रांची: झारखंड के आदिवासी भारत की जनगणना में अलग से सरना धर्म कोड और आदिवासी-जनजातीय लोगों को अलग धर्म कोड में रख कर गिनती की मांग कर रहे हैं. इसी को लेकर एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने राज्य के आदिवासी कल्याण मंत्री चम्पई सोरेन के नेतृत्व में राज्यपाल रमेश बैस से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा है. राज्यपाल से मिलने के बाद अलग अलग दलों के प्रतिनिधियों ने कहा कि आदिवासियों की जीवन शैली,उनकी पूजा पद्धति और उनके हक अधिकार सब अलग है इसलिए आने वाले दिनों में जब जनगणना होगी तब सरना धर्म के अलग कोड का ध्यान रखा जाना चाहिए.
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आदिवासियों की होगी सही गणना
राज्यपाल से मुलाकात के बाद मंत्री चंपई सोरेन ने कहा कि हमारा इतिहास ,हमारे लिए बने कानून,हमारी शहादत और हमारा पूजा पद्धति सब अलग है. ऐसे में झारखंड विधानसभा से अलग सरना कोड का प्रस्ताव पास कर केंद्र को भेजा गया है. अब गवर्नर राज्य के सभी दलों की ओर से उठाए जा रहे इस मांग से भारत सरकार और राष्ट्रपति को अवगत कराएं. वहीं कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने कहा कि अलग सरना कोड आने से एक तो आदिवासियों की सही गणना हो जाएगी साथ ही साथ आदिवासी कल्याण के लिए बनने वाली योजनाओं को ज्यादातर बेहतर तरीके से धरातल पर उतारा जा सकेगा. बंधु तिर्की ने कहा कि जब हिन्दू मुस्लिम सिख और ईसाई का धार्मिक रूप से अलग पहचान है तो फिर सरना धर्मावलंबियों के लिए ऐसा करने में क्या दिक्कत है.
कौन कौन से दल थे सर्वदलीय दल में शामिल
राज्यपाल से मुलाकात करने वालों में झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस, आजसू, राजद और वाम दलों के नेता चंपई सोरेन, बंधु तिर्की, राजेश कच्छप,वी कोंगारी और लंबोदर महतो शामिल थे.
बीजेपी ने बनाई दूरी
अलग सरना धर्म कोड की मांग को लेकर राज्यपाल से मिलने वाले सर्वदलीय दल में भारतीय जनता पार्टी शामिल नहीं हुई. बीजेपी द्वारा सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल से दूरी बनाने के सवाल पर मंत्री चंपई सोरेन ने कहा कि भाजपा के अध्यक्ष को इसकी सूचना दी गई थी पर भाजपा क्यों नहीं शामिल हुई इसको लेकर वह कुछ नहीं बता सकते. भाजपा का अलग सरना धर्म कोट को लेकर क्या रुख है और युवा सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल में शामिल क्यों नहीं हुआ किस को लेकर भाजपा के नेता ही कोई जवाब दे सकते है.