अप्रैल के पहले हफ्ते तक यह सिलसिला थोड़ा रुक-रुक कर शुरू हुआ, लेकिन 6 अप्रैल के बाद मरांडी पूरे एक्शन में आ गए.

मरांडी ने अप्रैल से अब तक सोरेन को लिखे दो दर्जन पत्र
अप्रैल के पहले हफ्ते से उन्होंने लगातार मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र भेजना शुरू किया. उन चिट्ठियों में कोरोना महामारी से लेकर किए जा रहे उपाय व कमियां गिनाई गईं. इसके साथ ही सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों की असफलताओं को बताया गया. मरांडी ने प्रवासी मजदूरों से जुड़ी समस्याएं भी मुख्यमंत्री को लिखकर भेजी.

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मरांडी ही नहीं विपक्ष के कई नेताओं ने अपनाया यह ट्रेंड
ऐसा नहीं है कि मरांडी इकलौते नेता हैं जो इस 'लेटर पॉलिटिक्स' का सहारा ले रहे हैं. इस दौड़ में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश भी पीछे नहीं है. इतना ही नहीं पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास भी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखने वालों में शामिल है. हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री पर यह लगातार आरोप लगे हैं कि उन्होंने अपने मुख्यमंत्रित्व काल में किसी की चिट्ठी का जवाब कभी नहीं दिया. बावजूद उसके वह भी पॉलिटिक्स के इस ट्रेंड को अपना रहे हैं.

क्या कहते हैं विधायक और नेता
विपक्ष के इस रवैए पर सरकार में शामिल कांग्रेस ने हमला बोला है. जामताड़ा से कांग्रेस विधायक इरफान अंसारी ने कहा कि बाबूलाल मरांडी बहुत एक्सपर्ट नेता हैं. इसके साथ ही पत्र लिखने में माहिर भी हैं. इसी पत्र के चलते उन्होंने भाजपा छोड़ दी थी. अंसारी ने कहा कि मरांडी को अगर इतनी ही चिंता है तो वह सामने आकर उपाय बताएं. पत्र लिखने से क्या होगा.

वह सिर्फ सपना देख रहे हैं. वहीं झामुमो के केंद्रीय प्रवक्ता मनोज पांडे ने कहा कि सरकार हर सकारात्मक सुझाव को अपनाने की कोशिश करती है. बेहतर तो यह होता कि मरांडी खुद मुख्यमंत्री से मुलाकात करते और अपनी बात रखते. हालांकि उन्होंने दावा किया कि मरांडी के सुझाव को लेकर सरकार विचार करेगी.

Last Updated : May 13, 2020, 1:49 PM IST
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